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स्टेट पी.सी.एस.

  • 06 May 2024
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मध्य प्रदेश Switch to English

अवैध रेत खनन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्य प्रदेश में अवैध रूप से खनन की गई रेत का परिवहन कर रहे एक ट्रैक्टर ने एक पुलिस अधिकारी को टक्कर मार दी थी।

मुख्य बिंदु:

  • मध्य प्रदेश में अवैध रेत खनन बड़े पैमाने पर हो रहा है, सोन नदी के किनारे से सैकड़ों डंपर रेत का परिवहन कर रहे हैं।
  • रेत खनन बाद के प्रसंस्करण के लिये मूल्यवान खनिजों, धातुओं, कुचला हुआ पत्थर, रेत और बजरी को निकालने के लिये प्राकृतिक पर्यावरण (स्थलीय, नदी, तटीय या समुद्री) से प्राथमिक प्राकृतिक रेत एवं रेत संसाधनों (खनिज रेत और समुच्चय) को हटाना है।
  • विभिन्न कारकों से प्रेरित यह गतिविधि पारिस्थितिक तंत्र और समुदायों के लिये गंभीर खतरा उत्पन्न करती है।

सोन नदी

  • सोन नदी, मध्य भारत की एक चिरस्थायी नदी है और गंगा की दूसरी सबसे बड़ी दक्षिणी सहायक नदी है।
  • छत्तीसगढ़ में अमरकंटक पहाड़ी के पास से निकलकर, यह छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार से होकर बहती है तथा अमरकंटक पठार पर जलप्रपात बनाती है।
    • यह बिहार के पटना के निकट गंगा में मिल जाती है।
  • सहायक नदियों में घाघर, जोहिला, छोटी महानदी, बनास, गोपद, रिहंद, कन्हर और उत्तरी कोएल नदी शामिल हैं।
  • प्रमुख बाँधों में मध्य प्रदेश में बाणसागर बाँध और उत्तर प्रदेश में पिपरी के पास रिहंद बाँध शामिल हैं।


मध्य प्रदेश Switch to English

कुनो राष्ट्रीय उद्यान का चीता भटककर राजस्थान पहुँचा

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान के चीतों में से एक लगभग 50 किमी. तक भटकता हुआ राजस्थान के करौली में पहुँच गया।

  • हालाँकि उसे शांत कर दिया गया और उसी शाम सुरक्षित वापस लौटा दिया गया।

मुख्य बिंदु:

  •  वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार चीता ने संभवतः चंबल नदी के रास्ते का अनुसरण किया है जो मध्य प्रदेश और राजस्थान के करौली से होकर बहती है।
    • यह भारत की सबसे प्रदूषण मुक्त नदियों में से एक है। 
    • यह 960 किमी. लंबी नदी है जो विंध्य पर्वत (इंदौर, मध्य प्रदेश) के उत्तरी ढलानों में सिंगर चौरी चोटी से निकलती है। वहांँ से यह मध्य प्रदेश में उत्तर दिशा में लगभग 346 किमी. तक बहती है और फिर राजस्थान में प्रवेश कर 225 किमी. उत्तर-पूर्व दिशा में प्रवाहित होती है।
    • यह यू.पी. के इटावा ज़िले में यमुना नदी में मिलने से पहले लगभग 32 किमी. तक बहती है। 
    • यह एक वर्षा सिंचित नदी है और इसका बेसिन विंध्य पर्वत शृंखलाओं और अरावली से घिरा हुआ है। चंबल और उसकी सहायक नदियाँ उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में बहती हैं। 
    • सहायक नदियाँ: बनास, काली सिंध, पार्वती। 
    • मुख्य विद्युत परियोजनाएंँ/बांँध: गांधी सागर बांँध, राणा प्रताप सागर बांँध, जवाहर सागर बांँध और कोटा बैराज। 
    • राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के ट्राई-जंक्शन पर चंबल नदी के किनारे स्थित है। यह गंभीर रूप से लुप्तप्राय घड़ियाल, रेड क्राउन रूफ टर्टल और लुप्तप्राय गंगा नदी डॉल्फिन के लिये जाना जाता है।

 



छत्तीसगढ़ Switch to English

दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने किया सरेंडर

चर्चा में क्यों?

हाल ही में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा ज़िले में 35 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया। इन कैडरों को सड़कें खोदने, सड़कों को अवरुद्ध करने के लिये पेड़ काटने और नक्सलियों द्वारा बुलाए गए शटडाउन के दौरान पोस्टर तथा बैनर लगाने का कार्य सौंपा गया था।

मुख्य बिंदु:

  • अधिकारियों के मुताबिक ये नक्सली दक्षिण बस्तर में माओवादियों की भैरमगढ़, मलांगेर और कटेकल्याण एरिया कमेटी का हिस्सा थे।
    • वे पुलिस के पुनर्वास अभियान 'लोन वर्रातु' (घर वापस आइए) से प्रभावित थे और खोखली माओवादी विचारधारा से निराश थे।
      • माओवाद माओ त्से तुंग द्वारा विकसित साम्यवाद का एक रूप है। यह सशस्त्र विद्रोह, जन लामबंदी और रणनीतिक गठबंधनों के संयोजन के माध्यम से राज्य की सत्ता पर कब्ज़ा करने का एक सिद्धांत है।
  • इन नक्सलियों को सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत सुविधाएँ प्रदान की जाएंगी।
  • इसके साथ ही जून 2020 में शुरू किये गए पुलिस के लोन वर्राटू अभियान के तहत ज़िले में अब तक 180 इनामी समेत 796 नक्सली मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं।

