उत्तराखंड Switch to English
डुमक गाँव को 8 महीने में मिलेगी सड़क
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड में भारत-चीन सीमा पर स्थित चमोली ज़िले के डुमक और अन्य गाँवों को जोड़ने वाली निर्माणाधीन सड़क, जो 17 वर्षों से विलंबित है, इस वर्ष के अंत से पहले पूरी हो जाएगी।
मुख्य बिंदु:
- सूत्रों के मुताबिक डुमक में कुछ मतदाताओं ने सड़क निर्माण में लगातार हो रही देरी से तंग आकर लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है।
- उत्तराखंड ग्रामीण सड़क विकास एजेंसी (URRDA) के CEO ने एक बयान जारी कर कहा कि सड़क का बचा हुआ कार्य अगले आठ महीने में पूरा कर लिया जाएगा।
- एजेंसी राष्ट्रीय ग्रामीण सड़क विकास एजेंसी द्वारा निर्धारित मार्गदर्शन और मानदंडों के तहत प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के कार्यान्वयन के एकमात्र उद्देश्य के लिये कार्य करेगी।
भारत-चीन सीमा
- भारत और चीन के बीच की सीमा अपने पूरे भाग में स्पष्ट रूप से सीमांकित नहीं है तथा कुछ हिस्सों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कोई पारस्परिक सहमति भी नहीं है।
- LAC वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद अस्तित्व में आया।
- भारत-चीन सीमा को तीन सेक्टरों/क्षेत्रों में बाँटा गया है:
- पश्चिमी क्षेत्र: लद्दाख
- मध्य क्षेत्र: हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड
- पूर्वी क्षेत्र: अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम
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गंगोत्री धाम में बर्फबारी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड में देवी गंगा को समर्पित सबसे ऊँचे मंदिर गंगोत्री धाम में बारिश और बर्फबारी हुई।
- भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने पहले चंबा, कांगड़ा, कुल्लू, मंडी, शिमला, सोलन ज़िलों और लाहौल-स्पीति के कुछ हिस्सों के लिये अलर्ट जारी किया था।
मुख्य बिंदु:
- गंगोत्री मंदिर जहाँ देवी गंगा की पूजा की जाती है, 20 फीट की ऊँचाई पर स्थित है और सफेद ग्रेनाइट पर उत्कृष्ट नक्काशी का दावा करता है।
- यह गंगा नदी का उद्गम स्थल है और उत्तराखंड के चार धाम तीर्थस्थलों में से एक है।
- चार धाम यात्रा में शामिल अन्य तीर्थस्थल बद्रीनाथ, केदारनाथ और यमुनोत्री हैं।
- नदी को उद्गम स्थल पर भागीरथी कहा जाता है और देवप्रयाग से आगे जहाँ यह अलकनंदा से मिलती है, इसका नाम गंगा हो जाता है।
- पवित्र नदी का उद्गम गोमुख में है, जो गंगोत्री ग्लेशियर में स्थित है और गंगोत्री से 19 किमी. की दूरी पर है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD)
- IMD की स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी। यह देश की राष्ट्रीय मौसम विज्ञान सेवा है और मौसम विज्ञान एवं संबद्ध विषयों से संबंधित सभी मामलों में प्रमुख सरकारी एजेंसी है।
- यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- IMD विश्व मौसम विज्ञान संगठन के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक है।
झारखंड Switch to English
झारखंड सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिये कदम उठाया
चर्चा में क्यों?
