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उत्तर प्रदेश ने संस्कृत छात्रवृत्ति योजना का विस्तार किया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने संस्कृत शिक्षा को समर्थन देने, छात्रों की पात्रता और वित्त पोषण बढ़ाने के लिये एक नई छात्रवृत्ति योजना शुरू की।
प्रमुख बिंदु
- विस्तार:
- इस योजना के तहत अब 586 लाख रुपए के बजट के साथ 69,195 छात्रों को सहायता दी जा रही है, जो कि पहले के 300 लाभार्थियों से उल्लेखनीय वृद्धि है।
- पिछली योजना के विपरीत, जिसमें सख्त आयु सीमा थीं, नई छात्रवृत्ति उत्तर प्रदेश के सभी योग्य संस्कृत छात्रों के लिये खुली है।
- CM ने कंप्यूटर विज्ञान जैसे वैज्ञानिक क्षेत्रों में संस्कृत की प्रासंगिकता पर ज़ोर दिया तथा छात्रों को इसे व्यापक अनुप्रयोगों वाली भाषा के रूप में देखने के लिये प्रोत्साहित किया।
- पारंपरिक गुरुकुल शिक्षा के लिये समर्थन:
- गुरुकुल शैली के स्कूलों को पुनर्जीवित करने की योजना की घोषणा की गई, जिसमें आवासीय सुविधाओं के लिये बेहतर समर्थन और योग्य शिक्षकों की नियुक्ति शामिल है।
- वैदिक विज्ञान केंद्र की स्थापना से अनुसंधान में सुविधा होगी तथा पारंपरिक संस्कृत ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक जाँच के साथ एकीकृत किया जा सकेगा।
गुरुकुल
- 'गुरुकुल' प्राचीन भारत में एक प्रकार की शिक्षा प्रणाली थी जिसमें शिष्य (छात्र) गुरु के साथ एक ही घर में रहते थे।
- नालंदा में विश्व की सबसे पुरानी विश्वविद्यालय शिक्षा प्रणाली है।
- विश्व भर के छात्र भारतीय ज्ञान प्रणालियों की ओर आकर्षित हुए।
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कुंभ मेला 2025 की तैयारियाँ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कुंभ मेले 2025 को अधिक सुरक्षित एवं सांस्कृतिक रूप से समृद्ध आयोजन बनाने के लिये उपायों की घोषणा की ।
मुख्य बिंदु
- उन्नत सुरक्षा उपाय:
- भीड़ नियंत्रण और आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिये ड्रोन सहित उन्नत सुरक्षा और निगरानी प्रणालियाँ तैनात की जाएँगी।
- सांस्कृतिक प्रदर्शनियाँ:
- पूरे मेले में पारंपरिक प्रदर्शन और प्रदर्शनियाँ होंगी, जो भारत की विविध विरासत पर प्रकाश डालेंगी।
- बुनियादी ढाँचागत विकास:
- लाखों तीर्थयात्रियों की सुविधा के लिये सड़क विस्तार, बेहतर स्वच्छता और उन्नत सुविधाओं को प्राथमिकता दी गई है।
- पर्यावरण अनुकूल पहल:
- अपशिष्ट को न्यूनतम करने तथा गंगा नदी एवं आसपास के क्षेत्रों की स्वच्छता बनाए रखने के लिये कदम।
कुंभ मेला
- कुंभ मेला तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है, जिसके दौरान प्रतिभागी पवित्र नदी में स्नान करते हैं।
- कुंभ मेला UNESCO की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची के अंतर्गत आता है।
- यह महोत्सव प्रयागराज (गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती के संगम पर), हरिद्वार (गंगा के तट पर), उज्जैन (शिप्रा के तट पर) व नासिक (गोदावरी के तट पर) में प्रत्येक चार वर्ष में आयोजित किया जाता है और इसमें जाति, पंथ या लिंग के भेदभाव के बिना लाखों लोग भाग लेते हैं।
- चूँकि यह भारत के चार अलग-अलग शहरों में आयोजित किया जाता है, इसमें विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं, जिससे यह सांस्कृतिक रूप से विविधतापूर्ण त्योहार बन जाता है।
- यह आयोजन खगोल विज्ञान, ज्योतिष, अध्यात्म, अनुष्ठानिक परंपराओं तथा सामाजिक और सांस्कृतिक रीति-रिवाज़ों एवं प्रथाओं को समाहित करता है, जिससे यह ज्ञान की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध बन जाता है।
- परंपरा से संबंधित ज्ञान और कौशल प्राचीन धार्मिक पांडुलिपियों, मौखिक परंपराओं, ऐतिहासिक यात्रा वृत्तांतों और प्रख्यात इतिहासकारों द्वारा तैयार ग्रंथों के माध्यम से प्रसारित किये जाते हैं।
- आश्रमों और अखाड़ों में साधुओं के बीच गुरु-शिष्य संबंध कुंभ मेले से संबंधित ज्ञान और कौशल प्रदान करने और उसकी सुरक्षा करने का सबसे महत्त्वपूर्ण तरीका बना हुआ है।
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