चक्रव्यूह: द एस्केप रूम | हरियाणा | 02 May 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में हरियाणा राज्य नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (HSNCB) ने 'चक्रव्यूह: द एस्केप रूम' नामक एक अग्रणी परियोजना शुरू की है, जिसका उद्देश्य किशोरों को मादक पदार्थों की लत से दूर रखना है।
मुख्य बिंदु:
- चक्रव्यूह, जिसका अर्थ है भूलभुलैया, एक "एंटी-ड्रग एस्केप रूम" अर्थात् नशीली दवाओं से बचाव का अनुभव है जिसे गहन और इंटरैक्टिव अधिगम वाले वातावरण के माध्यम से वास्तविक जीवन की चुनौतियों का अनुकरण करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- इसका पहला कार्यात्मक स्मार्ट क्लासरूम DAV पब्लिक स्कूल, अंबाला में लॉन्च किया गया है और इस परियोजना को राज्य भर के अन्य सरकारी व निजी स्कूलों में दोहराया जाएगा।
- इसे नियंत्रित वातावरण में यथार्थवादी परिदृश्यों का अनुकरण करने के लिये डिज़ाइन किया गया है जहाँ प्रतिभागियों को स्थितियों से निपटने हेतु अपनी बुद्धि और नैतिक निर्णय का उपयोग करना चाहिये।
- एस्केप रूम प्रतिभागियों को नशीली दवाओं के दुरुपयोग के परिणामों और बेहतर निर्णयात्मक कौशल के महत्त्व के बारे में शिक्षित करता है। यह उन्हें उन परिदृश्यों में तल्लीन कर देता है जिनमें वास्तविक जीवन की स्थितियों को दर्शाते हुए त्वरित सोच और प्रभावी संचार की आवश्यकता होती है। यह पहल चुनौतियों के माध्यम से प्रगति के लिये सहयोगात्मक प्रयास की आवश्यकता के द्वारा टीम वर्क और सहकर्मी समर्थन तंत्र को बढ़ाती है।
- HSNCB इस अनुभव को डिजिटल बनाने पर भी कार्य कर रहा है ताकि गेमिंग में रुचि रखने वाले बच्चे भी इस गेम को ऑनलाइन खेल सकें और मादक द्रव्यों के सेवन के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में ज्ञान प्राप्त कर सकें।
मादक पदार्थों की लत (Drug Addiction)
- यह किसी दवा, विशेष रूप से नशीली दवाओं के आदी होने की स्थिति को संदर्भित करता है।
- ये आम तौर पर अवैध दवाएँ हैं जो किसी व्यक्ति के मनोदशा और व्यवहार को प्रभावित करती हैं।
- नशीली दवाओं के दुरुपयोग (Drug Abuse) से तात्पर्य मस्तिष्क पर तात्कालिक सुखद प्रभाव उत्पन्न करने के उद्देश्य से कुछ रसायनों के प्रयोग से है।
- विश्व भर में 190 मिलियन से अधिक नशीली दवाओं के उपयोगकर्त्ता हैं और यह समस्या विशेषकर 30 वर्ष से कम उम्र के युवा वयस्कों में खतरनाक दर से बढ़ रही है।
- नशीली दवाओं की लत से निपटने हेतु सरकारी पहल:
- इसके तहत नवंबर, 2016 में नार्को-समन्वय केंद्र (Narco-Coordination Centre- NCORD) का गठन किया गया और "नारकोटिक्स नियंत्रण के लिये राज्यों को वित्तीय सहायता" की योजना को पुनर्जीवित किया गया।
- नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को एक नया सॉफ्टवेयर यानी ज़ब्ती सूचना प्रबंधन प्रणाली (Seizure Information Management System- SIMS) विकसित करने के लिये धन उपलब्ध कराया गया है जो नशीली दवाओं के अपराधों और संलग्न अपराधियों का एक पूरा ऑनलाइन डेटाबेस तैयार करेगा।
- सरकार ने नशीली दवाओं के अवैध व्यापार से निपटने, नशे की लत के शिकार लोगों को बचाने और नशीली दवाओं के दुरुपयोग व दुष्परिणाम के प्रति जनता को शिक्षित करने के संबंध में होने वाले व्यय के निर्वहन के लिये "नशीली दवाओं के दुरुपयोग पर नियंत्रण हेतु राष्ट्रीय कोष" नामक एक कोष का गठन किया है।
- सरकार AIIMS के नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर की मदद से सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के माध्यम से भारत में नशीली दवाओं के दुरुपयोग के रुझान का आकलन करने के लिये एक राष्ट्रीय ड्रग दुरुपयोग सर्वेक्षण भी आयोजित कर रही है।
- भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों में, विशेषकर नशीली दवाओं का इंजेक्शन लेने वाले लोगों में HIV के बढ़ते प्रसार से निपटने की दिशा में वर्ष 2016 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा 'प्रोजेक्ट सनराइज़' शुरू किया गया था।
- स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थ अधिनियम, (NDPS) 1985: यह किसी व्यक्ति को किसी भी नशीले पदार्थ या मन:प्रभावी पदार्थ के उत्पादन, रखने, बेचने, खरीदने, परिवहन, भंडारण और/या उपभोग करने से प्रतिबंधित करता है।
- NDPS अधिनियम को तब से तीन बार वर्ष 1988, वर्ष 2001 और वर्ष 2014 में संशोधित किया गया है।
- यह अधिनियम पूरे भारत में व्याप्त है और यह भारत के बाहर रह रहे सभी भारतीय नागरिकों एवं भारत में पंजीकृत जहाज़ों व विमानों में यात्रा कर रहे सभी व्यक्तियों पर भी लागू होता है।
- सरकार ने 'नशा मुक्त भारत' या ड्रग-मुक्त भारत अभियान शुरू करने की भी घोषणा की है जो सामुदायिक आउटरीच कार्यक्रमों पर केंद्रित है।