स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट 2014 को लागू करना | उत्तर प्रदेश | 03 May 2024
चर्चा में क्यों?
स्ट्रीट वेंडर्स (आजीविका का संरक्षण और स्ट्रीट वेंडिंग का नियमन) अधिनियम, 2014 को 1 मई 2014 को लागू हुए एक दशक बीत चुका है, जो लगभग चार दशकों के कानूनी न्यायशास्त्र और पूरे भारत में स्ट्रीट वेंडर आंदोलनों के अथक प्रयासों के बाद एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।
मुख्य बिंदु:
- यह अधिनियम स्ट्रीट वेंडरों (SV) के वेंडिंग अधिकारों को वैध बनाने के लिये अधिनियमित किया गया था।
- इसका उद्देश्य राज्य-स्तरीय नियमों एवं योजनाओं के साथ शहरों में स्ट्रीट वेंडिंग की सुरक्षा और विनियमन करना तथा उप-कानूनों, योजना व विनियमन के माध्यम से शहरी स्थानीय निकायों (ULB) द्वारा कार्यान्वयन करना है।
- इस अधिनियम में विक्रेताओं और सरकार के विभिन्न स्तरों की भूमिकाओं तथा ज़िम्मेदारियों को स्पष्ट रूप से चित्रित किया गया है।
- यह वेंडिंग ज़ोन में सभी 'मौजूदा' विक्रेताओं को समायोजित करने और वेंडिंग प्रमाण-पत्र (VC) जारी करने के लिये प्रतिबद्ध है।
- अधिनियम टाउन वेंडिंग समितियों (TVC) के माध्यम से एक सहभागी शासन संरचना स्थापित करता है।
- यह अनिवार्य है कि स्ट्रीट वेंडर प्रतिनिधियों को TVC सदस्यों में 40% होना चाहिये, जिसमें 33% महिला SV का उप-प्रतिनिधित्व होना चाहिये।
- इन समितियों को वेंडिंग ज़ोन में सभी मौजूदा विक्रेताओं को शामिल करना सुनिश्चित करने का कार्य सौंपा गया है।
- इसके अतिरिक्त, अधिनियम शिकायतों और विवादों के समाधान के लिये एक तंत्र की रूपरेखा तैयार करता है, जिसमें एक सिविल जज या न्यायिक मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में एक शिकायत निवारण समिति की स्थापना का प्रस्ताव है।
- इसमें प्रावधान है कि राज्य/ULB प्रत्येक पाँच वर्ष में कम-से-कम एक बार SV की पहचान करने के लिये एक सर्वेक्षण आयोजित करेंगे।
स्ट्रीट वेंडर्स के लिये सरकार की पहल
- स्वनिधि योजना:
- स्वनिधि (SVANidhi) योजना शहरी क्षेत्रों के 50 लाख से अधिक स्ट्रीट वेंडर्स को लाभान्वित करने के लिये शुरू की गई थी, जिनमें आस-पास के शहरी/ग्रामीण क्षेत्रों के लोग भी शामिल थे।
- इसका उद्देश्य 1,200 रुपए प्रतिवर्ष की राशि तक कैश-बैक प्रोत्साहन के माध्यम से डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देना है।
- नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट वेंडर्स ऑफ इंडिया:
- NASVI एक ऐसा संगठन है जो देश भर के हज़ारों स्ट्रीट वेंडर्स के आजीविका अधिकारों की सुरक्षा के लिये कार्य कर रहा है।
- NASVI की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारत में स्ट्रीट वेंडर संगठनों को एक साथ लाना था ताकि वृहद् स्तर पर बदलावों के लिये सामूहिक रूप से प्रयास किया जा सके।
ग्रीन लिंक्स स्पाइडर | राजस्थान | 03 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राजस्थान के ताल छापर में ग्रीन लिंक्स स्पाइडर पाई गई। मकड़ी की इस प्रजाति का नाम प्युसेटिया छपराजनिरविन (Peucetia chhaparajnirvin) रखा गया है।
मुख्य बिंदु:
- यह मकड़ी चूरू ज़िले के ताल छापर वन्यजीव अभयारण्य में निर्मला कुमारी द्वारा फील्डवर्क के दौरान पाई गई थी।
- एकत्रित नमूनों को राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर की कीट विज्ञान प्रयोगशाला में जमा कर दिया गया है।
- इस प्रजाति की पहचान और वर्णन अमरावती ज़िले के जेडी पाटिल सांगलुडकर महाविद्यालय, दरियापुर में स्पाइडर रिसर्च लैब में किया गया था।
- यह मकड़ी बबूल (Vachellia nilotica) पेड़ की हरी पत्तियों पर पाई जाती है। इनका हरा रंग परिवेश में अनुकूलित होने और शिकार पर घात लगाने में सहायता करता है, जबकि लंबे पैर इन्हें तेज़ी से आगे बढ़ने में सहायक होते हैं।
- यह मकड़ी रात्रिचर होती है और छोटे-छोटे कीड़ों को खाती है। अभयारण्य क्षेत्र में जलवायु परिस्थितियाँ अत्यधिक गर्म होती हैं और अत्यधिक ठंडी होती हैं।
- ये छोटी झाड़ियों और शाक पौधों में वृहद् रूप से पाए जाने वाले कीट, जो पौधों को नुकसान पहुँचाते हैं, का शिकार करते हैं तथा वन पारिस्थितिकी तंत्र में कीटों को नियंत्रित करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।
