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स्टेट पी.सी.एस.

  • 11 Feb 2022
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बिहार Switch to English

मुख्यमंत्री ग्रामीण सोलर स्ट्रीट लाइट योजना

चर्चा में क्यों?

10 फरवरी, 2022 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित बैठक में ‘मुख्यमंत्री 7 निश्चय योजना -2’ के अंतर्गत ‘मुख्यमंत्री ग्रामीण सोलर स्ट्रीट लाइट योजना’ की प्रगति की समीक्षा की गई।

प्रमुख बिंदु 

  • बैठक में अधिकारियों को मुख्यमंत्री ग्रामीण सोलर स्ट्रीट लाइट योजना का क्रियान्वयन 15 अप्रैल से शुरू करने के निर्देश दिये गए।
  • प्रायोगिक तौर पर इसे सभी ज़िलों के कम-से-कम एक-एक पंचायत में शुरू कराया जाएगा।
  • इस योजना के तहत राज्य में गाँवों के रास्ते और महत्त्वपूर्ण स्थानों पर सोलर लाइट लगाई जाएगी।
  • इसके लिये पूर्व में ही प्रत्येक गाँव के मुखिया को सर्वे करने की ज़िम्मेदारी दी गई थी। सर्वे में गाँव और उस जगह का चयन करने को कहा गया था, जहाँ सोलर लाइटें लगाई जाएंगी।
  • उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के अंतर्गत निम्नलिखित योजनाएँ शामिल हैं-    
    • बिहार स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना
    • हर घर बिजली योजना
    • घर तक पक्की नाली-गलियाँ                          
    • अवसर बढ़ें, आगे बढ़ें                          
    • हर घर नल का जल योजना                            
    • आरक्षित रोज़गार महिलाओं का अधिकार योजना                                                                                           
    • शौचालय निर्माण, घर का सम्मान

राजस्थान Switch to English

प्रदेश में विभिन्न विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों की क्षमता संवर्द्धन के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रमों के संबंध में एमओयू

चर्चा में क्यों

10 फरवरी, 2022 को राजस्थान जलदाय एवं भूजल मंत्री डॉ. महेश जोशी की उपस्थिति में शासन सचिवालय में अटल भूजल योजना के तहत प्रदेश में विभिन्न विभागों के अधिकारियों-कर्मचारियों की क्षमता संवर्द्धन के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रमों के संबंध में एमओयू पर हस्ताक्षर किये गए।

प्रमुख बिंदु 

  • इस एमओयू पर अटल भूजल योजना की स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट (एसपीएमयू) तथा भूजल विभाग की ओर से परियोजना निदेशक सूरजभान सिंह एवं आईएमटीआई, कोटा की तरफ से महानिदेशक राजेंद्र पारीक ने हस्ताक्षर किये। 
  • इस एमओयू के तहत आईएमटीआई, कोटा द्वारा राजस्थान में राज्य, ज़िला, ब्लॉक एवं ग्राम पंचायत स्तर पर वर्ष 2021-22 में 56 तथा वर्ष 2022-23 में 336 प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिन पर करीब 1.63 करोड़ रुपए व्यय होंगे।
  • सिंचाई प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (इरिगेशन मैनेजमेंट एंड ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट-आईएमटीआई), कोटा द्वारा चालू एवं अगले वित्तीय वर्ष में इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों का संचालन किया जाएगा।
  • उल्लेखनीय है कि अटल भूजल योजना प्रदेश के 17 ज़िलों के 38 पंचायत समिति क्षेत्रों में लगभग 2 लाख हेक्टेयर भूमि पर क्रियान्वित की जा रही है। इससे करीब 1.55 लाख कृषकों को लाभ होगा।
  • इस योजना में वर्षा जल संरक्षण को बढ़ावा देने एवं इसके न्यायसंगत उपयोग के लिये कृषि, उद्यानिकी, जलग्रहण एवं भूसंरक्षण, जल संसाधन, ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज, जन-स्वास्थ्य अभियांत्रिकी, वन, ऊर्जा तथा भूजल विभाग की योजनाओं द्वारा भूजल क्षेत्रों में कुशलतम जल प्रबंधन को प्रमोट करने एवं गिरते भूजल स्तर की रोकथाम का प्रमुख उद्देश्य निर्धारित किया गया है।
  • अटल भूजल योजना में सीधे जो दो घटक शामिल किये गए हैं, उनमें पहला संस्थागत सुदृढ़ीकरण एवं क्षमता संवर्धन द्वारा टिकाऊ भूजल प्रबंधन तथा दूसरा केंद्र एवं राज्य की विभिन्न योजनाओं के समन्वय के साथ-साथ नवाचारों को बढ़ावा देते हुए सामुदायिक सहभागिता से टिकाऊ भूजल प्रबंधन करना है। इनमें से प्रथम घटक के अंतर्गत योजना के सफल क्रियान्वयन के लिये ये प्रशिक्षण आयोजित होंगे।