हाल ही में झारखंड सरकार ने पूर्वी सिंहभूम ज़िले के पोटका क्षेत्र में एक डिग्री कॉलेज की आधारशिला रखी, जिससे क्षेत्र में उच्च शिक्षा का मार्ग प्रशस्त हुआ।
मुख्य बिंदु:
- कॉलेज की स्थापना आदिवासियों, स्वदेशी लोगों, किसानों, मज़दूरों, SC/ST और अल्पसंख्यकों सहित सभी वर्गों तथा समुदायों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से की गई है।
- राज्य की समृद्ध जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं के विकास और प्रचार-प्रसार के लिये प्राथमिक विद्यालयों से इन भाषाओं में पढ़ाई शुरू की जायेगी।
- संताली, मुंडारी, उराँव समेत जनजातीय भाषाओं के घंटी आधारित शिक्षकों की नियुक्ति जल्द होगी।
- सरकार की प्राथमिकता राज्य के प्राथमिक विद्यालयों से बांग्ला और उड़िया भाषा की पढ़ाई शुरू करना है।
- सरकार का मानना है कि जब युवा पीढ़ी को बेहतर शिक्षा मिलेगी तभी राज्य की दशा और दिशा बदलेगी तथा अधिक लोग गरीबी से बाहर आ सकेंगे।
- सरकार गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के माध्यम से छात्रों को उनकी शिक्षा के वित्तपोषण में भी सहायता कर रही है।
- इस योजना के तहत उच्च शिक्षा की डिग्री के लिये आवश्यकतानुसार शिक्षा ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।
- यह आदिवासी और स्वदेशी समुदायों के उन बच्चों को 100% छात्रवृत्ति भी दे रहा है जो विदेश में शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ना चाहते हैं।
- किसानों-मज़दूरों के बच्चों के साथ-साथ प्रदेश के प्रत्येक गरीब परिवार के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके, इसके लिये छात्रवृत्ति की राशि तीन गुना बढ़ा दी गई है।
- धन के अभाव में छात्रों की पढ़ाई न रुके, इसके लिये राज्य सरकार सभी आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध करा रही है।
- प्रदेश में सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक व्यवस्था को मज़बूत करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना
- यह योजना 14 मार्च 2024 को झारखंड सरकार द्वारा शुरू की गई थी।
- गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के तहत विद्यार्थियों को अधिकतम 15 लाख रुपए का कर्ज़ मिलेगा। उन्हें बैंकों के ज़रिये लोन उपलब्ध कराया जाएगा। इस राशि का अधिकतम 30 फीसदी नन- इंस्टीट्यूशनल कार्यों (रहने-खाने के खर्च सहित) के लिये मिलेगा।
- विद्यार्थियों को 4 फीसदी सिंपल रेट ऑफ इंटरेस्ट चुकाना होगा। बाकी के ब्याज का पैसा इंटरेस्ट सबवेंशन के रूप में राज्य सरकार चुकाएगी।
- लोन लेने के लिये छात्रों को किसी प्रकार के कोलैटरल सिक्यूरिटी देने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। लोन की राशि को विद्यार्थी 15 साल में चुका सकेंगे।
- जो लोन लेंगे, उस पर ब्याज की गणना साधारण ब्याज की दर पर की जाएगी। यह ऋण की पूरी अवधि तक फिक्स्ड रहेगी।
झारखंड Switch to English
झारखंड सरकार द्वारा सामाजिक उत्थान के लिये योजनाएँ
चर्चा में क्यों?
