उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड में ग्रीन सेस
चर्चा में क्यों?
अधिकारियों के अनुसार, उत्तराखंड सरकार जल्द ही राज्य से बाहर जाने वाले वाहनों पर हरित उपकर लगाएगी।
- ग्रीन सेस एक प्रकार का कर है जो सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से लगाया जाता है।
मुख्य बिंदु
- उत्तराखंड में हरित उपकर की शुरूआत:
- यह उपकर 20 रुपए से 80 रुपए तक होगा और यह वाणिज्यिक और निजी दोनों वाहनों पर लागू होगा।
- दोपहिया वाहन, इलेक्ट्रिक वाहन और संपीड़ित प्राकृतिक गैस (CNG) वाहन, एम्बुलेंस, अग्निशमन वाहन और उत्तराखंड में पंजीकृत वाहनों को छूट दी जाएगी।
- कार्यान्वयन और प्रौद्योगिकी:
- इस प्रणाली को दिसंबर 2024 के अंत तक सक्रिय करने का उद्देश्य निर्धारित किया गया है।
- स्वचालित नंबर प्लेट पहचान कैमरे वाहनों की पहचान करेंगे और उपकर राशि सीधे वाहन मालिकों के फास्टैग वॉलेट से काट ली जाएगी।
फास्टैग (FASTag)
- यह एक ऐसा उपकरण है जो रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक का उपयोग कर वाहन चलते समय सीधे टोल भुगतान करता है।
- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने फास्टैग की उपलब्धता को सुविधाजनक बनाने के लिये दो मोबाइल ऐप- माईफास्टैग और फास्टैग पार्टनर लॉन्च किये।
- यह टैग जारी होने की तिथि से 5 वर्षों तक मान्य रहता है और यह सात विभिन्न रंगों के कोड में उपलब्ध है।
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तराखंड में भूस्खलन क्षेत्रों का सफलतापूर्वक उपचार किया गया
चर्चा में क्यों?
सीमा सड़क संगठन (BRO) के अनुसार, रॉक बोल्ट तकनीक उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में सक्रिय भूस्खलन क्षेत्रों का सफलतापूर्वक उपचार कर रही है।
मुख्य बिंदु
- उत्तराखंड में भूस्खलन की चुनौतियाँ:
- पहाड़ी क्षेत्रों में, विशेषकर मानसून के मौसम में, भूस्खलन की घटनाएँ नियमित रूप से होती रहती हैं, जिससे सड़कें अवरुद्ध हो जाती हैं और चारधाम तीर्थयात्रियों को असुविधा होती है।
- इन भूस्खलनों के परिणामस्वरूप प्रायः मानव जीवन और संपत्ति को नुकसान पहुँचता है और यह एक दीर्घकालिक चिंता का विषय बना हुआ है।
- गंगोत्री और यमुनोत्री राजमार्गों पर लगातार भूस्खलन क्षेत्र वर्षों से बड़ा खतरा उत्पन्न कर रहे हैं।
- ऑस्ट्रेलियाई रॉक बोल्ट प्रौद्योगिकी को अपनाना:
- BRO उत्तरकाशी ज़िले में गंगोत्री राजमार्ग पर रतूड़ीसेरा और बंदरकोट में सक्रिय भूस्खलन क्षेत्रों के उपचार के लिये ऑस्ट्रेलियाई रॉक बोल्ट प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है।
- इससे पहले, इस तकनीक को नलूपानी और चुंगी बडेथी भूस्खलन क्षेत्रों में सफलतापूर्वक लागू किया गया था।
- यह प्रौद्योगिकी चारधाम सड़क चौड़ीकरण परियोजना के तहत वर्षों से सक्रिय भूस्खलन क्षेत्रों के उपचार में सहायक रही है।
- प्रभावशीलता और तकनीक:
- भूस्खलन को रोकने में यह तकनीक 90% प्रभावी रही है।
- इसमें ढीली मृदा को स्थिर करने के लिये मिट्टी में कील ठोंकना तथा कमज़ोर क्षेत्रों को मज़बूत करने के लिये आधारशिला में चट्टान बोल्ट लगाना शामिल है।
सीमा सड़क संगठन (BRO)
- 1960 में केवल दो परियोजनाओं, पूर्व में प्रोजेक्ट टस्कर (अब वर्तक) और उत्तर भारत में प्रोजेक्ट बीकन के साथ स्थापित BRO अब एक जीवंत संगठन बन गया है, जिसकी 11 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में 18 परियोजनाएँ चल रही हैं।
- अब इसे उच्च ऊँचाई वाले तथा बर्फ से घिरे दुर्गम क्षेत्रों में अग्रणी बुनियादी ढाँचा निर्माण एजेंसी के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- वर्ष 2023-24 में, BRO ने 125 बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ पूरी कीं, जिनमें अरुणाचल प्रदेश में बालीपारा-चारद्वार-तवांग रोड पर सेला सुरंग का निर्माण भी शामिल है।
- BRO जल्द ही 4.10 किलोमीटर लंबी शिंकुन ला सुरंग का निर्माण शुरू करेगा, जो पूरा हो जाने पर 15,800 फीट की ऊँचाई पर दुनिया की सबसे ऊँची सुरंग बन जाएगी, जो 15,590 फीट की ऊँचाई पर स्थित चीन की मिला सुरंग को पीछे छोड़ देगी।
- BRO रक्षा मंत्रालय के अधीन एक भारतीय कार्यकारी बल है, जिसका कार्य भारत की सीमाओं को सुरक्षित करना तथा उत्तर और उत्तर-पूर्वी राज्यों के दूरदराज के क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे का विकास करना है।
- यह सीमा सड़क विकास बोर्ड (BRDB) के अधीन कार्य करता है तथा सीमावर्ती क्षेत्रों और पड़ोसी देशों में सड़क नेटवर्क के लिये जिम्मेदार है।
- BRO का आदर्श वाक्य है “श्रमेण सर्वं साध्यम्” जिसका अर्थ है “कड़ी मेहनत से सब कुछ प्राप्त किया जा सकता है।”
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