मध्य प्रदेश Switch to English
अक्तूबर तक बंद रहेंगे टाइगर रिज़र्व
चर्चा में क्यों?
सूत्रों के अनुसार, मध्य प्रदेश के छह टाइगर रिज़र्व ने अपने मुख्य क्षेत्रों को आम जनता और पर्यटकों के लिये बंद कर दिया है।
इस मौसमी बंद से प्रभावित रिज़र्व में बांधवगढ़, कान्हा, पेंच, सतपुड़ा, पन्ना और संजय-दुबरी शामिल हैं।
मुख्य बिंदु:
- राष्ट्रीय उद्यानों के बंद होने का एक मुख्य कारण यह है कि मानसून का मौसम बाघों और बाघिनों के लिये एक महत्त्वपूर्ण समय होता है क्योंकि इस काल ये संसर्ग करते हैं तथा एकांत पसंद करते हैं
- इस अवधि के दौरान कोई भी व्यवधान इन शानदार जानवरों को आक्रामक बना सकता है।
- अबाधित परिवेश सुनिश्चित करना स्वस्थ बाघ की संख्या को बनाए रखने और इनके संरक्षण प्रयासों का समर्थन करने के लिये आवश्यक है।
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान:
- बंगाल टाइगर की उच्च जीवसंख्या घनत्व के लिये प्रसिद्ध बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान भारत में सबसे लोकप्रिय बाघ अभयारण्यों में से एक है। इसमें तेंदुए, हिरण और कई पक्षी प्रजातियों जैसे कई अन्य वन्यजीव प्रजातियाँ भी निवास करती हैं।
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान:
- अपने वन्यजीव विविधता और हरे-भरे परिदृश्यों के लिये प्रसिद्ध, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान ने रुडयार्ड किपलिंग की ‘द जंगल बुक’ को प्रेरित किया। यह बंगाल टाइगर्स की बहुत बड़ी आबादी के साथ-साथ बारहसिंगा (स्वाम्प हिरण) एवं हिरणों की अन्य प्रजातियों के लिये प्रसिद्ध है।
पेंच राष्ट्रीय उद्यान:
- मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर स्थित पेंच राष्ट्रीय उद्यान अपने घने वनों तथा वन्यजीव विविधता के लिये प्रसिद्ध है। आगंतुक यहाँ बाघ, तेंदुए, स्लॉथ बियर्स एवं विभिन्न प्रकार के पक्षी की प्रजातियों को देख सकते हैं।
सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान:
- इसकी विशेषता इसकी ऊबड़-खाबड़ भूमि, गहरी घाटियाँ और घने वन हैं। यह जीप सफारी, नाव की सवारी तथा पैदल यात्रा के माध्यम से वन-भ्रमण करने का एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है, जिससे पर्यटकों को बाघ, तेंदुए एवं स्लॉथ बियर्स जैसे वन्यजीवों को देखने का मौका मिलता है।
पन्ना राष्ट्रीय उद्यान:
- यह बाघ संरक्षण में अपने प्रयासों के लिये प्रसिद्ध है और इन शानदार बिग कैट (बड़ी बिल्लियों) की एक बड़ी आबादी का आवास है। इस पार्क में समृद्ध जैवविविधता भी है, जिसमें हिरण, मृग एवं पक्षियों की विभिन्न प्रजातियाँ शामिल हैं।
संजय राष्ट्रीय उद्यान:
- छत्तीसगढ़-मध्य प्रदेश सीमा क्षेत्र में स्थित यह राष्ट्रीय उद्यान अपने प्राचीन वनों और विविध वनस्पतियों एवं जीवों के लिये जाना जाता है। यह संजय-दुबरी टाइगर रिज़र्व का एक हिस्सा है और बाघों, तेंदुओं तथा अन्य वन्यजीवों के लिये आवास प्रदान करता है।
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AI-आधारित फायर डिटेक्शन सिस्टम
चर्चा में क्यों?
हाल ही में पेंच टाइगर रिज़र्व (PTR) ने वनाग्नि का शीघ्र पता लगाने के लिये एक उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता-आधारित प्रणाली शुरू की है।
मुख्य बिंदु:
- इस नई प्रणाली में 15 किलोमीटर की दृश्य सीमा वाला उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरा लगा है, जो प्रभावी रूप से रिज़र्व के 350 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र को कवर करता है।
- AI-संचालित प्लेटफॉर्म, जिसे पैन्टेरा के नाम से जाना जाता है, कैमरा फीड और उपग्रह-आधारित डेटा दोनों का लाभ उठाकर तीन मिनट के भीतर वनाग्नि की वास्तविक समय चेतावनी प्रदान करता है।
- यह प्रणाली तापमान, वर्षा, वायु आदि से संबंधित मौसम संबंधी आँकड़े भी प्राप्त करती है तथा पिछली वनाग्नि के आँकड़ों का विश्लेषण करके, यह प्रणाली अल्पावधि में संभावित भविष्य की वनाग्नि का पूर्वानुमान लगाती है, जिससे वनाग्नि पर नियंत्रण की योजना बनाने में सहायता मिलती है।
पेंच टाइगर रिज़र्व (PTR)
- PTR मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र दोनों का संयुक्त गौरव है।
- यह अभ्यारण्य मध्य प्रदेश के सिवनी और छिंदवाड़ा ज़िलों में सतपुड़ा पहाड़ियों के दक्षिणी छोर पर स्थित है तथा महाराष्ट्र के नागपुर ज़िले में एक अलग अभयारण्य के रूप में विस्तृत है।
- इसे वर्ष 1975 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया तथा वर्ष 1992 में इसे बाघ अभयारण्य का दर्जा दिया गया।
- हालाँकि वर्ष 1992-1993 में PTR मध्य प्रदेश को भी यही दर्जा दिया गया था। यह सेंट्रल हाइलैंड्स के सतपुड़ा-मैकल पर्वतमाला के प्रमुख संरक्षित क्षेत्रों में से एक है।
- यह भारत के महत्त्वपूर्ण पक्षी क्षेत्रों (IBA) के रूप में अधिसूचित स्थलों में से एक है।
- IBA बर्डलाइफ इंटरनेशनल का एक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य विश्व के पक्षियों और उनसे संबंधित विविधता के संरक्षण हेतु IBA के वैश्विक नेटवर्क की पहचान, निगरानी एवं सुरक्षा करना है
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