लोन वर्राटू

  • ‘लोन वर्राटू’अभियान का अर्थ है ‘घर वापस आइए’।
  • यह अभियान उन नक्सलियों के लिये चलाया गया, जो लाल आतंक का रास्ता छोड़कर वापस समाज की मुख्य धारा में शामिल होने का इरादा रखते थे।
  • इस अभियान के तहत कई नक्सलियों ने आतंक का रास्ता छोड़ा।

नक्सलवाद

  • नक्सलवाद शब्द का नाम पश्चिम बंगाल के गाँव नक्सलबाड़ी से लिया गया है।
  • इसकी शुरुआत स्थानीय ज़मींदारों के खिलाफ विद्रोह के रूप में हुई, जिसने भूमि विवाद पर एक किसान की पिटाई की थी।
  • यह आंदोलन जल्द ही पूर्वी भारत में छत्तीसगढ़, ओडिशा और आंध्रप्रदेश जैसे राज्यों के कम विकसित क्षेत्रों में फैल गया।
  • वामपंथी उग्रवादी (LWE) विश्व भर में माओवादियों और भारत में नक्सली के रूप में लोकप्रिय हैं।
  • उद्देश्य
    • वे सशस्त्र क्रांति के माध्यम से भारत सरकार को उखाड़ फेंकने और माओवादी सिद्धांतों पर आधारित एक कम्युनिस्ट राज्य की स्थापना का समर्थन करते हैं।
    • वे राज्य को दमनकारी, शोषक और सत्तारूढ़ अभिजात वर्ग के हितों की सेवा करने वाले के रूप में देखते हैं, वे सशस्त्र संघर्ष एवं जनयुद्ध (People's War) के माध्यम से सामाजिक-आर्थिक शिकायतों का समाधान करना चाहते हैं।

छत्तीसगढ़ Switch to English

मतदान प्रतिशत वृद्धि में स्वयं सहायता समूहों का योगदान

चर्चा में क्यों?

लोकसभा चुनाव- 2024 के तीसरे चरण में मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिये छत्तीसगढ़ के बलरामपुर ज़िले में एक पहल ध्यान आकर्षित कर रही है।

मुख्य बिंदु:

  • महिला स्वयं सहायता समूह द्वारा घर-घर जाकर मतदाताओं से मिलने, इमली के पत्ते और पीले चावल वितरित करने जैसे पारंपरिक तरीकों का प्रयोग कर मतदान में अधिक सार्वजनिक भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  • इस प्रयास ने न केवल ग्रामीणों में उत्साह जगाया है बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने में सामुदायिक भागीदारी की शक्ति का भी प्रदर्शन किया है।
    • इस पहल को ज़िला प्रशासन का भी पूरा समर्थन प्राप्त है।

स्वयं सहायता समूह (Self Help Groups - SHG

  • स्वयं सहायता समूह (SHG) उन लोगों के अनौपचारिक संघ हैं जो अपने जीवन स्तर में सुधार के तरीके खोजने के लिये एक साथ संगठित होते हैं।
  • इसे समान सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि वाले और सामूहिक रूप से एक सामान्य उद्देश्य को पूरा करने के इच्छुक लोगों के स्व-शासित, सहकर्मी-नियंत्रित सूचना समूह के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
  • स्व-रोज़गार और गरीबी उन्मूलन को प्रोत्साहित करने के लिये SHG "स्वयं सहायता" की धारणा पर निर्भर करता है।
  • उद्देश्य:
    • रोज़गार और आय सृजन गतिविधियों के क्षेत्र में गरीबों तथा हाशिये पर मौजूद लोगों की कार्यात्मक क्षमता का निर्माण करना।
    • सामूहिक नेतृत्व एवं आपसी विचार-विमर्श के माध्यम से विवादों का समाधान करना।
    • बाज़ार संचालित दरों पर समूह द्वारा तय की गई शर्तों के साथ संपार्श्विक मुक्त ऋण प्रदान करना।
    • संगठित स्रोतों से उधार लेने का प्रस्ताव करने वाले सदस्यों के लिये सामूहिक गारंटी प्रणाली के रूप में कार्य करना।
      • गरीब अपनी बचत इकट्ठा करके बैंकों में जमा करते हैं। बदले में उन्हें अपना सूक्ष्म इकाई उद्यम शुरू करने के लिये कम ब्याज दर पर आसानी से ऋण प्राप्त होता है।


उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड वनाग्नि: ग्लेशियरों के लिये संकट