राजस्थान Switch to English

रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य को टाइगर रिज़र्व बनाए जाने की सैद्धांतिक स्वीकृति

चर्चा में क्यों?

10 फरवरी, 2022 को राजस्थान के वन एवं पर्यावरण मंत्री हेमाराम चौधरी ने विधानसभा में कहा कि बूंदी ज़िले में स्थित रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य को टाईगर रिज़र्व बनाए जाने की केंद्र सरकार द्वारा सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई है।

प्रमुख बिंदु 

  • मंत्री हेमाराम चौधरी ने बताया कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) द्वारा वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की धारा 38 के प्रावधान के अंतर्गत 5 जुलाई, 2021 को रामगढ़ विषधारी वन्य जीव अभयारण्य व निकटवर्ती क्षेत्रों को टाइगर रिज़र्व बनाए जाने की सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई है।
  • एनटीसीए द्वारा प्रदान की गई स्वीकृति के क्रम में राज्य सरकार द्वारा रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व के क्रिटिकल टाइगर हैबीटैट (कोर) एवं बफर क्षेत्र के निर्धारण हेतु धारा 38 वी (4) के अनुसार विशेषज्ञ  समिति का गठन किया गया।
  • इस समिति द्वारा रामगढ़ विषधारी टाइगर रिज़र्व, ज़िला बूंदी के कोर (सी.टी.एच.) तथा बफर क्षेत्र के निर्धारण हेतु 24 जनवरी, 2022 को राज्य सरकार को रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। समिति की रिपोर्ट का परीक्षण कर राज्य सरकार द्वारा वन्यजीव (सुरक्षा) अधिनियम, 1972 के प्रावधानों के तहत कार्यवाही की जा रही है।
  • उल्लेखनीय है कि रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के लिये एक बफर की तरह काम करता है, जो भारत के सबसे प्रसिद्ध वन्यजीव अभयारण्यों में से एक है। यह लगभग 252 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करता है। 
  • राजस्थान सरकार ने इसे 20 मई, 1982 को राजस्थान वन्य प्राणी और पक्षी संरक्षण अधिनियम, 1951 की धारा 5 के अंतर्गत अभयारण्य घोषित किया था।
  • रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य में वनस्पति और विभिन्न जीवों, जैसे- भारतीय भेड़िया, तेंदुआ, धारीदार लकड़बग्घा, सुस्त भालू, गोल्डन जैकल, चिंकारा, नीलगाय और लोमड़ी जैसे विभिन्न प्रकार के जंगली जानवरों को देखा जा सकता है।

मध्य प्रदेश Switch to English

शैक्षिक प्रशासन में नवाचार के लिये प्रदेश के छ: अधिकारियों को राष्ट्रीय पुरस्कार

चर्चा में क्यों?

