लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

राजस्थान स्टेट पी.सी.एस.

  • 06 Apr 2024
  • 0 min read
  • Switch Date:  
राजस्थान Switch to English

सौर अपशिष्ट प्रबंधन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में 'भारत के सौर उद्योग में एक चक्रीय अर्थव्यवस्था को सक्षम करना - सौर अपशिष्ट क्वांटम का आकलन' शीर्षक वाली एक रिपोर्ट भारत के बढ़ते सौर अपशिष्ट संकट पर प्रकाश डालती है।

मुख्य बिंदु:

  • यह अध्ययन नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) द्वारा ऊर्जा, पर्यावरण तथा जल परिषद (एशिया में एक अग्रणी गैर-लाभकारी नीति अनुसंधान संस्थान) के विशेषज्ञों के सहयोग से आयोजित किया गया था।
  • रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ:
    • वित्त वर्ष 2023 तक भारत की वर्तमान सौर क्षमता द्वारा लगभग 100 किलोटन संचयी अपशिष्ट उत्पन्न किया है, जो वर्ष 2030 तक बढ़कर 340 किलोटन हो जाएगा।
    • वर्ष 2030 तक अनुमानित कचरे का लगभग 67% पाँच राज्यों द्वारा उत्पादित होने की आशा है: राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा आंध्र प्रदेश
    • फेंके गए सौर मॉड्यूल में भारत के आर्थिक विकास तथा राष्ट्रीय सुरक्षा हेतु आवश्यक महत्त्वपूर्ण खनिज शामिल हैं, जिनमें सिलिकॉन, ताँबा, टेल्यूरियम एवं कैडमियम शामिल हैं।
  • राजस्थान में देश के सभी राज्यों की तुलना में सबसे अधिक सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता है।
    • अगस्त 2023 तक, राजस्थान की परिचालन सौर ऊर्जा परियोजनाओं ने लगभग 17.8 गीगावॉट सौर ऊर्जा का उत्पादन किया।

सौर अपशिष्ट

  • सौर अपशिष्ट सौर मॉड्यूल के निर्माण के दौरान उत्पन्न कोई भी अपशिष्ट है या विनिर्माण प्रक्रियाओं से छोड़े गए मॉड्यूल और स्क्रैप हैं।
    • मॉड्यूल को उनके कार्यात्मक जीवन के अंत में या परिवहन, हैंडलिंग और स्थापना से क्षति के कारण त्याग दिया जाता है।
    • सौर अपशिष्ट के अनुचित प्रबंधन और भूमिभरण से बचना चाहिये। मूल्यवान खनिजों को पुनः प्राप्त करने तथा सीसा एवं कैडमियम जैसे विषाक्त पदार्थों के निक्षालन को रोकने के लिये उचित उपचार आवश्यक है।
  • अंतर्राष्ट्रीय नवीकरणीय ऊर्जा एजेंसी (International Renewable Energy Agency- IRENA) के अनुसार, ग्लास और मेटल फ्रेम सहित सौर पैनल के लगभग 80% घटक पुनर्चक्रण योग्य हैं।
    • काँच, एल्यूमीनियम, ताँबा, सिलिकॉन और चाँदी जैसी सामग्रियों को पुनर्प्राप्त करने के लिये सौर अपशिष्ट का पुनर्चक्रण किया जा सकता है।
    • पुनर्चक्रण को आमतौर पर यांत्रिक, थर्मल और रासायनिक प्रक्रियाओं में वर्गीकृत किया जा सकता है।
      • प्रत्येक प्रक्रिया अलग-अलग शुद्धता ग्रेड के विशिष्ट खनिजों की पुनर्प्राप्ति में मदद करती है।

 Switch to English
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2