उत्तर प्रदेश Switch to English
राजा महेंद्र प्रताप सिंह जयंती
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दूरदर्शी राष्ट्रवादी राजा महेंद्र प्रताप सिंह (1886-1979) की 138वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्य बिंदु
- पृष्ठभूमि:
- राजा महेंद्र प्रताप सिंह का जन्म 1 दिसंबर, 1886 को हाथरस, उत्तर प्रदेश में हुआ था।
- वह एक स्वतंत्रता सेनानी, क्रांतिकारी, लेखक और समाज सुधारक थे।
- उन्होंने 1909 में उत्तर प्रदेश के वृंदावन में एक तकनीकी संस्थान, प्रेम महाविद्यालय की स्थापना की।
- स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान:
- महेंद्र प्रताप ने 1906 में कोलकाता में हुए कॉन्ग्रेस अधिवेशन में सक्रिय रूप से भाग लिया, स्वदेशी आंदोलन का समर्थन किया और स्वदेशी उद्योगों और स्थानीय कारीगरों का समर्थन किया।
- महेंद्र प्रताप भारत के स्वतंत्रता संग्राम में गहराई से शामिल थे। 1915 में, प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, उन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का विरोध करते हुए, काबुल, अफगानिस्तान में भारत की पहली अनंतिम सरकार की घोषणा की, जिसके अध्यक्ष वे स्वयं थे।
- उन्होंने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारत की लड़ाई के लिये जर्मनी, जापान और रूस जैसे देशों से समर्थन मांगा।
- कहा जाता है कि बोल्शेविक क्रांति के दो वर्ष बाद 1919 में उनकी मुलाकात व्लादिमीर लेनिन से हुई थी।
- उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1940 में जापान में भारत के कार्यकारी बोर्ड का भी गठन किया था।
- अंतर्राष्ट्रीयवादी एवं शांति समर्थक:
- महेंद्र प्रताप को शांति के लिये वैश्विक वकालत और भारत और अफगानिस्तान में ब्रिटिश अत्याचारों को उजागर करने के उनके प्रयासों के लिये 1932 में नोबेल शांति पुरस्कार के लिये नामांकित किया गया था।
- 1929 में महेंद्र प्रताप ने बर्लिन में विश्व महासंघ की स्थापना की, जिसने बाद में संयुक्त राष्ट्र के निर्माण को प्रभावित किया।
- राजनीतिक कैरियर:
- स्वतंत्रता के बाद, उन्होंने पंचायती राज के विचार को बढ़ावा देने के लिये कड़ी मेहनत की और मथुरा (1957) से संसद सदस्य के रूप में कार्य किया।
- मृत्यु:
- 29 अप्रैल, 1979 को उनकी मृत्यु हो गई।
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