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आधार कार्ड आयु का प्रमाण नहीं: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने निर्णय दिया कि आधार कार्ड का उपयोग पहचान स्थापित करने के लिये किया जा सकता है, लेकिन जन्मतिथि के प्रमाण के रूप में नहीं।
मुख्य बिंदु
- पृष्ठभूमि:
- एक विधवा ने तड़ित के कारण अपने पति की हुई मृत्यु के लिये जन कल्याण (संबल) योजना 2018 के तहत मुआवज़े की मांग करते हुए याचिका दायर की।
- उनका आवेदन इसलिये खारिज कर दिया गया क्योंकि मतदाता पहचान-पत्र और राशन कार्ड जैसे अन्य दस्तावेज़ों के अनुसार उनके पति की आयु पात्रता सीमा 64 वर्ष से अधिक थी।
- याचिकाकर्त्ता ने तर्क दिया कि आधार कार्ड में दर्ज आयु पर विचार किया जाना चाहिये, जिससे वह मुआवज़े के लिये पात्र हो जाएगी।
- कानूनी मिसाल और सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय:
- उच्च न्यायालय ने अक्तूबर 2024 के सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि आधार को आयु प्रमाण के रूप में उपयोग नहीं किया जा सकता।
- इस निर्णय में विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा दिये गए पूर्व के निर्णयों और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा अगस्त 2023 में जारी किये गए एक परिपत्र पर विचार किया गया।
- उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य योजनाओं के तहत आयु के प्रमाण के रूप में आधार को उपयोग करने की अनुमति देने वाला कोई भी कार्यकारी निर्देश न्यायालय के निर्णयों को रद्द नहीं कर सकता।
आधार
- आधार एक 12 अंकों की व्यक्तिगत पहचान संख्या है जिसे भारत सरकार की ओर से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) द्वारा जारी किया जाता है। यह संख्या भारत में कहीं भी पहचान और पते के प्रमाण के रूप में काम आती है।
- आधार कार्ड एक बायोमेट्रिक दस्तावेज है जो व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी को सरकारी डाटाबेस में संग्रहीत करता है।
- देश में छह महीने से अधिक समय तक निवास करने वाले किसी भी व्यक्ति को आधार कार्ड जारी किया जा सकता है, यदि वह 18 मान्यता प्राप्त पहचान पत्रों में से एक और पते का प्रमाण प्रस्तुत करता है।
- विदेशी नागरिक इसे प्राप्त करने के पात्र हैं यदि वे छह महीने से भारत में रह रहे हों।
- आधार संख्या निवासियों को बैंकिंग, मोबाइल फोन कनेक्शन और अन्य सरकारी एवं गैर-सरकारी सेवाओं का लाभ उठाने में सहायता करेगी।
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