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हरियाणा सीआईडी ने साइबर अपराध जाँच कौशल बढ़ाने के लिये समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये
चर्चा में क्यों?
हरियाणा के आपराधिक अन्वेषण विभाग (CID) और केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स तथा सूचना प्रौद्योगिकी संगठन, उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र (C-DAC) ने व्यापक क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से साइबर अपराध जाँच में कानून प्रवर्तन कर्मियों के कौशल को बढ़ाने हेतु एक समझौता ज्ञापन (MoA) पर हस्ताक्षर किये।
मुख्य बिंदु:
- इस कार्यक्रम में साइबर फोरेंसिक विश्लेषण, साइबर खतरे की खुफिया जानकारी और सामाजिक खुफिया तरीकों में प्रशिक्षण शामिल होगा।
- MoA के तहत, हरियाणा CID अपनी साइबर फोरेंसिक क्षमता निर्माण और अनुसंधान पहल को मज़बूत करने के लिये C-DAC के साथ सहयोग करेगी।
- दूसरी ओर, C-DAC सोशल मीडिया और साइबर अपराध के लिये समाधान विकसित करेगा, सशुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रस्तुत करेगा तथा अनुसंधान प्रयासों के लिये सहायता प्रदान करेगा।
- यह सहयोग साइबर अपराध से निपटने में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमताओं को मज़बूत करने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
आपराधिक अन्वेषण विभाग (CID)
- ब्रिटिश सरकार द्वारा वर्ष 1902 में स्थापित, CID राज्य पुलिस का एक जाँच और खुफिया विभाग है। दूसरी ओर, CBI केंद्र सरकार की एक एजेंसी है।
- CID संबंधित उच्च न्यायालयों के निर्देशानुसार हत्या, हमले, दंगा या किसी भी मामले की जाँच कर रही है।
उन्नत कंप्यूटिंग विकास केंद्र (C-DAC)
- C-DAC आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स और संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान एवं विकास करने के लिये इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) का प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संगठन है।
- भारत का पहला सुपरकंप्यूटर PARAM 8000 स्वदेशी रूप से (वर्ष 1991 में) सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग द्वारा बनाया गया था।
- इसकी स्थापना वर्ष 1988 में हुई थी।
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हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014
चर्चा में क्यों?
हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग (HRTSC) के मुख्य आयुक्त के अनुसार, सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 के तहत शुरू की गई ऑटो अपील प्रणाली (AAS) नागरिकों को सेवा वितरण में पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने में एक गेम चेंजर है।
मुख्य बिंदु:
- HRTSC ने चंडीगढ़ स्थित इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड कम्युनिकेशन (IDC) द्वारा आयोजित एक विस्तृत अध्ययन "हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम 2014 के कार्यान्वयन का तुलनात्मक मूल्यांकन" के निष्कर्षों की समीक्षा की।
- IDC अध्ययन से पता चलता है कि हरियाणा एक मज़बूत शिकायत निवारण मंच प्रदान करके एक अग्रणी राज्य के रूप में उभरा है। HRTSC द्वारा ऑटो अपील तंत्र का प्रभावी कार्यान्वयन और दोषी अधिकारी पर ज़ुर्माना लगाने से नागरिकों को परेशानी मुक्त सेवाएँ सुनिश्चित हो रही हैं।
- सार्वजनिक सेवाओं की समय पर और पारदर्शी उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 1 सितंबर, 2021 को AAS लॉन्च किया।
- AAS लॉन्च होने से पहले, सेवा वितरण में देरी की स्थिति में अपील को मैन्युअल रूप से दाखिल करने का प्रावधान था। हालाँकि, यह बोझिल था, जिसके कारण नागरिक अपील दायर करने के लिये आगे नहीं आ रहे थे।
- अब यदि किसी व्यक्ति का कार्य समय पर नहीं होता है और वह कार्य सेवा का अधिकार कानून के दायरे में आता है तो AAS के तहत आवेदन अपीलीय प्राधिकारी के पास जाता है।
- अगर कोई कार्य नहीं हुआ तो आवेदन उच्च अधिकारी के पास चला जाता है। फिर भी अगर इन दोनों स्तरों पर कार्य नहीं होता है तो आवेदन स्वत: आयोग के पास चला जाता है।
- इस अध्ययन के मुख्य निष्कर्षों से पता चला कि लाभार्थियों में से 73% को अनुरोध के अनुसार सेवा प्राप्त हुई और 46% लाभार्थी समग्र आवेदन प्रक्रिया से संतुष्ट थे।
- इन निष्कर्षों में यह भी बताया गया है कि AAS ने अपील प्रणाली को कागज़ रहित बना दिया है और नागरिकों द्वारा पहले उठाए जाने वाले कानूनी बोझ एवं अपनी जेब से होने वाली लागत को कम कर दिया है।
हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014
- इसे पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिये हरियाणा राज्य के तहत विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं की समयबद्ध उपलब्धता के लिये एक प्रभावी ढाँचा प्रदान करने के एकमात्र उद्देश्य से अधिनियमित किया गया था।
- इस अधिनियम ने लोगों को एक प्रभावी सेवा वितरण तंत्र के माध्यम से परेशानी मुक्त, पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से सेवाओं का अधिकतम लाभ प्राप्त करने का अधिकार दिया है।
- निर्धारित समय-सीमा के भीतर और बिना किसी परेशानी के प्रदान की जाने वाली सेवाएँ सरकारी कामकाज की विश्वसनीयता को बढ़ाएँगी। इससे सरकार द्वारा सेवाएँ प्रदान करने के संबंध में लोगों की अधिकतम अपेक्षाएँ भी पूरी होंगी।
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दृष्टिबाधित बालिका को 'प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' से सम्मानित किया गया
चर्चा में क्यों?
महेंद्रगढ़ ज़िले की दृष्टिबाधित बालिका गरिमा को नई दिल्ली में समाज सेवा श्रेणी में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा 'प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार' दिया गया।
- उन्हें "साक्षर पाठशाला" की उनकी वीरतापूर्ण पहल के लिये सम्मानित किया गया, जिसमें उनके द्वारा 1000 से अधिक छात्रों को शिक्षा के लिये जोड़ा गया था।
मुख्य बिंदु:
- यह पुरस्कार पूरे देश से 19 युवाओं को प्रदान किया गया। ये बच्चे 26 जनवरी को राष्ट्रीय गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेते हैं।
- गरिमा अपनी "साक्षर पाठशाला" के माध्यम से झुग्गी-झोपड़ी के व्यक्तियों और बच्चों को जीवन में शिक्षा के महत्त्व तथा यह कैसे प्रगति की राह पर ले जाती है, के बारे में प्रोत्साहित तथा प्रेरित करती है।
- शिक्षा एक मौलिक अधिकार है और बच्चे के जीवन का एक महत्त्वपूर्ण घटक है क्योंकि यह उन्हें देश की प्रगति में योगदान करने की अनुमति भी देता है।
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार
- प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 5 से 18 वर्ष की आयु के उन बच्चों को दिया जाता है जिन्होंने बहादुरी, संस्कृति, पर्यावरण, कला, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, सामाजिक सेवा और खेल जैसी श्रेणियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया हो।
- वर्ष 2024 के लिये कुल 19 बच्चों का चयन किया गया, जिनमें से 4 समाज सेवा श्रेणी में थे।
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