10 फरवरी, 2022 को शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के राष्ट्रीय शैक्षिक योजना एवं प्रशासन संस्थान (नीपा), नई दिल्ली द्वारा शैक्षिक प्रशासन में नवाचार के लिये मध्य प्रदेश के शिक्षा विभाग के छ: अधिकारियों को राष्ट्रीय अवार्ड से  पुरस्कृत किया गया है।

प्रमुख बिंदु 

  • नीपा ने इस सम्मान के लिये मध्य प्रदेश से सर्व शिक्षा अभियान के तत्कालीन डीपीसी गोपाल सिंह बघेल (सिवनी), तत्कालीन डीपीसी  आर.एस. तिवारी (हरदा), तत्कालीन डीपीसी कमल कुमार नागर (राजगढ़), शोएब खान बीआरसीसी (मंदसौर), रामानुज शर्मा बीईओ/बीआरसीसी (अलीराजपुर) और प्रवीण चंद्र उपाध्याय बीआरसीसी (मंडला) का चयन किया है। 
  • इन सभी अधिकारीयों को नई दिल्ली में आयोजित वर्चुअल सम्मान समारोह में सम्मिलित हुए। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने डिजिटल प्रशस्ति-पत्र प्रदान किये।

मध्य प्रदेश Switch to English

ग्वालियर में बेबी फीडिंग सेंटर शुरू

चर्चा में क्यों?

10 फरवरी, 2022 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में स्थित जीवाजी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी और कुलसचिव डॉ. सुशील मंडेरिया ने विश्वविद्यालय में पहला बेबी फीडिंग सेंटर ‘दुलार’ का शुभारंभ किया।

प्रमुख बिंदु 

  • जीवाजी विश्वविद्यालय यह अनूठी शुरुआत करने वाला प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय बन गया है। 
  • कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी ने बताया कि परीक्षा के दौरान आने वाली माँ और बच्चे की संवेदनाओं को समझ कर इस फीडिंग सेंटर को परीक्षा भवन में ही बनाने का निर्देश दिया गया है। 
  • इस फीडिंग सेंटर का नाम ‘दुलार’ रखा गया है।

मध्य प्रदेश Switch to English

इंस्टीट्यूशनल डेवलपमेंट प्लान फॉर हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट (आईडीपी) पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन

चर्चा में क्यों?

10 फरवरी, 2022 को भोपाल में मध्य प्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग एवं विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में ‘इंस्टीट्यूशनल डेवलपमेंट प्लान फॉर हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशन’पर एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन मध्य प्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग में किया गया।

प्रमुख बिंदु 

  • इस कार्यशाला में तीन तकनीकी सत्र हुए। पहले सत्र में उच्च शिक्षा संस्थानों के लिये संस्थागत विकास योजना की अवधारणा और आवश्यकता पर चर्चा हुई, दूसरा सत्र संस्थान परिसर डिज़ाइन और स्पेस प्लानिंग पर आधारित रहा तथा तीसरे सत्र में एक आदर्श आईडीपी की अनिवार्यताओं पर चर्चा हुई।
  • इस अवसर पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव रजनीश जैन ने कहा कि संस्थागत विकास योजना (आईडीपी) शैक्षणिक गुणवक्ता और उत्कृष्टता के लिये अत्यंत महत्त्वपूर्ण और आवश्यक है। यह आईडीपी शिक्षा का विज़न डॉक्यूमेंट है।
  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने संस्थागत विकास योजना (आईडीपी) की रूपरेखा तैयार की है। इससे शिक्षण संस्थान अपने लक्ष्यों और बुनियादी ढाँचे को बेहतर बना सकते हैं। आईडीपी उच्च शिक्षा की सकल नामांकन दर को बढ़ाने में भी मददगार साबित होगी।
  • संस्थागत विकास योजना का मूल उद्देश्य शिक्षण संस्थानों की गुणवक्ता और बुनियादी ढाँचे को बेहतर बनाकर विद्यार्थियों को एक सफल नागरिक बनाना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान को संस्थागत विकास योजना तैयार करना अनिवार्य होगा।
  • उल्लेखनीय है कि उच्च शिक्षा संस्थाओं के लिये संस्थागत विकास योजना पर देश में पहली बार इस तरह की कार्यशाला आयोजित की गई है।

हरियाणा Switch to English

राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान,पंचकूला

चर्चा में क्यों?

