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बिहार स्टेट पी.सी.एस.

  • 04 Apr 2024
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बिहार को NABARD द्वारा वित्तीय सहायता

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान पुनर्वित्त, प्रत्यक्ष वित्त तथा अनुदान सहायता के रूप में बिहार में 10372.86 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान की।

  • यह NABARD द्वारा राज्य को एक वर्ष में अब तक दी गई सबसे अधिक वित्तीय सहायता है और पिछले वित्तीय वर्ष (2022-23) की तुलना में 21% की वृद्धि दर्ज की गई है।

मुख्य बिंदु:

  • पुनर्वित्त को उत्पादन ऋण, निवेश ऋण और विभिन्न वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) तथा सहकारी बैंकों के धान खरीद कार्यों हेतु बढ़ाया गया था, जबकि ग्रामीण बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिये राज्य सरकार को प्रत्यक्ष वित्त सहायता दी गई थी।
    • किसान उत्पादक संगठनों (FPO), वाटरशेड विकास, जनजातीय विकास, प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (PACS) कंप्यूटरीकरण कार्यक्रम, कौशल और उद्यम विकास, वित्तीय साक्षरता तथा जागरूकता कार्यक्रमों के क्षेत्र में ग्रामीण इलाकों में विकासात्मक पहल के लिये विभिन्न एजेंसियों को अनुदान सहायता प्रदान की गई थी।

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD)

  • नाबार्ड एक विकास बैंक है जो प्राथमिक तौर पर देश के ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है। यह कृषि एवं ग्रामीण विकास हेतु वित्त प्रदान करने के लिये शीर्ष बैंकिंग संस्थान है।
  • इसका मुख्यालय देश की वित्तीय राजधानी मुंबई में अवस्थित है।
  • कृषि के अतिरिक्त यह छोटे उद्योगों, कुटीर उद्योगों एवं ग्रामीण परियोजनाओं के विकास के लिये उत्तरदायी है।
  • यह एक सांविधिक निकाय है जिसकी स्थापना वर्ष 1982 में राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम, 1981 के तहत की गई थी।

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) 

  • क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRB) की स्थापना 26 सितंबर, 1975 को प्रख्यापित अध्यादेश और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम, 1976 के प्रावधानों के तहत वर्ष 1975 में की गई थी।
  • RRB वित्तीय संस्थान हैं जो कृषि और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों के लिये पर्याप्त ऋण सुनिश्चित करते हैं।
  • RRB ग्रामीण समस्याओं से परिचित होने के साथ सहकारी विशेषताओं और वाणिज्यिक बैंक की व्यावसायिक एवं वित्तीय संसाधनों को जुटाने की क्षमता का विस्तार करते हैं।

सहकारी बैंक

  • यह साधारण बैंकिंग व्यवसाय से निपटने के लिये सहकारी आधार पर स्थापित एक संस्था है। सहकारी बैंकों की स्थापना शेयरों के माध्यम से धन एकत्र करने, जमा स्वीकार करने और ऋण देने के द्वारा की जाती है। 
  • ये सहकारी ऋण समितियाँ हैं जहाँ एक समुदाय समूह के सदस्य एक-दूसरे को अनुकूल शर्तों पर ऋण प्रदान करते हैं। 
  • वे संबंधित राज्य के सहकारी समिति अधिनियम या बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के तहत पंजीकृत हैं। 
  • सहकारी बैंक निम्न द्वारा शासित होते हैं: 
    • बैंकिंग विनियम अधिनियम, 1949 
    • बैंकिंग कानून (सहकारी समिति) अधिनियम, 1955 
  • वे प्रमुख रूप से शहरी और ग्रामीण सहकारी बैंकों में विभाजित हैं। 

प्राथमिक कृषि सहकारी समितियाँ

  • PACS सहकारी समितियाँ हैं जो अपने सदस्यों, जिनमें अधिकतर किसान हैं, को अल्पकालिक ऋण और अन्य सेवाएँ प्रदान करती हैं।
  • वे भारत में सहकारी ऋण संरचना के ज़मीनी स्तर के संस्थान हैं।
  • PACS को कंप्यूटरीकरण, बहुसेवा, विद्युत, जल, दवाओं के वितरण और सामान्य सेवा केंद्र (CSC) के रूप में सेवाएँ प्रदान करके परिवर्तित किया जा रहा है।


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SJVN ने IIT पटना के साथ साझेदारी की

चर्चा में क्यों?

हाल ही में SJVN लिमिटेड ने अपनी सुरंग परियोजनाओं में उन्नत भूवैज्ञानिक मॉडल का उपयोग करने के लिये भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान- पटना (IIT पटना) के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किये हैं। इससे समय और लागत में काफी कमी आएगी।

मुख्य बिंदु:

  • इस साझेदारी के प्रमुख परिणामों में से एक प्रीडिक्टिव एनालिटिक्स एल्गोरिदम्स का विकास होगा।
    • ये एल्गोरिदम एकीकृत भू-तकनीकी डेटा का लाभ उठाकर संभावित जोखिमों का पहले से अनुमान लगाएंगे और विशेष रूप से सुरंग परियोजनाओं के लिये तैयार की गई प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली प्रदान करेंगे।
    • इस तरह के सक्रिय उपायों से परियोजना कार्यान्वयन के दौरान समय और लागत में काफी कमी होने की आशा है।
  • MoU की प्राथमिकता अत्याधुनिक कार्यप्रणाली विकसित करना है जो विविध भू-तकनीकी डेटा स्रोतों को एकीकृत करती है।
    • इनमें SJVN की परियोजनाओं से संबंधित भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, बोरहोल डेटा, भूभौतिकीय माप और निगरानी डेटा शामिल होंगे।
  • इस सहभागिता का उद्देश्य ओवरबर्डन व डिफोर्मेशन (विरूपण) के बीच जटिल संबंधों का मूल्यांकन करना भी है, जिससे सुरंग परियोजनाओं के लिये महत्त्वपूर्ण समर्थन प्रणालियों के मूल्यांकन और डिज़ाइन को संवर्द्धित किया जा सके।
    • एकीकृत भू-तकनीकी डेटा और 3D भूवैज्ञानिक मॉडल का उपयोग करके, SJVN तथा IIT- पटना का लक्ष्य संभावित जोखिमों व खतरों की पहचान करना एवं उनका विश्लेषण करना है।

सतलुज जल विद्युत निगम (SJVN लिमिटेड)

  • यह एक भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है जो जलविद्युत ऊर्जा उत्पादन और ट्रांसमिशन में शामिल है।
  • इसे वर्ष 1988 में नाथपा झाकड़ी पावर कॉर्पोरेशन के रूप में शामिल किया गया था, जो भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार के बीच एक संयुक्त उद्यम था।


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