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माधव राष्ट्रीय उद्यान देश का 58वाँ टाइगर रिज़र्व
चर्चा में क्यों?
9 मार्च, 2025 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने मध्य प्रदेश के माधव राष्ट्रीय उद्यान को देश का 58वाँ बाघ अभयारण्य घोषित किया। यह नया राष्ट्रीय उद्यान मान्यता पाने वाला राज्य का 9वाँ राष्ट्रीय उद्यान भी है।
मुख्य बिंदु
- माधव राष्ट्रीय उद्यान
- शिवपुरी ज़िले में स्थित यह राष्ट्रीय उद्यान ऊपरी विंध्य पहाड़ियों का हिस्सा है और ऐतिहासिक रूप से मुगल सम्राटों व ग्वालियर के महाराजाओं का शिकार क्षेत्र रहा है।
- इसे वर्ष 1959 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था।
- इस उद्यान में झीलें, शुष्क पर्णपाती व काँटेदार वन सहित समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र है, जहाँ बाघ, तेंदुआ, नीलगाय, चिंकारा, चौसिंगा और विभिन्न प्रकार के हिरण पाए जाते हैं।
- यह भारत के 32 प्रमुख बाघ कॉरिडोर में शामिल है, इसे वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत बाघ संरक्षण योजना के माध्यम से संचालित किया जाता है।
- महत्त्व:
- यह निर्णय "प्रोजेक्ट टाइगर" के तहत बाघ संरक्षण प्रयासों को और अधिक मज़बूती देगा और भारत को जैवविविधता संरक्षण के प्रयासों में एक अग्रणी भूमिका निभाने में सहायता करेगा।
- इससे बाघों की संख्या में वृद्धि सुनिश्चित करने और उनके प्राकृतिक आवास को सुरक्षित करने में सहायता मिलेगी।
- विगत वर्ष दिसंबर में, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से सैद्धांतिक स्वीकृति प्राप्त होने के बाद मध्य प्रदेश के रतापानी वन्यजीव अभयारण्य को देश का 57वाँ बाघ अभयारण्य घोषित किया गया था।
प्रोजेक्ट टाइगर:
- परिचय:
- प्रोजेक्ट टाइगर भारत में एक वन्यजीव संरक्षण पहल है जिसे वर्ष 1973 में शुरू किया गया था।
- प्रोजेक्ट टाइगर का प्राथमिक उद्देश्य समर्पित टाइगर रिज़र्व बनाकर बाघों की आबादी के प्राकृतिक आवासों में अस्तित्त्व और रखरखाव सुनिश्चित करना है।
- बाघों की संख्या में वृद्धि:
- वर्ष 1972 में पहली बाघ जनगणना में 1,827 बाघों की गिनती के लिये अविश्वसनीय पग-चिह्न पद्धति का उपयोग किया गया था।
- 2022 तक, बाघों की आबादी 3,167-3,925 होने का अनुमान है, जो प्रतिवर्ष 6.1% की वृद्धि दर को दर्शाता है।
- अब भारत विश्व के तीन-चौथाई बाघों का घर है।


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तीन ताप विद्युत गृहों को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला
चर्चा में क्यों?
मध्यप्रदेश के तीन ताप विद्युत गृहों को फ्लाई ऐश के कुशल व प्रभावी प्रबंधन के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया।
मुख्य बिंदु
- पुरस्कार के बारे में:
- यह पुरस्कार मध्यप्रदेश पॉवर जनरेटिंग कंपनी (MPPGCL) के श्री सिंगाजी ताप विद्युत गृह दोंगलिया, सतपुड़ा ताप विद्युत गृह सारनी व अमरकंटक ताप विद्युत गृह चचाई को प्रदान किया गया।
- यह सम्मान फ्लाई ऐश उपयोगिता-2025 विषय पर गोवा में आयोजित 14वें अंतर्राष्ट्रीय आवासीय सम्मेलन के दौरान दिया गया।
- यह सम्मेलन मिशन एनर्जी फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया गया था, जो एक गैर-लाभकारी संगठन है।
- पुरस्कार श्रेणी
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सतपुड़ा ताप विद्युत गृह और अमरकंटक ताप विद्युत गृह को यह पुरस्कार 500 मेगावाट स्थापित क्षमता से कम श्रेणी में प्रदान किया गया।
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जबकि श्री सिंगाजी ताप विद्युत गृह को यह पुरस्कार 500 मेगावाट स्थापित क्षमता से अधिक श्रेणी में प्रदान किया गया।
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श्री सिंगाजी ताप विद्युत गृह ने 100 प्रतिशत से अधिक फ्लाई ऐश का सतत् व प्रभावी उपयोग किया है।.
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फ्लाई ऐश
- परिचय
- फ्लाई ऐश (Fly Ash) प्राय: कोयला संचालित विद्युत संयंत्रों से उत्पन्न प्रदूषक है, जिसे दहन कक्ष से निष्कासित गैसों द्वारा ले जाया जाता है।
- इसे इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रीसिपिटेटर या बैग फिल्टर द्वारा निष्कासित गैसों से एकत्र किया जाता है।
- इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रीसिपिटेटर (ESP) को एक फिल्टर उपकरण के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसका उपयोग प्रवाहित होने वाली गैस से धुएँ और धूल जैसे महीन कणों को हटाने के लिये किया जाता है।
- इस उपकरण को प्रायः वायु प्रदूषण नियंत्रण संबंधी गतिविधियों के लिये प्रयोग किया जाता है।
- संयोजन
- फ्लाई ऐश में पर्याप्त मात्रा में सिलिकॉन डाइऑक्साइड (SiO2), एल्युमीनियम ऑक्साइड (Al2O3), फेरिक ऑक्साइड (Fe2O3) और कैल्शियम ऑक्साइड (CaO) शामिल होते हैं।
- अनुप्रयोग:
- इसका उपयोग कंक्रीट और सीमेंट उत्पादों, रोड बेस, मेटल रिकवरी और मिनरल फिलर आदि में किया जाता है।
- हानिकारक प्रभाव:
- फ्लाई ऐश के कण विषैले वायु प्रदूषक हैं। ये हृदय रोग, कैंसर, श्वसन रोग और स्ट्रोक को बढ़ावा दे सकते हैं।

