उत्तराखंड में ततैया के हमले से कई लोगों की मौत | उत्तराखंड | 04 Oct 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड में एक दुखद घटना ने वन्यजीव संघर्ष के खतरों को उज़ागर किया, जिसके परिणामस्वरूप ततैया के हमले में पिता और पुत्र की मृत्यु हो गई।
मुख्य बिंदु
- घटना का अवलोकन:
- उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल ज़िले के जौनपुर ब्लॉक के वनों में अपनी गायों को चराते समय ततैयों के हमले में 47 वर्षीय एक व्यक्ति और उसके आठ वर्षीय बेटे की दुखद मौत हो गई।
- ततैया और उनके खतरे:
- प्रकार और आक्रामकता:
- पीले जैकेट, पेपर ततैया और हॉरनेट सहित ततैया अपने घोंसलों को परेशान किये जाने पर आक्रामक व्यवहार प्रदर्शित कर सकते हैं।
- उनके पास तीक्ष्ण दंश होते हैं, जिनकी सहायता से वे खतरे के समय कई बार दंश मार सकते हैं।
- दंश के प्रभाव:
- ततैया के दंश से आमतौर पर तत्काल दर्द, सूजन और उस स्थान पर लालिमा उत्पन्न होती है, क्योंकि उसके विष में विषैले एंज़ाइम और प्रोटीन होते हैं।
- व्यक्तियों को एलर्जी संबंधी प्रतिक्रियाएँ हो सकती हैं, जिनमें पित्ती जैसे हल्के लक्षणों से लेकर गंभीर तीव्रग्राहिता (एनाफाइलैक्सिस) तक शामिल हो सकते हैं, जिसमें साँस लेने में कठिनाई, सूजन और चेतना की संभावित हानि शामिल है।
- एकाधिक दंश और जोखिम:
- एकाधिक दंश खासकर संवेदनशील व्यक्तियों में गंभीर प्रणालीगत प्रतिक्रियाओं के ज़ोखिम को काफी हद तक बढ़ा देते हैं।
- ततैया के दंश से तीव्रग्राहिता (एनाफाइलैक्सिस) हो सकती है, जिससे गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं या मृत्यु को रोकने के लिये तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है।
- रोकथाम और आपातकालीन प्रतिक्रिया:
- दंश से बचने के लिये, चमकीले रंगों और पुष्प पैटर्न से बचना, कीट विकर्षक का उपयोग करना, और घोंसले को हटाने के लिये पेशेवर मदद लेना।
- दंश लगने की स्थिति में, उस जगह को साफ करना, ठंडी पट्टी लगाना और यदि आवश्यक हो तो दर्द निवारक लेना। गंभीर प्रतिक्रियाओं के लिये तत्काल चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता होती है।