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उत्तर प्रदेश के ज़िलों में भूजल स्तर में सुधार
चर्चा में क्यों?
नमामि गंगे एवं जलापूर्ति अनुभाग-3 की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार प्रयागराज समेत प्रदेश के 32 ज़िलों में भूजल स्तर में बढ़ोतरी हुई है। जिससे इन ज़िलों में क्रिटिकल ज़ोन की संख्या कम हो गई है।
मुख्य बिंदु:
- प्रयागराज के भूजल विभाग ने बताया कि वे यह निर्धारित करने के लिये विभिन्न मापदंडों का विश्लेषण करते हैं कि कोई ज़िला सुरक्षित, क्रिटिकल, सेमी क्रिटिकल और अधिक पानी निकाले गए ज़ोन में आता है या नहीं। सबसे महत्त्वपूर्ण महत्त्व निकाले गए पानी की कुल मात्रा तथा पुनर्भरण के साथ इसका तुलना है। गहन वार्षिक मूल्यांकन के बाद, वे प्रत्येक ज़िले को तदनुसार वर्गीकृत करते हैं।
- राज्य में जो ज़िले सुरक्षित ज़ोन में हैं उनमें प्रयागराज, प्रतापगढ़, कौशाम्बी, फतेहपुर, वाराणसी, जौनपुर, आगरा, फिरोज़ाबाद, मैनपुरी, मथुरा, अलीगढ़, एटा, हाथरस, बदायूं, चित्रकूट, महोबा, कानपुर नगर, कन्नौज, मेरठ, बागपत, बुलंदशहर, गौतम बुद्ध नगर, गाज़ियाबाद, हापुड़, मिर्ज़ापुर, मुरादाबाद, अमरोहा, बिजनौर, संभल, सहारनपुर, मुज़फ्फरनगर और शामली शामिल हैं।
नमामि गंगे कार्यक्रम
- नमामि गंगे कार्यक्रत संरक्षण मिशन है, जिसे जून 2014 में केंद्र सरकार द्वारा ‘फ्लैगशिप कार्यक्रम' के रूप में अनुमोदित किया गया था, ताकि प्रदूषण के प्रभावी उन्मूलन और राष्ट्रीय नदी गंगा के संरक्षण एवं कायाकल्प के दोहरे उद्देश्यों को पूरा किया जा सके।
- यह जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग तथा जल शक्ति मंत्रालय के तहत संचालित किया जा रहा है।
- यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) और इसके राज्य समकक्ष संगठनों यानी राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूहों (SPMGs) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
- NMCG राष्ट्रीय गंगा परिषद का कार्यान्वयन विंग है, यह वर्ष 2016 में स्थापित किया गया था जिसने राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण (NGRBA) को प्रस्थापित किया।
- इसके पास 20,000 करोड़ रुपए का केंद्रीय वित्तपोषित, गैर-व्यपगत कोष है और इसमें लगभग 288 परियोजनाएँ शामिल हैं।
- कार्यक्रम के मुख्य स्तंभ हैं:
- सीवेज़ ट्रीटमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर
- रिवर फ्रंट डेवलपमेंट
- नदी-सतह की सफाईम एक एकीकृ
- जैवविविधता
- वनीकरण
- जन जागरण
- औद्योगिक प्रवाह निगरानी
- गंगा ग्राम
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BHU के SWAYAM कार्यक्रम में नए पाठ्यक्रम जोड़े गए
चर्चा में क्यों?
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों ने 2024 सत्र के लिये स्वयं (SWAYAM) कार्यक्रम के लिये 15 नए पाठ्यक्रम विकसित किये हैं। पाठ्यक्रम विद्यार्थियों की आवश्यकताओं और अपेक्षाओं के अनुरूप विकसित किये गए हैं।
मुख्य बिंदु:
- इन पाठ्यक्रमों में प्रबंधन, वाणिज्य, विज्ञान, चिकित्सा, सामाजिक विज्ञान, मानविकी और दर्शनशास्त्र जैसे विभिन्न विषय शामिल हैं। इन पाठ्यक्रमों की शुरुआत के साथ BHU ने पहली बार ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में प्रवेश किया है।
- यह पहल न केवल BHU की शैक्षिक पेशकश को समृद्ध करेगी बल्कि सभी के लिये सुलभ और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के व्यापक लक्ष्यों का भी समर्थन करेगी।
- पाठ्यक्रमों के लिये तकनीकी सहायता IIT मद्रास और IIT कानपुर द्वारा प्रदान की जाती है तथा यह शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित है। भारत सरकार द्वारा शुरू किये गए स्वयं (SWAYAM) कार्यक्रम का उद्देश्य सभी व्यक्तियों को सर्वोत्तम शिक्षण और सीखने के संसाधन उपलब्ध कराना है, चाहे उनकी भौगोलिक स्थिति या संस्थागत संबद्धता कुछ भी हो।
स्वयं (SWAYAM) कार्यक्रम
- स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स (SWAYAM) को मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा 9 जुलाई, 2017 को ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के लिये एकीकृत मंच और पोर्टल प्रदान करने हेतु शरू किया गया था। जिसमें सभी उच्च शिक्षा विषय और कौशल क्षेत्र के पाठ्यक्रम शामिल हैं।
- इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश के प्रत्येक छात्र को सस्ती कीमत पर सर्वोत्तम गुणवत्ता वाली उच्च शिक्षा तक पहुँच प्राप्त हो।
- देश भर के सैकड़ों संस्थानों के शिक्षाविद वरिष्ठ स्कूली शिक्षा से लेकर स्नातकोत्तर तक लगभग सभी विषयों में SWAYAM के माध्यम से बड़े पैमाने पर ओपन ऑनलाइन पाठ्यक्रम (MOOC) की पेशकश शामिल हैं।
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