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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 04 Sep 2024
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भूस्खलन से बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भूस्खलन के कारण भारत-चीन सीमा को जोड़ने वाला ज्योतिर्मठ-मलारी मार्ग तथा कर्णप्रयाग-ग्वालदम राष्ट्रीय राजमार्ग अवरुद्ध हो गया।

मुख्य बिंदु 

  • भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन से पागलनाला, पातालगंगा और नंदप्रयाग में राजमार्ग अवरुद्ध हो गया है।
  • ज्योतिर्मठ-मलारी मार्ग: नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क के भीतर एक ऊँची पहाड़ी सड़क, जो ज्योतिर्मठ (1,934 मीटर) और मलारी (3,033 मीटर) को जोड़ती है।
  • धौलीगंगा नदी के किनारे अत्यधिक ढलान और कई घुमावदार मोड़ हैं, जो सर्दियों में बर्फबारी एवं नदी के बाढ़ के कारण समय-समय पर क्षति का सामना करते हैं।
  • धौलीगंगा: इसका उद्गम वसुधारा ताल से होता है, जो संभवतः उत्तराखंड की सबसे बड़ी हिमनद झील है।
  • धौलीगंगा अलकनंदा की महत्त्वपूर्ण सहायक नदियों में से एक है, अन्य सहायक नदियाँ नंदाकिनी, पिंडर, मंदाकिनी और भागीरथी हैं।
  • यह विष्णुप्रयाग में अलकनंदा में मिल जाती है।
  • नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान: भारत के उत्तराखंड में नंदा देवी (7,816 मीटर) की चोटी के आस-पास स्थित; इसमें नंदा देवी अभयारण्य शामिल है, जो चोटियों से घिरा एक हिमनद बेसिन है और ऋषि गंगा द्वारा अपवाहित है।
  • वर्ष 1982 में संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित, इसका नाम बदलकर नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान कर दिया गया; वर्ष 1988 में इसे UNESCO विश्व धरोहर स्थल के रूप में अंकित किया गया।

    भूस्खलन

    • भूस्खलन गुरुत्वाकर्षण के कारण ढलान से नीचे चट्टान, धरती या मलबे की गति है, जो अक्सर भारी बारिश, भूकंप या ढलान की अस्थिरता जैसे कारकों से शुरू होती है। इसके परिणामस्वरूप सामग्री का विस्थापन होता है, जिससे महत्त्वपूर्ण क्षति और विनाश हो सकता है।


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    जागर लोक संस्कृति उत्सव

    चर्चा में क्यों?

    हाल ही में सरकार ने जागर लोक संस्कृति उत्सव में राज्य की समृद्ध लोक संस्कृति का जश्न मनाया और सच्चिदानंद सेमवाल की पुस्तक उत्तराखंड का लोक पुत्र प्रीतम भरतवाण का विमोचन किया तथा उत्तराखंड की लोक संस्कृति के ब्रांड एंबेसडर के रूप में प्रीतम भरतवाण की प्रशंसा की।

    मुख्य बिंदु:

    • जागर लोक संस्कृति उत्सव: यह उत्तराखंड की लोक संस्कृति और परंपराओं का उत्सव है।
    • जागर: यह शमनवाद का एक हिंदू रूप है जो उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊँ दोनों क्षेत्रों में प्रचलित है। 
      • शमनवाद एक वैश्विक आध्यात्मिक अभ्यास है, जिसमें एक शमन आत्मिक विश्व के साथ बातचीत करने, उपचार करने, आत्माओं के साथ संवाद करने और आत्माओं का मार्गदर्शन करने के लिये चेतना की परिवर्तित अवस्था में प्रवेश करता है।
      • एक अनुष्ठान के रूप में जागर एक तरीका है जिसमें देवताओं और स्थानीय देवताओं को उनकी सुप्त अवस्था से जगाया जाता है तथा उनसे अनुग्रह या उपाय मांगे जाते हैं।
    • प्रीतम भरतवाण: वे उत्तराखंड की पारंपरिक संस्कृति और लोक कलाओं को बढ़ावा देने के लिये जाने जाते हैं।
    • सरकार द्वारा पुनरुद्धार और मान्यता प्रयास:
      • पारंपरिक मेलों को उनके मूल स्वरूप में पुनरुद्धार करने और कलाकारों को बेहतर मंच प्रदान करने के प्रयास चल रहे हैं।
      • जागर गायन शैली को मान्यता दिलाने के लिये पहल की जा रही है।
      • गुरु-शिष्य परंपरा और कला दीर्घाओं के माध्यम से लोक कला एवं संस्कृति से संबंधित लिपियों के संरक्षण तथा प्रकाशन को बढ़ावा दिया जा रहा है।





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    पितृ छाया एक्सप्रेस

    चर्चा में क्यों? 

    हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने मंदिरों के दर्शन के लिये मुंबई से उत्तराखंड तक एक विशेष ट्रेन चलाने की योजना की घोषणा की है।

    मुख्य बिंदु 

    • पितृ छाया एक्सप्रेस: ​​यह ट्रेन पूर्वजों के सम्मान के लिये समर्पित है, जो हरिद्वार में तर्पण, ऋषिकेश, पंच प्रयाग और बद्रीनाथ में ब्रह्म कपाल जैसे महत्त्वपूर्ण तीर्थ स्थलों को कवर करती है।
    • यह श्राद्ध (पितृ पक्ष) अवधि के दौरान पूर्वजों को "तर्पण" करने की हिंदू परंपरा से मेल खाता है।

    नोट: मानसखंड एक्सप्रेस एक और ट्रेन है जो जून 2024 में शुरू हुई है, जो उत्तराखंड के लोकप्रिय स्थलों को कवर करती है, जिसमें ट्रेन यात्रा, भोजन, राज्य के भीतर सड़क यात्रा, दर्शनीय स्थल एवं होटल या होमस्टे में आवास शामिल हैं।

    • कवर किये गए गंतव्य: पुनागिरी मंदिर, नानकमत्ता गुरुद्वारा, चंपावत में चाय बागान, हाट कालिका मंदिर, पाताल भुवनेश्वर मंदिर, जागेश्वर मंदिर, गोलू देवता मंदिर, कैंची धाम, कसार देवी मंदिर, सूर्य मंदिर कटारमल और नैना देवी मंदिर



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