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उत्तर प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 07 Mar 2024
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हरित हाइड्रोजन परियोजना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने अपनी पाँच-वर्षीय हरित हाइड्रोजन नीति को मंज़ूरी दी, जिसमें वर्ष 2028 के लक्ष्य के लिये पर्याप्त क्षमता को प्रोत्साहित करने हेतु सब्सिडी कार्यक्रम के लिये 50.4 बिलियन रुपए (608 मिलियन अमेरिकी डॉलर) निर्धारित किये गए हैं।

मुख्य बिंदु:

  • सफल होने पर, यह नीति भारत के राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत वर्ष 2030 तक पाँच मिलियन टन वार्षिक उत्पादन तक पहुँचने के लक्ष्य का पाँचवाँ हिस्सा पूरा कर लेगी।
    • यह नीति निर्बाध जीवाश्म ईंधन का उपयोग करके बनाए गए ग्रे हाइड्रोजन को बदलने के लिये ज़्यादातर औद्योगिक प्रक्रियाओं जैसे रसायनों और तेल शोधन में मौजूदा मांग को लक्षित करेगी।
    • अब तक, हाइड्रोजन उत्पादन तकनीक गैस पर निर्भर रही है, जिसे ग्रे हाइड्रोजन के रूप में जाना जाता है। ग्रे हाइड्रोजन से ग्रीन हाइड्रोजन में परिवर्तन के लिये अब एक महत्त्वपूर्ण प्रयास चल रहा है।
  • यह नीति वर्ष 2028 तक अगले चार वर्षों के भीतर सालाना दस लाख मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य की रूपरेखा तैयार करती है।
  • जिन उत्पादकों को फास्ट-ट्रैक पर्यावरण अनुमति/परमिटिंग दी जाएगी, वे इंट्रास्टेट ग्रिड का उपयोग करने से जुड़े ट्रांसमिशन शुल्क पर पूर्ण छूट के साथ-साथ विद्युत कर (दस वर्षों के लिये) और स्टांप शुल्क से भी पूर्ण छूट के पात्र होंगे।
  • फास्ट ट्रैक परमिटिंग में बेहतर पर्यावरण नीतियों और प्रक्रियाओं का एक सेट शामिल है जो पूरे राष्ट्रमंडल में विकास तथा आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।
  • राज्य सरकार, राज्य में हरित हाइड्रोजन परियोजनाएँ स्थापित करने वाले राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों को प्रति वर्ष एक रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से भूमि पट्टे पर देने का भी प्रस्ताव कर रही है।
  • निजी नवीकरणीय हाइड्रोजन निवेशक प्रति वर्ष 15,000 रुपए (USD 181) प्रति एकड़ की भूमि पट्टा दर के लिये पात्र होंगे।

हाइड्रोजन

  • स्वच्छ वैकल्पिक ईंधन विकल्प के लिये हाइड्रोजन पृथ्वी पर सबसे प्रचुर तत्त्वों में से एक है।
  • हाइड्रोजन का प्रकार उसके बनने की प्रक्रिया पर निर्भर करता है:
    • ग्रीन हाइड्रोजन अक्षय ऊर्जा (जैसे- सौर, पवन) का उपयोग करके जल के इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा निर्मित होता है और इसमें कार्बन फुटप्रिंट कम होता है
      • इसके तहत विद्युत द्वारा जल (H2O) को हाइड्रोजन (H) और ऑक्सीजन (O2) में विभाजित किया जाता है।
      • उपोत्पाद: जल, जलवाष्प।
    • ब्राउन हाइड्रोजन का उत्पादन कोयले का उपयोग करके किया जाता है जहाँ उत्सर्जन को वायुमंडल में निष्कासित किया जाता है।
    • ग्रे हाइड्रोजन (Grey Hydrogen) प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होता है जहाँ संबंधित उत्सर्जन को वायुमंडल में निष्कासित किया जाता है।
    • ब्लू हाइड्रोजन (Blue Hydrogen) प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होती है, जहाँ कार्बन कैप्चर और स्टोरेज का उपयोग करके उत्सर्जन को कैप्चर किया जाता है।
  • उपयोग:
    • हाइड्रोजन एक ऊर्जा वाहक है, न कि स्रोत और यह ऊर्जा की अधिक मात्रा को वितरित या संग्रहीत कर सकता है।
    • इसका उपयोग फ्यूल सेल में विद्युत या ऊर्जा और ऊष्मा उत्पन्न करने के लिये किया जा सकता है।
      • वर्तमान में पेट्रोलियम शोधन और उर्वरक उत्पादन में हाइड्रोजन का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है, जबकि परिवहन एवं अन्य उपयोगिताएँ इसके लिये उभरते बाज़ार हैं।
    • हाइड्रोजन और ईंधन सेल वितरित या संयुक्त ताप तथा शक्ति सहित विविध अनुप्रयोगों में उपयोग के लिये ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं; अतिरिक्त उर्जा; अक्षय ऊर्जा के भंडारण एवं इसे सक्षम करने के लिये सिस्टम; पोर्टेबल विद्युत आदि।
    • इनकी उच्च दक्षता और शून्य या लगभग शून्य-उत्सर्जन संचालन के कारण हाइड्रोजन एवं फ्यूल सेलों जैसे कई अनुप्रयोगों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने की क्षमता है। 