- ये मकड़ियाँ विभिन्न प्रकार के पतंगों जैसे बॉलवर्म कीट, लीफवर्म कीट, लूपर कीट और उनके लार्वा का शिकार करती हैं।
ताल छापर अभयारण्य
- ताल छापर अभयारण्य भारतीय महा मरुस्थल की सीमा पर स्थित है।
- यह अभयारण्य भारत में पाए जाने वाले सबसे सुंदर एंटीलोप "द ब्लैकबक" का एक विशिष्ट आश्रय स्थल है।
- इसे वर्ष 1966 में अभयारण्य का दर्जा दिया गया था।
- ताल छापर बीकानेर के पूर्व शाही परिवार का एक शिकार अभयारण्य था।
- “ताल” शब्द राजस्थानी शब्द है जिसका अर्थ समतल भूमि होता है।
- इस अभयारण्य में लगभग समतल क्षेत्र हैं जहाँ वर्षा जल उथले निचले इलाकों से बहता हुआ छोटे तालाबों में एकत्रित हो जाता है। यहाँ उगने वाले बबूल और प्रोसोपिस के पौधों के साथ खुले एवं विस्तृत घास के मैदान इसे एक विशिष्ट सवाना का रूप देते हैं।
NGT ने झारखंड में थर्मल पावर प्लांट को नोटिस जारी किया | झारखंड | 03 May 2024
चर्चा में क्यों?
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal - NGT) ने अप्रैल 2024 में एक यूनिट में लगी भीषण आग के संबंध में संबंधित अधिकारियों से जवाब मांगा है, जिसमें झारखंड के चतरा ज़िले में नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NTPC) के उत्तरी करणपुरा सुपर थर्मल पावर प्लांट के प्रशासनिक प्रमुख भी शामिल हैं।
मुख्य बिंदु:
- NGT ने एक मामले को संबोधित किया जहाँ उसने एक विद्युत संयंत्र की इकाई 3 में एक सामग्री यार्ड में आग लगने के बारे में नोटिस लिया था।
- यह संयंत्र, देश की सबसे बड़ी विद्युत उत्पादक कंपनी NTPC की कोयला आधारित 660X3 मेगावाट इकाई जाँच के दायरे में थी।
- NGT ने इस मामले को पर्यावरण विनियमन अनुपालन से संबंधित एक महत्त्वपूर्ण मामला माना।
- अधिकरण या ट्रिब्यूनल ने इस मुद्दे के लिये संयंत्र के प्रशासनिक प्रमुख, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (JSPCB) के सदस्य सचिवों के साथ-साथ चतरा के उपायुक्त जैसे विभिन्न अधिकारियों को शामिल किया।
- अधिकरण या ट्रिब्यूनल ने संयंत्र के प्रशासनिक प्रमुख और डिप्टी कमिश्नर जैसे विशिष्ट पक्षों को मामले पर जवाब देने के लिये नोटिस देने का निर्देश दिया।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT)
- यह पर्यावरण संरक्षण और वनों तथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी एवं शीघ्र निपटान के लिये राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम (2010) के तहत स्थापित एक विशेष निकाय है।
- NGT की स्थापना के साथ भारत एक विशेष पर्यावरण न्यायाधिकरण (Specialised Environmental Tribunal) स्थापित करने वाला दुनिया का तीसरा (और पहला विकासशील) देश बन गया। इससे पहले केवल ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में ही ऐसे किसी निकाय की स्थापना की गई थी।
- NGT को आवेदन या अपील दायर करने के 6 महीने के भीतर अंतिम रूप से निपटान करने का आदेश दिया गया है।
- NGT का मुख्यालय नई दिल्ली में है, जबकि अन्य चार क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल, पुणे, कोलकाता एवं चेन्नई में स्थित हैं।
नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NTPC)
- NTPC 68,961.68 मेगावाट की स्थापित क्षमता के साथ भारत की सबसे बड़ी विद्युत कंपनी है और वर्ष 2032 तक 130 गीगावाट की क्षमता प्राप्त करने की योजना है।
- वर्ष 1975 में स्थापित NTPC का लक्ष्य विश्व की सबसे बड़ी और सबसे अच्छी विद्युत कंपनी बनना है।
- NTPC के पास व्यापक पुनर्वास और पुनर्स्थापन व कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) नीतियांँ हैं जो विद्युत परियोजनाओं की स्थापना तथा विद्युत उत्पादन के अपने मुख्य व्यवसाय के साथ अच्छी तरह से एकीकृत हैं।
- कंपनी नवोन्मेषी पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों के साथ कई ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को अनुकूलित करके एक सतत् तरीके से प्रतिस्पर्द्धी कीमतों पर विश्वसनीय विद्युत का उत्पादन करने के लिये प्रतिबद्ध है, इस प्रकार NTPC राष्ट्र के आर्थिक विकास और समाज के उत्थान में योगदान दे रहा है।
भीमताल झील | उत्तराखंड | 03 May 2024
चर्चा में क्यों?
