राजस्थान Switch to English
माही-लूनी लिंक परियोजना
चर्चा में क्यों?
राजस्थान के जल संसाधन मंत्री ने विधानसभा को बताया कि वेपकोस (WAPCOS) माही नदी को लूनी नदी से जोड़ने के लिये पश्चिमी राजस्थान नहर परियोजना के लिये व्यवहार्यता रिपोर्ट तैयार कर रहा है।
- WAPCOS लिमिटेड, जल शक्ति मंत्रालय के तहत एक "मिनी रत्न-I" सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है, जो भारत और विदेशों में जल, बिजली और बुनियादी ढाँचा क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रौद्योगिकी-आधारित परामर्श और इंजीनियरिंग समाधान प्रदान करता है।
मुख्य बिंदु
- उद्देश्य: इस परियोजना का प्रमुख उद्देश्य है:
- माही नदी के अधिशेष जल का उपयोग करना।
- जल-संकटग्रस्त जालौर ज़िले तक पानी पहुँचाना।
- जल स्रोतों का पुनर्भरण कर जल संरक्षण को बढ़ावा देना।
- कृषि और पेयजल आपूर्ति में सुधार करना।
- तकनीकी और कार्यान्वयन पहलू: सरकार द्वारा परियोजना की व्यवहार्यता (फिजिबिलिटी) रिपोर्ट वेपकॉस के माध्यम से तैयार कराई जा रही है। इसके अंतर्गत—
- माही नदी से लूनी नदी को जोड़ने के लिये अध्ययन किया जा रहा है।
- सुजलाम-सुफलाम परियोजना के माध्यम से जल आपूर्ति के विभिन्न विकल्पों का परीक्षण किया जा रहा है।
- रन-ऑफ वाटर ग्रिड योजना के तहत बाँधों के पुनर्भरण की योजना बनाई जा रही है।
- डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) और पीएफआर (प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट) तैयार की जा रही हैं।
माही नदी
- माही नदी भारत की प्रमुख पश्चिमवाहिनी अंतरराज्यीय नदियों में से एक है, जो मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात राज्यों में प्रवाहित होती है। इसका कुल जल निकासी क्षेत्र 34,842 वर्ग किमी में फैला हुआ है।
- माही भारत की एकमात्र नदी है, जो कर्क रेखा को दो बार पार करती है।
उत्पत्ति और प्रवाह मार्ग:
- यह नदी मध्य प्रदेश के धार ज़िले में भोपावर गाँव के निकट, विंध्याचल पर्वतमाला की उत्तरी ढलान से लगभग 500 मीटर की ऊँचाई से निकलती है।
- प्रारंभिक 120 किलोमीटर तक यह नदी दक्षिण दिशा में मध्य प्रदेश में प्रवाहित होती है, जिसके बाद यह राजस्थान के दक्षिण-पूर्वी वागड़ क्षेत्र में प्रवेश करती है।
- बांसवाड़ा ज़िले से होकर बहने के दौरान यह राजस्थान में एक विशिष्ट 'U' आकार का मोड़ बनाती है।
- गुजरात में प्रवेश करने के पश्चात, माही नदी खंभात की खाड़ी के माध्यम से अरब सागर में विलीन हो जाती है।
- इसकी कुल लंबाई 583 किलोमीटर है।
लूनी नदी
- उद्गम और प्रवाह मार्ग
- लूनी नदी का उद्गम राजस्थान के अजमेर ज़िले में स्थित अरावली पर्वतमाला के नाग पहाड़ से होता है।
- इसके उद्गम स्थल पर इसे पहले सागरमती, फिर सरस्वती और अंततः लूनी कहा जाता है। यह नदी केवल वर्षा ऋतु में प्रवाहित होती है।
- यह नदी लगभग 320 किलोमीटर की यात्रा करते हुए दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान के नागौर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर और जालौर ज़िलों से प्रवाहित होकर अंततः कच्छ के रण में विलुप्त हो जाती है।
- अन्य नाम:
- इस नदी को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे—साक्री, लवणवती, लवणाद्रि और खारी-मीठी नदी।
- सहायक नदियाँ
- लीलड़ी, सूकड़ी, बांडी, मीठड़ी, जोजरी, जवाई, सगाई आदि। दाई और से मिलने वाली एकमात्र सहायक नदी जोजड़ी है।

