दिवाली के प्रदूषण से बचने के लिये उत्तराखंड में शरण | उत्तराखंड | 04 Nov 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में NCR (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) क्षेत्र में वायु की निम्न गुणवत्ता ने निवासियों को स्वच्छ वायु और स्वस्थ दिवाली मनाने के लिये उत्तराखंड की ओर प्रेरित किया है।
प्रमुख बिंदु
- पर्यटक बुकिंग में बढ़ोतरी:
- प्रदूषण से बचने के लिये NCR के निवासी उत्तराखंड में, विशेषकर देहरादून, नैनीताल और मसूरी जैसे क्षेत्रों में होटल और होमस्टे की बुकिंग तेज़ी से कर रहे हैं।
- दिवाली के दौरान उत्तराखंड में प्रदूषण का स्तर अपेक्षाकृत कम रहता है, जिससे यह NCR के धुंध भरे आसमान के बीच एक आकर्षक शरणस्थल बन जाता है।
- परिवार, विशेषकर बुजुर्ग और बच्चों वाले, शहरी क्षेत्रों में उच्च प्रदूषण स्तर से जुड़े स्वास्थ्य ज़ोखिमों से बचने को प्राथमिकता देते हैं।
- इस आगमन से उत्तराखंड की पर्यटन अर्थव्यवस्था को लाभ मिलता है, तथा आवास और स्थानीय सेवाओं की मांग बढ़ जाती है।
उत्तराखंड का दिवाली उपहार | उत्तराखंड | 04 Nov 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड ने दिवाली लाभ के रूप में राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिये महँगाई भत्ते (Dearness Allowance- DA) में वृद्धि की घोषणा की।
प्रमुख बिंदु
- महँगाई भत्ते में बढ़ोतरी:
- उत्तराखंड ने घरेलू खर्चों पर महँगाई के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से सरकारी कर्मचारियों के लिये महँगाई भत्ते में एक निश्चित प्रतिशत की वृद्धि की।
- महँगाई भत्ता 50% से बढ़ाकर 53% प्रतिमाह कर दिया गया है।
- महँगाई भत्ते में वृद्धि सभी नियमित और पूर्णकालिक राज्य कर्मचारियों एवं UGC से संबद्ध अधिकारियों पर 1 जुलाई 2024 से लागू होगी, जिसमें जुलाई से सितंबर 2024 तक का बकाया नकद देय होगा।
- राज्य सरकार के अधीन कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को कवर करते हुए बढ़ा हुआ महँगाई भत्ता तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है।
- आर्थिक प्रभाव:
- यह वृद्धि कर्मचारियों की क्रय शक्ति को बढ़ावा देती है, जो विशेष रूप से त्यौहारी सीजन के दौरान अधिक महत्त्वपूर्ण होती है, जब व्यय आमतौर पर अधिक होता है।
- इसी प्रकार के महँगाई भत्ते के समायोजन विभिन्न राज्यों में देखे जा रहे हैं, क्योंकि इनका उद्देश्य बढ़ती जीवन-यापन लागत के बीच वित्तीय राहत प्रदान करना है।
महँगाई भत्ता (DA)
- यह महँगाई को संतुलित करने के लिये जीवन-यापन की लागत का समायोजन है, जो सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को प्रदान किया जाता है। इसकी गणना मूल वेतन के प्रतिशत के रूप में की जाती है।