ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण के लिये IVF की सफलता | मोटिवेशन | 23 Oct 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में गंभीर रूप से लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (GIB) को बचाने के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया गया, क्योंकि इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के माध्यम से एक चूजे का सफलतापूर्वक जन्म हुआ, जो इस प्रजाति के संरक्षण प्रयासों में एक प्रमुख मील का पत्थर है।
प्रमुख बिंदु
- संरक्षण में IVF सफलता:
- IVF के माध्यम से ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के चूजे का सफलतापूर्वक जन्म हुआ, जो इस प्रजाति के लिये पहली बार हुआ, जिससे इस गंभीर रूप से लुप्तप्राय पक्षी को बचाने के उद्देश्य से चल रहे संरक्षण प्रयासों को काफी बढ़ावा मिला।
- यह सफलता ऐसे समय में मिली है जब इस प्रजाति की जनसंख्या में अत्यधिक गिरावट आ रही है, जिसका मुख्य कारण आवास का नष्ट होना और विद्युत् लाइनों से टकराव है।
- इस चूजे का जन्म राजस्थान के मरू राष्ट्रीय उद्यान में प्रजाति पुनर्प्राप्ति कार्यक्रम के तहत हुआ , जो कि GIBs की अंतिम बची हुई जंगली आबादी का आवास है।
- इन-विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF):
- यह एक व्यापक रूप से प्रयुक्त सहायक प्रजनन तकनीक (ART) है जिसका उद्देश्य प्राकृतिक गर्भाधान के कठिन या असंभव होने पर गर्भधारण को सुगम बनाना है।
- इसमें प्रयोगशाला में शरीर के बाहर अंडे को निषेचित करने के लिए कई चरण शामिल हैं, इससे पहले कि भ्रूण को मादा के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाए। इस प्रक्रिया को अब वन्यजीव संरक्षण में लागू किया जा रहा है, जैसे कि हाल ही में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के मामले में।
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड:
- आवास स्थान: राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ भागों के घास के मैदान।
- संरक्षण स्थिति: अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की रेड लिस्ट में "गंभीर रूप से संकटग्रस्त" के रूप में सूचीबद्ध।
मरु राष्ट्रीय उद्यान
- यह राजस्थान के जैसलमेर और बाड़मेर ज़िलों में भारत की पश्चिमी सीमा पर स्थित है।
- इस उद्यान में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, राजस्थान का राज्य पशु (चिंकारा), राज्य वृक्ष (खेजड़ी) और राज्य पुष्प (रोहिड़ा) प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं।
- इसे वर्ष 1980 में यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल तथा वर्ष 1992 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
कच्छ बस्टर्ड अभयारण्य
- कच्छ बस्टर्ड अभयारण्य भारत के गुजरात के कच्छ ज़िले में नलिया के पास स्थित है।
- यह देश का सबसे छोटा अभ्यारण्य है, जो केवल दो वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। लाला-परिजन (Lala-Parijan) अभ्यारण्य के नाम से भी मशहूर इस अभ्यारण्य की घोषणा जुलाई 1992 में मुख्य रूप से लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की सुरक्षा के लिये की गई थी।
- यह अभयारण्य बस्टर्ड की तीन प्रजातियों का घर है: ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, लेसर फ्लोरिकन और मैकक्वीन बस्टर्ड।
h