चक्रवात रेमल | झारखंड | 27 May 2024
चर्चा में क्यों?
बंगाल की खाड़ी में गहरा दाब चक्रवात "रेमल" में परिणत हो चुका है, जिससे पश्चिम बंगाल और झारखंड सहित पड़ोसी राज्यों के लिये संभावित खतरे की स्थिति उत्पन्न हो गई है
मुख्य बिंदु:
- राँची स्थित भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD) के मौसम विज्ञानियों ने प्रभावित क्षेत्रों में चक्रवात रेमल की महत्त्वपूर्ण प्रभाव की आशंका जताई है और गंभीर चक्रवाती तूफान के लिये चेतावनी जारी की है।
- IMD के द्वारा 26 मई से 31 मई, 2024 तक राज्य के कई हिस्सों में तड़ित झंझा, आकाशीय तड़ित और तेज़ आँधियों का पूर्वानुमान किया गया है।
- मौसम की इन स्थितियों से जमशेदपुर, राँची, बोकारो, गुमला, हज़ारीबाग, सिमडेगा समेत कई ज़िलों पर असर पड़ने की आशंका है।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की सूची में इस चक्रवात का 'रेमल' नाम ओमान द्वारा दिया गया है। इस प्री-मॉनसून सीज़न- 2024 में इस क्षेत्र में आने वाला यह पहला चक्रवात है।
- अरबी भाषा में 'रेमल' का अर्थ 'रेत' होता है।
मणिपुर में झारखंड के मज़दूरों पर हमला | झारखंड | 27 May 2024
चर्चा में क्यों?
झारखंड के मज़दूर जो बेहतर अवसरों की तलाश में वर्ष 2024 की शुरुआत में संघर्ष प्रभावित मणिपुर में चले गए थे, अब इंफाल में सशस्त्र अपराधियों द्वारा एक व्यक्ति की घातक गोलीबारी और दो अन्य के घायल होने के बाद बड़ी संख्या में वापस आ रहे हैं।
मुख्य बिंदु:
- यह राज्य के जातीय संघर्ष की शुरुआत के बाद से गैर-मणिपुरी व्यक्तियों पर हमले की पहली घटना है।
- गैर-स्थानीय लोगों के खिलाफ हिंसा के ऐसे कृत्यों ने राज्य में सात मैतेई चरमपंथी समूहों पर प्रतिबंध को बार-बार बढ़ाने के केंद्र सरकार के निर्णय में योगदान दिया है।
- मणिपुर में लंबे समय से चले आ रहे जातीय संघर्ष में मैतेई बहुसंख्यक और कुकी-ज़ो अनुसूचित जनजाति समुदाय शामिल हैं।
- संघर्ष में अब तक 225 से अधिक लोगों की मौत दर्ज की गई है, जिसके परिणामस्वरूप हज़ारों लोग घायल हुए हैं और हज़ारों लोगों को आंतरिक रूप से विस्थापित होना पड़ा है।
- राज्य में बड़ी संख्या में गायब हुए हथियारों की वज़ह से नागरिकों का अपहरण और हमले जैसी घटनाओं में वृद्धि का कारण अरामबाई तेंगगोल जैसे कट्टरपंथी संगठनों एवं यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) जैसे घाटी स्थित विद्रोही समूहों के सदस्यों को माना जाता है।
- दोनों समुदायों के बीच तनाव बना हुआ है, जिसके कारण पहाड़ी और घाटी ज़िलों को अलग करने वाले बफर ज़ोन (मध्यवर्ती क्षेत्र) के पास कभी-कभी हमले होते रहते हैं।
मैतेई समुदाय
- मैतेई लोगों को मणिपुरी लोगों के रूप में भी जाना जाता है
- उनकी प्राथमिक भाषा मैतेई है, जिसे मणिपुरी भी कहा जाता है और यह मणिपुर की एकमात्र आधिकारिक भाषा है।
- ये मुख्य रूप से इंफाल घाटी में बसे हुए हैं, हालाँकि एक बड़ी आबादी अन्य भारतीय राज्यों, जैसे- असम, त्रिपुरा, नगालैंड, मेघालय और मिज़ोरम में निवास करती है।
- पड़ोसी देशों म्याँमार और बांग्लादेश में भी मैतेई की उल्लेखनीय उपस्थिति है।
- मैतेई लोग गोत्रों में विभाजित हैं तथा एक ही गोत्र के सदस्य आपस में विवाह नहीं करते हैं।