हरियाणा Switch to English
गर्भिणी-दृष्टि
चर्चा में क्यों?
भारत ने देश की पहली फेरेट अनुसंधान सुविधा का उद्घाटन करके, गर्भ-इनि-दृष्टि डेटा रिपोजिटरी का शुभारंभ करके तथा एक प्रमुख प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते को अंतिम रूप देकर, अत्याधुनिक जैव-चिकित्सा अनुसंधान और नवाचार के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में एक बड़ा कदम आगे बढ़ाया है।
- यह कार्यक्रम हरियाणा के फरीदाबाद स्थित NCR बायोटेक साइंस क्लस्टर स्थित ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (THSTI) में आयोजित किया गया।
मुख्य बिंदु
- THSTI फेरेट अनुसंधान सुविधा:
- भारत ने THSTI फेरेट अनुसंधान सुविधा का उद्घाटन किया, जो उच्चतम जैव सुरक्षा और अनुसंधान मानकों का पालन करने वाली एक अत्याधुनिक स्थापना है।
- यह सुविधा टीकाकरण के विकास, चिकित्सीय परीक्षण और उभरते संक्रामक रोगों पर अनुसंधान में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- यह भारत की महामारी संबंधी तैयारी रणनीति को सशक्त करता है और वैश्विक वैज्ञानिक अनुसंधान में इसकी स्थिति को बढ़ाता है।
- गर्भ-इनि-दृष्टि:
- गर्भ-इनि-दृष्टि (GARBH-INi-DRISHTI) THSTI में एक अग्रणी DBT डेटा रिपोजिटरी और सूचना साझाकरण केंद्र है।
- यह प्लेटफॉर्म 12,000 से अधिक गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं और प्रसवोत्तर माताओं से नैदानिक डेटा, चित्र और जैविक नमूनों की उपलब्धता प्रदान करता है।
- दक्षिण एशिया के सबसे बड़े मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य डेटाबेस में से एक के रूप में, यह शोधकर्त्ताओं को मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य परिणामों में सुधार के लिये परिवर्तनकारी अध्ययन करने में सक्षम बनाता है।
- यह पहल भारत के अग्रणी अनुसंधान संस्थानों और अस्पतालों के बीच सहयोगात्मक प्रयास का प्रतिनिधित्व करती है, जो एक प्रबल अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देती है।
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौता:
- THSTI ने अपने नवोन्मेषी माइक्रोबियल कंसोर्टियम, लैक्टोबेसिलस क्रिस्पैटस के व्यावसायीकरण के लिये मेसर्स सुंद्योटा नुमांडिस प्रोबायोस्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- गर्भ-इनि समूह में नामांकित महिलाओं के प्रजनन पथ से पृथक किया गया यह सिंथेटिक माइक्रोबियल संघ, न्यूट्रास्युटिकल अनुप्रयोगों के लिये अपार संभावनाएँ रखता है।
- यह समझौता लक्षित माइक्रोबायोम-आधारित हस्तक्षेपों के माध्यम द्वारा अनुसंधान को वास्तविक विश्व स्वास्थ्य समाधानों में परिवर्तित करने की सुविधा प्रदान करता है।
- THSTI ने अपने नवोन्मेषी माइक्रोबियल कंसोर्टियम, लैक्टोबेसिलस क्रिस्पैटस के व्यावसायीकरण के लिये मेसर्स सुंद्योटा नुमांडिस प्रोबायोस्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक प्रौद्योगिकी हस्तांतरण समझौते पर हस्ताक्षर किये।
गर्भ-इनि (GARBH-INi)
- गर्भ-इनि (जन्म परिणामों पर उन्नत अनुसंधान के लिये अंतःविषय समूह-DBT इंडिया पहल) की शुरुआत वर्ष 2014 में जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा एक सहयोगात्मक अंतःविषय कार्यक्रम के रूप में की गई थी।
- यह कार्यक्रम ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (THSTI), NCR बायोटेक क्लस्टर, फरीदाबाद द्वारा संचालित किया जाता है।
- इसका उद्देश्य समय से पूर्व जन्म (PTB) के जैविक और गैर-जैविक जोखिमों को स्पष्ट करना है, ताकि महत्त्वपूर्ण ज्ञान-संचालित हस्तक्षेप और प्रौद्योगिकियों का निर्माण किया जा सके, जिन्हें इस रोग के लिये नैदानिक अभ्यास और समुदाय में स्थायी रूप से क्रियान्वित किया जा सके।
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हरियाणा Switch to English
म्हारी लाडो रेडियो कार्यक्रम
चर्चा में क्यों?
