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मध्य प्रदेश

इंदौर में गोबर-धन बायो सीएनजी प्लांट का लोकार्पण

  • 21 Feb 2022
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

19 फरवरी, 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली से वर्चुअल माध्यम से इंदौर के देवगुराड़िया क्षेत्र में एशिया के सबसे बड़े गोबर-धन बायो सीएनजी प्लांट का लोकार्पण किया।

प्रमुख बिंदु

  • इंदौर में गोबर-धन बायो सीएनजी प्लांट बनने से वेस्ट-टू-वेल्थ तथा सर्कुलर इकॉनमी की परिकल्पना साकार हुई है। इससे भारत के स्वच्छता अभियान भाग-2 को नई ताकत मिलेगी, जिसके अंतर्गत आने वाले 2 वर्षों में देश के सभी शहरों को कूड़े के पहाड़ों से मुक्त कर ग्रीन ज़ोन बना दिया जाएगा। 
  • इंदौर के प्लांट से सीएनजी के अलावा 100 टन जैविक खाद भी रोज़ाना प्राप्त होगा। इससे इंदौर शहर में हर रोज करीब-करीब 400 बसें चलाई जा सकेंगी।
  • यह प्लांट संपूर्ण एशिया महाद्वीप में जैविक अपशिष्ट से बायो सी.एन.जी का सबसे बड़ा तथा देश का पहला प्लांट है।
  • बायो सी.एन.जी प्लांट पी.पी.पी. मॉडल पर आधारित है। इस प्लांट की स्थापना पर जहाँ एक ओर नगर निगम, इंदौर को कोई वित्तीय भार वहन नहीं करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर प्लांट को स्थापित करने वाली एजेंसी IEISL, नई दिल्ली द्वारा नगर निगम, इंदौर को प्रतिवर्ष ढाई करोड़ रुपए प्रीमियम के रूप में दिये जाएंगे। 
  • इस प्लांट में प्रतिदिन 550 एमटी गीले कचरे (घरेलू जैविक कचरे) को उपचारित किया जाएगा, जिससे 17 हज़र 500 किलोग्राम बायो सी.एन.जी. गैस तथा 100 टन उच्च गुणवत्ता की आर्गेनिक कम्पोस्ट का उत्पादन होगा। 
  • इस प्लांट से उत्पन्न होने वाली बायो सी.एन.जी. में से 50 प्रतिशत गैस नगर निगम, इंदौर को लोक परिवहन की संचालित बसों के उपयोग के लिये उपलब्ध होगी, शेष 50 प्रतिशत गैस विभिन्न उद्योग एवं वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को विक्रय की जा सकेगी।
  • इंदौर नगर का वेस्ट सेग्रीगेशन उत्तम क्वालिटी का होने से इस प्लांट को इंदौर में स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। प्लांट स्थापना के निर्णय के पूर्व उक्त कंपनी ने गीले कचरे के गत एक वर्ष में 200 से अधिक नमूने लेकर परीक्षण करवाया। परीक्षण के परिणाम के आधार पर यह तथ्य सामने आया कि गीले कचरे में मात्र 0.5 से 0.9 प्रतिशत ही रिजेक्ट उपलब्ध है, जो अन्य यूरोपियन देशों की तुलना में भी उच्च गुणवत्ता का होना पाया गया।
  • मुख्यमंत्री ने बताया कि इंदौर में झोलाधारी इंदौरी अभियान का आगाज़ भी किया गया है। इंदौर नगरीय क्षेत्र की स्लम बस्तियों को ग्रीन स्लम के रूप में विकसित करने का कार्य लगातार किया जा रहा है। 
  • मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्लांट इंदौर के आसपास के ग्राम से पशुपालकों और किसानों से गोबर और अन्य कचरे को क्रय कर धन बनाने वाला संयंत्र होगा। अनेक परिवारों को इस प्लांट से स्थायी रोज़गार मिल रहा है। 
  • कचरे के साथ गोबर का उपयोग बैक्टीरिया डेवलप करने की प्रोसेसिंग में किया जाएगा। इंदौर में बाज़ार मूल्य से 5 रुपए प्रति किलो कम कीमत पर सिटी बसों के लिये सीएनजी की उपलब्धता होगी। 
  • प्लांट में शुरुआती दौर में 21 प्रतिशत और अगले तीन वर्ष में शत-प्रतिशत सौर ऊर्जा का उपयोग होगा। इंदौर शहर को कार्बन क्रेडिट का लाभ मिलेगा। साथ ही इस प्लांट से आगामी 20 वर्ष तक इंदौर नगर निगम को प्रति वर्ष 2 करोड़ 52 लाख प्रीमियम मिलता रहेगा।
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