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पाँच प्रतिष्ठित उत्पादों को GI टैग
चर्चा में क्यों?
बिहार राज्य कृषि विभाग, भागलपुर स्थित बिहार कृषि विश्वविद्यालय (Bihar Agricultural University- BAU) के साथ मिलकर कम-से-कम 54 अलग-अलग क्षेत्र-विशिष्ट उत्पादों के लिये भौगोलिक संकेत (Geographical Indication- GI) प्रमाणन प्राप्त करने के लिये काम कर रहा है
- इस सहयोगात्मक प्रयास के तहत पाँच प्रमुख विषयों पर अनुसंधान पहले ही उन्नत चरणों में है।
प्रमुख बिंदु:
- पाँच उन्नत चरण के उत्पाद हैं- लिट्टी चोखा (बिहार का मुख्य व्यंजन), रोहतास से सोनाचूर चावल और गुलशन टमाटर, पटना से सिंघाड़ा तथा दीघा से मालदा आम।
- सबसे अधिक भौगोलिक संकेत (GI) टैग वाले राज्य उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और केरल हैं।
- बिहार में छह GI-टैग उत्पाद हैं - शाही लीची, भागलपुरी जर्दालू आम, कतरनी चावल, मारीचा चावल, मगही पान (पान का पत्ता) और मखाना (फॉक्सनट)।
- केंद्र सरकार का वाणिज्य मंत्रालय विश्व व्यापार संगठन के सदस्य के रूप में भारत की प्रतिबद्धताओं और TRIPS (बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार-संबंधित पहलू) समझौते के तहत भौगोलिक संकेत (GI) टैग के लिये अभियान का समर्थन कर रहा है।
भौगोलिक संकेत (Geographical Indication- GI) टैग
- GI टैग एक नाम या चिह्न है जिसका उपयोग कुछ उत्पादों पर किया जाता है जो किसी विशिष्ट भौगोलिक स्थान या उत्पत्ति से संबंधित होते हैं।
- GI टैग यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्त्ता या भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोग ही लोकप्रिय उत्पाद नाम का उपयोग करने की अनुमति रखते हैं।
- यह उत्पाद को दूसरों द्वारा नकल किये जाने से भी बचाता है।
- पंजीकृत GI 10 वर्षों के लिये वैध होता है।
- GI पंजीकरण की देख-रेख वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग द्वारा की जाती है।
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