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हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम, 2014 में संशोधन
चर्चा में क्यों?
हरियाणा मंत्रिपरिषद हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम, 2014 में संशोधन के लिये अध्यादेश को मंज़ूरी देने वाली है।
मुख्य बिंदु
- हरियाणा सिख गुरुद्वारा (प्रबंधन) अधिनियम, 2014 का उद्देश्य एक कानूनी प्रक्रिया प्रदान करना था जिसके द्वारा गुरुद्वारों को उनके उचित उपयोग, प्रशासन, नियंत्रण और वित्तीय प्रबंधन सुधारों के लिये हरियाणा के सिखों के विशेष नियंत्रण में लाया जा सके।
- इस अधिनियम ने हरियाणा के ऐतिहासिक गुरुद्वारों, 20 लाख रुपए से अधिक या उससे कम आय वाले गुरुद्वारों के प्रबंधन के लिये एक अलग न्यायिक इकाई बनाई।
- प्रस्तावित संशोधन:
- न्यायिक नियुक्तियाँ: प्रस्तावित संशोधन में हरियाणा सिख गुरुद्वारा न्यायिक आयोग के अध्यक्ष के रूप में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति का प्रावधान शामिल है।
- यदि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति नहीं होती है तो ज़िला न्यायाधीश या आयोग के वरिष्ठ सदस्य की नियुक्ति पर विचार किया जाएगा।
- पेंशन/पारिवारिक पेंशन में संशोधन: हरियाणा सरकार से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वह द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (SNJPC) के अनुसार हरियाणा सरकार के सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारियों के लिये पेंशन/पारिवारिक पेंशन में संशोधन के मुद्दे पर भी विचार करेगी।
- न्यायिक नियुक्तियाँ: प्रस्तावित संशोधन में हरियाणा सिख गुरुद्वारा न्यायिक आयोग के अध्यक्ष के रूप में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति का प्रावधान शामिल है।
द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग
- आयोग का गठन वर्ष 2017 में अखिल भारतीय न्यायाधीश संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसरण में संविधान के अनुच्छेद 32 (संवैधानिक उपचार) के अंतर्गत किया गया था।
- इसकी अध्यक्षता सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी. वेंकटराम रेड्डी कर रहे हैं।
- कुछ उद्देश्य इस प्रकार हैं:
- देश भर में अधीनस्थ न्यायपालिका से संबंधित न्यायिक अधिकारियों के वेतन ढाँचे और परिलब्धियों को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों को विकसित करना।
- राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में न्यायिक अधिकारियों के पारिश्रमिक तथा सेवा शर्तों की वर्तमान संरचना की जाँच करना एवं सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन आदि जैसे लाभों सहित उपयुक्त सिफारिशें करना।
- ऐसे अंतरिम राहत पर विचार करना और सिफारिश करना जिसे आयोग सभी श्रेणियों के न्यायिक अधिकारियों के लिये उचित समझे।
- एक स्वतंत्र आयोग द्वारा समय-समय पर अधीनस्थ न्यायपालिका के सदस्यों के वेतन और सेवा शर्तों की समीक्षा करने के लिये एक स्थायी तंत्र की स्थापना के संबंध में सिफारिशें करना।
- सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आयोग, यदि आवश्यक हो, सिफारिशों को अंतिम रूप दिये जाने पर किसी भी मामले पर रिपोर्ट भेजने पर विचार कर सकता है।
- आयोग को अपनी स्वयं की प्रक्रिया तैयार करने तथा कार्य पूरा करने के लिये आवश्यक तौर-तरीके तैयार करने का अधिकार दिया गया है।
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