हाल ही में राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्थायी समिति की 31 दिसंबर, 2021 को आयोजित बैठक से संबंधित मिनट्स ऑफ मीटिंग का प्रकाशन किया गया, जिसमें संरक्षित क्षेत्रों और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील क्षेत्रों में सीमा चौकियों एवं आयुर्वेद संस्थान सहित कई परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई।

प्रमुख बिंदु 

  • पंचकूला स्थित श्री माता मनसा देवी श्राइन बोर्ड परिसर में 5 करोड़ रुपए की लागत से 8.04 हेक्टेयर क्षेत्र में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान का निर्माण किया जाएगा।
  • औषधीय पौधों के संरक्षण के लिये आयुष मंत्रालय द्वारा पंचकूला में स्थापित किया जा रहा राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान न केवल औषधीय पौधों के संरक्षण में, बल्कि जनता को प्रकृति की सुरक्षा से जोड़ने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
  • आयुर्वेद एक भारतीय चिकित्सा प्रणाली है। सुश्रुत, चरक और धन्वंतरि इसके प्रमुख आचार्य माने जाते हैं। इसे अथर्ववेद का एक उपवेद माना जाता है।

झारखंड Switch to English

जनजातीय कल्याण से संबंधित मंत्रिपरिषद के महत्त्वपूर्ण निर्णय

चर्चा में क्यों?

10 फरवरी, 2022 को आयोजित झारखंड मंत्रिपरिषद की बैठक में जनजातीय कल्याण से संबंधित महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गए।

प्रमुख बिंदु 

  • झारखंड राज्य में अनुसूचित जनजातियों एवं अन्य परंपरागत वनवासी (वनाधिकार की मान्यता) अधिनियम, 2006 के तहत Bharti Institute of Public - Indian School of Business (BIPP-ISB) के मनोनयन तथा त्रिपक्षीय MoU की स्वीकृति दी गई।
  • जनजातीय संस्कृति के संरक्षण के क्रम में आदिवासी संस्कृति एवं कला केंद्र (मांझी हाउस), मानकी मुंडा हाउस, परगना हाउस एवं धुमकड़िया हाउस निर्माण योजना का नाम परिवर्तित कर ‘आदिवासी संस्कृति एवं कला केंद्र/मांझी भवन, मानकी मुंडा भवन, पड़हा भवन, परगना भवन, धुमकड़िया भवन एवं गोसाड़े निर्माण तथा मांझी थान शेड निर्माण योजना’करने एवं योजना की रूपरेखा तथा कार्यान्वयन की प्रक्रिया में संशोधन करने की स्वीकृति दी गई।
  • संचालित सोना सोबरन धोती-साड़ी वितरण योजनाके अंतर्गत लाभुक परिवारों के बीच वस्त्रों का वितरण किये जाने हेतु जन- वितरण प्रणाली दुकानदारों को प्रति वस्त्र 1/- रुपए की दर से डीलर कमीशन की स्वीकृति दी गई।
  • इसके अतिरिक्त झारखंड पर्यटन नीति, 2021 की घटनोत्तर स्वीकृति एवं झारखंड मुंसिपल पार्क मेंटीनेंस पॉलिसी,2021 की स्वीकृति दी गई।  
  • फसल उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाने तथा उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी को प्रदर्शित करने के लिये राजकीय कृषि प्रक्षेत्रों एवं इच्छुक किसानों/किसानों के समूह की भूमि में कृषक पाठशाला तथा परिधि में अवस्थित राजस्व ग्रामों को बिरसा ग्राम के रूप में विकसित करने हेतु समेकित बिरसा ग्राम विकास योजना-सह-कृषक पाठशाला योजना’के क्रियान्वयन हेतु 61 करोड़ रुपए की स्वीकृति दी गई।

छत्तीसगढ़ Switch to English

सबके लिये आवास मिशन

चर्चा में क्यों?

