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उत्तर प्रदेश का पहला बायो-सीएनजी प्लांट
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में उत्तर प्रदेश का पहला व देश का दूसरा अपशिष्ट-से-CNG प्लांट स्थापित किया जा रहा है।
मुख्य बिंदु
- प्लांट के बारे में:
- यह प्लांट पराली, मुर्गी के कूड़े, गोबर और गीले कचरे से जैव-ईंधन (Bio-CNG) बनाएगा।
- यह प्रतिदिन 21.5 टन जैव-CNG, 200 टन जैविक खाद और 30 मीट्रिक टन ब्रिकेट का उत्पादन करेगा।
- इसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर संचालित किया जाएगा।
- जैव ईंधन की आपूर्ति के लिये अडानी गैस लिमिटेड द्वारा इस क्षेत्र में पाइपलाइन बिछाई जाएगी।
- इससे कचरा निपटान पर लगभग 5 करोड़ रुपए की वार्षिक बचत होगी।
- शहर का लगभग एक-तिहाई कचरा इस प्लांट में उपयोग किया जाएगा।
- उद्देश्य
- कचरा प्रबंधन को व्यवस्थित करना
- नवीकरणीय और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना
- पर्यावरण प्रदूषण को कम करना (विशेषकर पराली जलाने से होने वाला)
- शहरी गैस आपूर्ति को सुलभ और सस्ती बनाना
बायो-सीएनजी:
- बायो-सीएनजी (BioCNG), जिसे ‘बायोमीथेन’ के रूप में भी जाना जाता है, एक नवीकरणीय और स्वच्छ दहन परिवहन ईंधन है, जो बायोगैस को प्राकृतिक गैस की गुणवत्ता में अद्यतन या अपग्रेड करने के माध्यम से उत्पादित किया जाता है।
- यह अनिवार्य रूप से शुद्धिकृत बायोगैस (purified biogas) है, जो निम्नलिखित जैविक अपशिष्ट पदार्थों से बनाई जाती है:
- कृषि अपशिष्ट: फसल अवशेष, भूसा, खाद
- खाद्य अपशिष्ट: खराब भोजन, बचा हुआ अवशेष
- सीवेज कीचड़: अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों से निकलने वाला ठोस अपशिष्ट


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15वीं हॉकी पुरुष राष्ट्रीय चैंपियनशिप 2025
चर्चा में क्यों?
15वीं पुरुष राष्ट्रीय चैंपियनशिप 2025 का आयोजन 4 से 15 अप्रैल तक उत्तर प्रदेश के झाँसी स्थित मेजर ध्यानचंद हॉकी स्टेडियम में किया जा रहा है।
मुख्य बिंदु
- चैंपियनशिप के बारे में:
- हॉकी इंडिया के अनुसार, टूर्नामेंट में वही डिवीज़न-आधारित प्रारूप अपनाया गया, जो सीनियर महिला राष्ट्रीय चैंपियनशिप में लागू किया गया था।
- इस प्रतियोगिता में अब पदोन्नति और निर्वासन की प्रतिस्पर्द्धा भी शामिल हैं, जिसमें कुल 30 टीमें भाग लिया और इन्हें तीन डिवीज़नों — डिवीज़न A, डिवीज़न B और डिवीज़न C में विभाजित किया गया है।
- डिवीज़न A इस प्रतियोगिता का सर्वोच्च स्तर है, जहाँ टीमें चैंपियनशिप खिताब के लिये प्रतिस्पर्द्धा करेंगी। डिवीज़न B की टीमें अगले सीज़न में डिवीज़न A में पदोन्नति पाने के उद्देश्य से खेलेंगी, जबकि डिवीज़न C की टीमें आगामी संस्करण में डिवीज़न B में स्थान सुनिश्चित करने के लिये संघर्ष करेंगी।
मेजर ध्यानचंद
- मेजर ध्यानचंद एक फील्ड हॉकी खिलाड़ी थे जिन्होंने वर्ष 1926 से 1949 तक अंतर्राष्ट्रीय हॉकी खेली।
- वह तीन बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता थे, जिन्होंने वर्ष 1928, 1932 और 1936 के ओलंपिक संस्करणों में स्वर्ण पदक हासिल किया था।
- खेल में उनके असाधारण कौशल के चलते उन्हें 'हॉकी के जादूगर' की उपाधि दी गई।