हरियाणा सरकार ने प्रमुख पहल "म्हारी लाडो" रेडियो कार्यक्रम शुरू किया, जो बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना के तहत एक अनुकरणीय सफलता की कहानी बन गया है।
मुख्य बिंदु
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना:
- भारत सरकार ने 22 जनवरी, 2015 को पानीपत, हरियाणा में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ (BBBP) योजना शुरू की गई।
- इस पहल का उद्देश्य घटते बाल लिंग अनुपात (CSR) को संबोधित करना और यह सुनिश्चित करना है कि लड़कियों और महिलाओं को समान अवसर, देखभाल और सम्मान मिले।
- BBBP योजना के उद्देश्य:
- जागरूकता और हस्तक्षेप के माध्यम से जन्म के समय लिंग अनुपात में वृद्धि करना।
- मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के लिये संस्थागत प्रसव में सुधार करना।
- माध्यमिक शिक्षा में लड़कियों का नामांकन बढ़ाना तथा स्कूल छोड़ने की दर पर अंकुश लगाना।
- मातृ कल्याण के लिये शीघ्र प्रसवपूर्व देखभाल (ANC) पंजीकरण को प्रोत्साहित करना।
- सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता और प्रबंधन (MHM) पर जागरूकता को बढ़ावा देना।
- म्हारी लाडो रेडियो कार्यक्रम:
- इसे BBBP के तहत एक प्रमुख पहल के रूप में 16 अगस्त, 2024 को लॉन्च किया गया था।
- इस समुदाय-संचालित कार्यक्रम का उद्देश्य लैंगिक असमानता को दूर करना, लड़कियों को सशक्त बनाना और हरियाणा में बेटियों के महत्त्व को बढ़ावा देना है।
- प्रसारण कार्यक्रम: प्रत्येक बुधवार और गुरुवार को आकाशवाणी (AIR) स्टेशनों- चंडीगढ़, हिसार, रोहतक और कुरुक्षेत्र पर।
- विषय-वस्तु का प्रारूप: 15 मिनट के खंडों में लैंगिक समानता और सशक्तीकरण पर समुदायों को शामिल करने के लिये कहानियाँ, साक्षात्कार और चर्चाएँ शामिल हैं।
- अधिकतम पहुँच के लिये लामबंदी रणनीतियाँ:
- हरियाणा सरकार ने कार्यक्रम की पहुँच बढ़ाने के लिये एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाया।
- प्रमुख हितधारकों ने समुदायों को संगठित किया:
- ज़िला कार्यक्रम अधिकारी (DPO) और बाल विकास परियोजना अधिकारी (CDPO)।
- आँगनवाड़ी कार्यकर्त्ता और वन स्टॉप सेंटर (OSC), प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) और पोषण (POSHAN) अभियान के कर्मचारी।
- आँगनवाड़ी केंद्रों पर सुनवाई सत्र आयोजित किये गए, जिनमें पुरुषों और महिलाओं दोनों को चर्चा में शामिल किया गया।
- डिजिटल पहुँच:
- प्रतिभागियों को आसान पहुँच के लिये "न्यूज़ ऑन AIR" ऐप डाउनलोड करने के लिये प्रोत्साहित किया गया।
- ऐप के उपयोग संबंधी दिशा-निर्देश व्हाट्सएप, टेलीफोन और ईमेल के माध्यम से साझा किये गए।
प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY)
- यह मातृत्व लाभ कार्यक्रम 1 जनवरी, 2017 से देश के सभी ज़िलों में क्रियान्वित किया गया।
- यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसका क्रियान्वयन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा किया गया।
- गर्भवती महिलाओं को उनके बैंक खाते में सीधे नकद लाभ प्रदान किये जाते हैं, ताकि उनकी बढ़ी हुई पोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके और आंशिक रूप से मज़दूरी हानि की भरपाई की जा सके।
पोषण अभियान
- पोषण (POSHAN) अभियान (राष्ट्रीय पोषण मिशन) सरकार द्वारा 8 मार्च, 2018 को शुरू किया गया था।
- अभियान का लक्ष्य बौनापन, कुपोषण, एनीमिया (छोटे बच्चों, महिलाओं और किशोरियों में) को कम करना तथा जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों की संख्या में क्रमशः 2%, 2%, 3% और 2% प्रति वर्ष की कमी लाना है।
- मिशन का लक्ष्य वर्ष 2022 तक 0-6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों में बौनेपन को 38.4% से घटाकर 25% तक लाना था।
- पोषण 2.0:
- सरकार ने समान उद्देश्यों वाले विभिन्न कार्यक्रमों जैसे पूरक पोषण कार्यक्रम और पोषण अभियान को एक अम्ब्रेला-मिशन पोषण 2.0 के अंतर्गत समाहित कर दिया है, ताकि संचालन में तालमेल बनाया जा सके और पोषण सेवा तंत्र में एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया जा सके।
- सरकार ने समान उद्देश्यों वाले विभिन्न कार्यक्रमों जैसे पूरक पोषण कार्यक्रम और पोषण अभियान को एक अम्ब्रेला-मिशन पोषण 2.0 के अंतर्गत समाहित कर दिया है, ताकि संचालन में तालमेल बनाया जा सके और पोषण सेवा तंत्र में एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया जा सके।
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