10 फरवरी, 2022 को छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव अमिताभ जैन की अध्यक्षता में हुई ‘प्रधानमंत्री आवास योजना-सबके लिये आवास मिशन (शहरी)’ की राज्यस्तरीय स्वीकृति और निगरानी समिति की बैठक में राज्यस्तरीय स्वीकृति समिति द्वारा राज्य में योजना के तहत 12 हज़ार 60 आवासों के निर्माण का अनुमोदन किया गया।

प्रमुख बिंदु

  • बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन ने अधिकारियों को योजना के तहत आवासों की बुकिंग को आवंटन के लिये प्राथमिकता का आधार निर्धारित करने के निर्देश दिये। 
  • राज्य में सबके लिये आवास मिशन (शहरी) आवास के अंतर्गत 12060 आवासों का निर्माण 374 करोड़ 93 लाख 12 हज़ार रुपए की लागत से कराया जाएगा। प्रत्येक आवास की लागत 3.05 लाख रुपए होगी।
  • उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा शहरी क्षेत्रों के लिये ‘प्रधानमंत्री आवास योजना सबके लिये आवास मिशन’ जून 2015 से कार्यान्वित किया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ Switch to English

अन्य पिछड़ा वर्ग हेतु औद्योगिक क्षेत्रों में 10 प्रतिशत भू-खंड आरक्षित करने की अधिसूचना

चर्चा में क्यों?

10 फरवरी, 2022 को छत्तीसगढ़ के वाणिज्य एवं उद्योग विभाग द्वारा औद्योगिक क्षेत्रों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये 10 प्रतिशत भू-खंड आरक्षित करने तथा भू-प्रीमियम दर के 10 प्रतिशत दर एवं 1 प्रतिशत भू-भाटक पर उपलब्ध कराने हेतु ‘औद्योगिक नीति-2019-24’ में संशोधन करते हुए अधिसूचना जारी कर दी गई।

प्रमुख बिंदु

  • उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा 73वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी को अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिये औद्योगिक क्षेत्रों में अन्य पिछड़ा वर्ग हेतु 10 प्रतिशत भू-खंड आरक्षित करने तथा भू-प्रीमियम दर के 10 प्रतिशत दर एवं 1 प्रतिशत भू-भाटक पर उपलब्ध कराने की घोषणा की गई थी।
  • जारी अधिसूचना के अनुसार राज्य के औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योग विभाग एवं छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड द्वारा संधारित समस्त औद्योगिक क्षेत्रों में उद्योग एवं सेवा उद्यम स्थापना हेतु अन्य पिछड़ा वर्ग के नागरिकों में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिये इस प्रवर्ग हेतु 10 प्रतिशत भू-खंड आरक्षित किये जाएंगे, जो कि भू-प्रब्याजि दर के 10 प्रतिशत दर तथा 1 प्रतिशत भू-भाटक पर उपलब्ध कराए जाएंगे। 
  • आरक्षण की अवधि नियत दिनांक अथवा औद्योगिक क्षेत्र की स्थापना दिनांक, जो भी पश्चात् का हो, से दो वर्ष तक रहेगी। 
  • भूखंड-भूमि की मात्रा ‘छत्तीसगढ़ औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम-2015’ में वर्णित पात्रता के नियम तथा प्रावधान के अनुसार होगी। यह संशोधन इस अधिसूचना के जारी होने के दिनांक से प्रवृत्त हुए समझे जाएंगे।  

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