- ध्यानचंद ने अपने भाई रूप सिंह के साथ मिलकर भारत के 35 गोलों की संख्या में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया, जिसके चलते उन्हें 'हॉकी ट्विन्स' के नाम से भी जाना गया।
- वर्ष 1934 में ध्यानचंद को भारतीय टीम की कप्तानी से सम्मानित किया गया।
- मेजर ध्यानचंद वर्ष 1956 में सेना में मेजर पद से सेवानिवृत्त हुए और उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
- हर साल 29 अगस्त को मेजर ध्यानचंद की जयंती पर उनके योगदान को सम्मान देने और खेल संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है।
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उत्तर प्रदेश डिजिटल लेनदेन और DBT में प्रथम
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश ने डिजिटल ट्रांजेक्शन के मामले में पूरे देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
मुख्य बिंदु
- मुद्दे के बारे में:
- डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) योजना के तहत प्रदेश सरकार ने 11 विभागों की 207 योजनाओं के माध्यम से 9.08 करोड़ लाभार्थियों को 1,11,637 करोड़ रुपए सीधे उनके खातों में हस्तांतरित किये हैं।
- इससे न केवल प्रणाली में पारदर्शिता आई है, बल्कि बिचौलियों को हटाकर 10,000 करोड़ रुपए की बचत भी हुई है।
- देश की सकल घरेलु उत्पाद (GDP) में 9.2% हिस्सेदारी के साथ उत्तर प्रदेश अब देश का दूसरा सबसे बड़ा आर्थिक योगदानकर्त्ता बन गया है।
- वर्ष 2023-24 में जहाँ देश की GDP वृद्धि दर 9.6% रही, वहीं यूपी की वृद्धि दर 11.6% रही।
- नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश को ‘राजकोषीय स्थिति’ के मामले में 'फ्रंट रनर' घोषित किया गया है।
- इस उल्लेखनीय वृद्धि में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) की भूमिका भी अहम रही। डिजिटल बैंकिंग की सुगम पहुँच, गाँवों तक इंटरनेट की उपलब्धता और वित्तीय जागरूकता ने इस प्रगति को और अधिक गति दी।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) योजना:
- उद्देश्य: इस योजना को लाभार्थियों तक सूचना एवं धन के तीव्र प्रवाह एवं वितरण प्रणाली में धोखाधड़ी को कम करने के लिये सहायता के रूप में परिकल्पित किया गया है।
- कार्यान्वयन: इसे भारत सरकार द्वारा 1 जनवरी, 2013 को सरकारी वितरण प्रणाली में सुधार करने हेतु एक मिशन के रूप में शुरू किया गया था।
- महालेखाकार कार्यालय की सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (PFMS) के पुराने संस्करण यानी ‘सेंट्रल प्लान स्कीम मॉनीटरिंग सिस्टम’ को प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के लिये एक प्लेटफॉर्म के रूप में चुना गया था।
- DBT के घटक: प्रत्यक्ष लाभ योजना के क्रियान्वयन के प्राथमिक घटकों में लाभार्थी खाता सत्यापन प्रणाली; RBI, NPCI, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों तथा सहकारी बैंकों के साथ एकीकृत, स्थायी भुगतान एवं समाधान मंच शामिल है (जैसे बैंकों के कोर बैंकिंग समाधान, RBI की निपटान प्रणाली और NPCI की आधार पेमेंट प्रणाली आदि)।
- आधार अनिवार्य नहीं: DBT योजनाओं में आधार अनिवार्य नहीं है। चूंँकि आधार विशिष्ट पहचान प्रदान करता है और इच्छित लाभार्थियों को लक्षित करने में उपयोगी है, इसलिये आधार को प्राथमिकता दी जाती है और लाभार्थियों को आधार के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।