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड में वनाग्नि की घटना के कारण क्षेत्र के वनों को भारी नुकसान पहुँचा है। नवंबर 2023 से, वनाग्नि की 886 अलग-अलग घटनाओं में 1,107 हेक्टेयर वन क्षेत्र नष्ट हो गया है, जिससे स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र पर गहरा प्रभाव पड़ने की चिंता उत्पन्न हो गई है।

मुख्य बिंदु:

  • भारतीय वन सर्वेक्षण (Forest Survey of India- FSI) ने मौजूदा संकट की गंभीरता पर ज़ोर देते हुए, उत्तराखंड में कई वनाग्नि-अलर्ट जारी किये हैं।
  • वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के एक पूर्व वैज्ञानिक ने विशेष रूप से गर्मियों के दौरान वनाग्नि के कारण वातावरण में ब्लैक कार्बन की बढ़ती सांद्रता पर प्रकाश डाला है, जो ग्लेशियर के पिघलने का प्रमुख कारण है और पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के नाज़ुक संतुलन को बाधित करता है।
  • विश्व बैंक द्वारा हाल ही में किये गए एक अध्ययन में ग्लेशियर पिघलने की गति बढ़ाने में ब्लैक कार्बन की भूमिका को रेखांकित किया गया है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, ब्लैक कार्बन के संचय से न केवल ग्लेशियर की सतहों का परावर्तन कम हो जाता है, जिससे सौर विकिरण का अवशोषण बढ़ जाता है, बल्कि हवा का तापमान भी बढ़ जाता है, जिससे ग्लेशियर के स्खलन की गति और तेज़ हो जाती है।
  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने हिमालय में ग्लेशियरों के तेज़ी से पिघलने और ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते खतरों की चेतावनी दी है।
  • उनके हालिया अध्ययन में ब्लैक कार्बन उत्सर्जन के प्रभावों को कम करने और हिमालय क्षेत्र के नाज़ुक पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिये ठोस प्रयासों की आवश्यकता बताई गई है।

वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी (Wadia Institute of Himalayan Geology- WIHG)

  • वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग का एक स्वायत्त अनुसंधान संस्थान है।
  • जून, 1968 में दिल्ली विश्वविद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग के दो कक्ष में एक छोटे केंद्र के रूप में स्थापित इस संस्थान को अप्रैल, 1976 के दौरान देहरादून में स्थानांतरित कर दिया गया था।

ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF)

  • यह एक प्रकार की विनाशकारी बाढ़ है जो तब होती है जब हिमनद झील बाँध असंतुलित हो जाता है, जिससे बहुत बड़ी मात्रा में जल प्रवाह होता है।
  • इस प्रकार की बाढ़ आम तौर पर ग्लेशियरों के तेज़ी से पिघलने या भारी वर्षा या पिघले जल के प्रवाह के कारण झील में जल के अति-संचय के कारण होती है।
  • फरवरी 2021 में, उत्तराखंड के चमोली ज़िले में अचानक बाढ़ की घटना हुई, जिसके बारे में संदेह है कि यह GLOF के कारण हुई थी।
  • कारण:
    • ये बाढ़ कई कारकों से उत्पन्न हो सकती है, जिनमें ग्लेशियर की मात्रा में परिवर्तन, झील के जल स्तर में परिवर्तन और भूकंप शामिल हैं।
    • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority- NDMA) के अनुसार, हिंदूकुश हिमालय के अधिकांश हिस्सों में होने वाले जलवायु परिवर्तन के कारण हिमनदों के स्खलन से कई नए हिमनद झीलों का निर्माण हुआ है, जो GLOF का प्रमुख कारण हैं।


उत्तराखंड Switch to English

उत्तराखंड में वनाग्नि के कारण हवाई सेवा बाधित

चर्चा में क्यों?

वनाग्नि की आग के धुएँ के कारण नैनी-सैनी हवाईअड्डे पर दृश्यता कम होने के कारण सीमावर्ती ज़िले के पिथौरागढ़ और मुनस्यारी कस्बों के लिये हवाई सेवाएँ रोक दी गईं।

मुख्य बिंदु:

  • हवाई अड्डे के आस-पास दृश्यता 1000 मीटर से कम थी, जबकि हवाई यातायात को सुरक्षित रूप से संचालित करने के लिये न्यूनतम 5000 मीटर दृश्यता की आवश्यकता होती है।
    • सौर घाटी के अलावा चंपावत की क्वीराला घाटी और लोहाघाट, झूलाघाट एवं गौरीहाट के वनों में भी आग फैल रही है।
    • ज़िले के विभिन्न स्थानों में सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के स्वास्थ्य पेशेवरों के अनुसार, साँस लेने में कठिनाई तथा आँखों में जलन की चिंताओं के साथ बड़ी संख्या में मरीज़ अस्पतालों में आ रहे हैं।
  • नैनी-सैनी हवाई अड्डा जिसे अन्यथा पिथौरागढ़ हवाई पट्टी भी कहा जाता है, पिथौरागढ़, उत्तराखंड में स्थित है। हवाई पट्टी का वर्ष 1991 में आधिकारिक उपयोग के लिये निर्माण कराया गया था और डोर्नियर 228 की फ्लाइंग मशीन के संचालन के लिये तैयार की गई थी।


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