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प्रोजेक्ट प्रवीण के तहत कौशल प्रशिक्षण

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार ने 'प्रोजेक्ट प्रवीण' के माध्यम से राज्य में 61,000 से अधिक लड़के और लड़कियों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान किया है।

मुख्य बिंदु:

  • इस योजना के तहत युवाओं को रोज़गार बाज़ार के लिये तैयार होने के लिये मुफ्त कौशल प्रशिक्षण और नए ज़माने के पाठ्यक्रम प्रदान किये जा रहे हैं।
  • यह परियोजना राज्य के उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों के लिये है।
    • छात्र अपने नियमित अध्ययन के साथ-साथ IT क्षेत्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, सौंदर्य, स्वास्थ्य सेवा, परिधान और लेखांकन जैसे अपने हितों से जुड़े ट्रेडों में दैनिक निःशुल्क प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
  • 'प्रोजेक्ट प्रवीण' माध्यमिक शिक्षा और उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) के तहत संचालित किया जा रहा है।
  • इस परियोजना का प्राथमिक उद्देश्य राज्य की शिक्षा प्रणाली और पाठ्यक्रम में सुधार करना है।
  • प्रोजेक्ट प्रवीण को वर्ष 2022-23 में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया था।
    • इस अवधि के दौरान, 150 सरकारी माध्यमिक विद्यालयों में 20,582 छात्रों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके अलावा, कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय को भी इस योजना से जोड़ा गया, जिससे 3,450 छात्राओं को प्रशिक्षण की सुविधा मिली।
    • वर्ष 2023-24 के लिये परियोजना के तहत कुल 315 सरकारी माध्यमिक विद्यालयों को शामिल किया गया है।
    • इन संस्थानों के माध्यम से अब तक 61,400 छात्रों को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है।
  • प्रस्तावित सभी पाठ्यक्रम राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर प्रामाणित और अनुमोदित हैं।
    • प्रशिक्षण और मूल्यांकन पूरा होने पर, छात्रों को ऐसे प्रमाण-पत्र प्रदान किये जाते हैं जिनकी पूरे देश में वैधता होती है।
  • प्रोजेक्ट प्रवीण के तहत प्रशिक्षण लेने वाले छात्रों को स्कूल में ही निजी प्रशिक्षण केंद्रों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है।
  • ये प्रशिक्षक शिक्षकों के प्रशिक्षण (TOT) कार्यक्रम के तहत प्रमाणित हैं और कौशल विकास मिशन के तहत पंजीकृत हैं।

उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन (UPSDM)

  • यूपी कौशल विकास मिशन की स्थापना 13 सितंबर, 2013 को यूपी सरकार के व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास विभाग के तहत सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत एक सोसायटी के रूप में की गई थी।
  • वर्ष 2022 तक 500 मिलियन लोगों को कुशल बनाने के लक्ष्य के साथ वर्ष 2009 में एक राष्ट्रीय कौशल विकास नीति शुरू की गई थी। राष्ट्रीय योजना के तहत, उत्तर प्रदेश राज्य का लक्ष्य 12वीं पंचवर्षीय योजना के अंत तक 4 मिलियन से अधिक युवाओं को कौशल प्रदान करना है।
  • इस लक्ष्य को प्राप्त करने और राज्य के युवाओं को रोज़गारपरक कौशल प्रदान करने के लिये UPSDM की स्थापना की गई है।
    • राज्य कौशल विकास नीति का लाभ उठाते हुए सभी कौशल विकास पहलों का समन्वय करना अनिवार्य है।
    • इसने कौशल विकास प्रशिक्षण आयोजित करने के लिये सरकारी प्रशिक्षण भागीदारों के अलावा निजी प्रशिक्षण भागीदारों को सूचीबद्ध किया।

राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (NCVET)

  • NCVET को 5 दिसंबर 2018 को भारत सरकार द्वारा एक नियामक निकाय के रूप में स्थापित किया गया था। यह 1 अगस्त 2020 से पूरी तरह से चालू हो गया है।
  • यह मानकों को स्थापित करने, व्यापक नियमों को विकसित करने और व्यावसायिक शिक्षा, प्रशिक्षण एवं कौशल पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करने के उद्देश्य से एक व्यापक राष्ट्रीय नियामक के रूप में कार्य करता है।
  • NCVET का प्राथमिक उद्देश्य मज़बूत उद्योग इंटरफेस सुनिश्चित करना और व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण की गुणवत्ता तथा परिणामों को बढ़ाने वाले प्रभावी नियमों को लागू करना है।

राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन (NSDM)

  • इसका उद्देश्य कौशल प्रशिक्षण गतिविधियों के संदर्भ में क्षेत्रों और राज्यों में अभिसरण बनाना है।
  • इसका उद्देश्य गति और मानकों के साथ बड़े पैमाने पर कौशल हासिल करने के लिये सभी क्षेत्रों में निर्णय लेने में तेज़ी लाना है।


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