नैनीताल ज़िला मुख्यालय के निकट वन में लगी भीषण वनाग्नि से निपटने के लिये राज्य सरकार ने भीमताल झील से जल लाने और प्रभावित वन क्षेत्रों पर छिड़काव करने के लिये सेना के MI 17 हेलीकॉप्टरों को तैनात किया।
मुख्य बिंदु:
- भीमताल झील उत्तराखंड राज्य में नैनीताल ज़िले की सबसे बड़ी झील है। यह कुमाऊँ क्षेत्र की सबसे बड़ी झील है, जिसे "भारत का झील ज़िला" कहा जाता है।
- इसका नाम प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत के दूसरे पांडव भीम के नाम पर रखा गया है।
- यह एक प्राकृतिक झील है और इसकी उत्पत्ति का श्रेय भू-पर्पटी के खिसकने के कारण उत्पन्न हुए कई भ्रंश को दिया जाता है।
- इस झील का निर्माण वर्ष 1883 में ब्रिटिश काल के दौरान हुआ था और इस पर एक चिनाई वाला बाँध बनाया गया है।
- झील के चारों ओर समृद्ध वनस्पति और जैव पारिस्थितिकी तंत्र हैं साथ ही झील के चारों ओर पहाड़ी ढलानों पर देवदार एवं ओक के घने वन हैं।
- सर्दियों के महीनों में यह कई प्रवासी पक्षियों का आवास होता है।
- क्षेत्र में पाई जाने वाली प्रसिद्ध प्रजातियों में बुलबुल, वॉल क्रीपर, एमराल्ड डव, ब्लैक ईगल और टॉनी फिश आउल शामिल हैं।
- झील के केंद्र में एक द्वीप है जिसे एक काँच वाटिका के साथ पर्यटकों के आकर्षण के रूप में विकसित किया गया है।
नक्षत्र सभा | उत्तराखंड | 03 May 2024
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड ने लोगों को व्यापक खगोल पर्यटन अनुभव प्रदान करने के लिये एक नई पहल, नक्षत्र सभा शुरू करने हेतु एक प्रमुख खगोल-पर्यटन कंपनी, स्टारस्केप्स के साथ समन्वय किया है।
मुख्य बिंदु:
- यह अभियान कई प्रकार की गतिविधियों की पेशकश करेगा, जिसमें तारों को देखना, विशेष सौर अवलोकन, एस्ट्रोफोटोग्राफी प्रतियोगिता, तारों के अवलोकन हेतु शिविर लगाना व अन्य शामिल हैं।
- इस पहल का उद्देश्य खगोल विज्ञान के प्रति उत्साही लोगों और यात्रियों को ब्रह्मांड के चमत्कारों को देखने के लिये एक साथ लाना है।
- उत्तराखंड अपने समृद्ध वन क्षेत्र, प्रकृति-आधारित पर्यटन, प्रमुख शहरों तक सुविधाजनक पहुँच और होमस्टे सहित अच्छी तरह से स्थापित आतिथ्य क्षेत्र के साथ विश्व भर में खगोल पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये उपयुक्त है।
- मसूरी में जॉर्ज एवरेस्ट को जून की शुरुआत से वर्ष 2025 के मध्य तक नक्षत्र सभा की मेज़बानी करने के लिये तैयार किया गया है, जिसमें पूरे उत्तराखंड में विभिन्न स्थानों पर कई आकर्षक कार्यक्रम पेश किये जाएंगे।
- ये आयोजन खगोल विशेषज्ञों के नेतृत्व में सेमिनार और वेबिनार के साथ-साथ उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, नैनीताल एवं चमोली जैसे ज़िलों में बेहतर नाईट स्काई अवलोकन स्थलों का पता लगाएंगे।
- उत्तराखंड में नाईट स्काई के संरक्षण के लिये प्रतिबद्ध समर्थकों का एक समुदाय बनाकर, नक्षत्र सभा अभियान का उद्देश्य नाईट स्काई का संरक्षण करते हुए पेशेवर प्रशिक्षण, कौशल विकास को बढ़ावा देना और स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करना है।
- यह वर्ष 2025 में पूरे क्षेत्र में नाईट स्काई को संरक्षित करने के लिये एक नीति स्थापित करने की योजना बना रहा है।
उत्तराखंड पर्यटन विकास बोर्ड
- यह उत्तराखंड राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये ज़िम्मेदार एक सरकारी निकाय है।
- इसकी स्थापना वर्ष 1976 में हुई थी और इसका मुख्यालय देहरादून में है।
- UTDB पर्यटन बुनियादी ढाँचे को विकसित करने और बढ़ावा देने, निवेश को आकर्षित करने एवं उत्तराखंड को एक पर्यटन स्थल के रूप में बाज़ार में लाने के लिये कार्य करता है।