मध्य प्रदेश Switch to English
बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में हाथियों की मौत
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में चार हाथी मृत पाए गए और पाँच अन्य गंभीर रूप से बीमार पाए गए, जिसके पश्चात वन्यजीव अधिकारियों और संरक्षण टीमों द्वारा गहन जाँच की गई।
मुख्य बिंदु
- बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व:
- मध्य प्रदेश में स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व जैव विविधता से समृद्ध क्षेत्र में विस्तृत है और भारत के प्रमुख बाघ आवासों में से एक है।
- हाथियों की आबादी:
- मूल रूप से हाथियों से रहित इस अभ्यारण्य में 2018 में छत्तीसगढ़ से हाथियों के झुंड का पहला प्रवास हुआ, जिससे अभ्यारण्य के भीतर हाथियों की स्थायी आबादी की शुरुआत हुई।
- प्रारंभिक झुंड में लगभग 15-20 हाथी थे और तब से उन्हें रिज़र्व के मुख्य तथा बफर दोनों क्षेत्रों में देखा गया है।
- ये हाथी आरक्षित वन (RF) 384 और संरक्षित वन (PF) 183 A, खितौली और पतौर कोर रेंज के सलखनिया बीट में स्थित थे।
बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व (BTR)
- यह मध्य प्रदेश के उमरिया ज़िले में स्थित है और विंध्य पहाड़ियों पर विस्तृत है।
- 1968 में इसे राष्ट्रीय उद्यान के रूप में अधिसूचित किया गया तथा 1993 में प्रोजेक्ट टाइगर नेटवर्क के तहत पड़ोसी पनपथा अभयारण्य में बाघ अभयारण्य घोषित किया गया।
- यह रॉयल बंगाल टाइगर्स के लिये जाना जाता है। बांधवगढ़ में बाघों की आबादी का घनत्व भारत के साथ-साथ दुनिया में भी सबसे ज़्यादा है।
- ये धाराएँ फिर सोन नदी (गंगा नदी की एक महत्त्वपूर्ण दक्षिणी सहायक नदी) में विलीन हो जाती हैं।
- महत्त्वपूर्ण शिकार प्रजातियों में चीतल, सांभर, भौंकने वाले हिरण, नीलगाय, चिंकारा, जंगली सुअर, चौसिंघा, लंगूर और रीसस मकाक शामिल हैं।
- बाघ, तेंदुआ, जंगली कुत्ता, भेड़िया और सियार जैसे प्रमुख शिकारी इन पर निर्भर हैं।
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