हाल ही में झारखंड सरकार ने लोगों को लाभ पहुँचाने के लिये योजनाएँ शुरू कीं। उसका दावा है कि झारखंड देश का पहला राज्य है जहाँ सर्वजन पेंशन योजना लागू की गयी है।
मुख्य बिंदु:
- पिछले चार वर्षों में सरकार ने सामाजिक सुरक्षा के दायरे में आने वाले सभी पात्र लोगों को सर्वजन पेंशन योजना से जोड़ने का कार्य किया है।
- राज्य सरकार के मुताबिक ज़िला मुख्यालय और ब्लॉक स्तर के अधिकारियों की सहायता से लोगों को योजनाओं से जोड़ा गया, जो हर गाँव तथा हर घर तक योजनाओं का पुलिंदा पहुँचाने का कार्य कर रहे हैं।
- सरकार ने अबुआ आवास योजना जैसी महत्त्वपूर्ण योजनाओं को भी धरातल पर उतारने का कार्य किया है।
- इसके तहत प्रदेश के 20 लाख पात्र परिवारों को पक्के मकान दिये जायेंगे।
- हाल ही में किसानों को लाभ पहुँचाने के लिये धनबाद ज़िले में सिंदरी यूरिया फैक्ट्री का उद्घाटन किया गया।
- सरकार खेतों तक पूरे वर्ष पाइपलाइन के ज़रिए सिंचाई का जल पहुँचाने पर कार्य कर रही है।
- रोज़गार को बढ़ावा देने के लिये, झारखंड सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिये एक कानून बनाया है कि राज्य के भीतर स्थापित निजी औद्योगिक संस्थानों में 75% भर्ती स्थानीय लोगों द्वारा की जाए।
- राज्य में बेरोज़गार युवाओं को रोज़गार उपलब्ध कराने के लिये रोज़गार सृजन योजना भी संचालित की गई है।
सर्वजन पेंशन योजना
- इसे 6 मार्च 2024 को झारखंड सरकार द्वारा लॉन्च किया गया था। इस योजना के माध्यम से 60 वर्ष से अधिक आयु के गरीब नागरिकों को पेंशन प्रदान की जाएगी।
- यह पेंशन 1000 रुपए की होगी जो हर महीने की 5 तारीख को लाभार्थियों के बैंक खाते में वितरित की जाएगी।
- राज्य के सभी पात्र विधवाओं, दिव्यांगों एवं वृद्धजनों को पेंशन योजना से जोड़ा गया है।
- सरकार अब राज्य की सभी वर्ग की महिलाओं को 50 वर्ष की उम्र से पेंशन योजना का लाभ देगी।
- SC/ST समुदाय के पुरुषों को भी 50 वर्ष की आयु से पेंशन योजना के तहत कवर किया जाएगा।
राजस्थान Switch to English
राजस्थान दिवस 2024
चर्चा में क्यों?
राजस्थान दिवस प्रतिवर्ष 30 मार्च को राज्य के स्थापना दिवस को मनाने के लिये मनाया जाता है, जिस दिन यह आधिकारिक तौर पर संघीय इकाई का हिस्सा बन गया।
मुख्य बिंदु:
- क्षेत्रफल की दृष्टि से यह सबसे बड़ा राज्य है। राजस्थान का एक लंबा इतिहास है जो प्रागैतिहासिक काल से चला आ रहा है। इसकी संस्कृति सिंधु घाटी सभ्यता के समान थी, जो 3,000 और 1,000 ईसा पूर्व के बीच की थी।
- 12वीं शताब्दी तक चौहान एक शाही शक्ति बन गए और 7वीं शताब्दी से राजपूत मामलों पर उनका प्रभुत्व रहा। चौहानों के बाद मेवाड़ गुहिलों ने युद्धरत जनजातियों के भाग्य पर शासन किया।
- वर्तमान राजस्थान निम्नलिखित 7 चरणों में अस्तित्व में आया:
- मत्स्य संघ: भारत का विभाजन बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक आंदोलन द्वारा प्रकट हुआ जिसने राष्ट्र को अभिभूत कर दिया। भरतपुर और अलवर भी इन दंगों से सुरक्षित नहीं रहे।
- 17 मार्च 1948 को, भारत सरकार ने इन राज्यों की देखरेख अपने हाथ में ले ली क्योंकि शासक शांति बनाए रखने में विफल रहे। इन राज्यों के पड़ोसी क्षेत्र करौली और धौलपुर थे। सरकार की सलाह पर, सभी चार राज्य मत्स्य संघ बनाने के लिये एक साथ आने पर सहमत हुए।
- राजस्थान संघ: 25 मार्च 1948 को, दक्षिणी एवं दक्षिण-पूर्वी राजपूताना के कुशलगढ़, बांसवाड़ा, कोटा, बूंदी, झालावाड़, टोंक, शाहपुरा, प्रतापगढ़, डूंगरपुर तथा किशनगढ़ नामक दस और राज्यों ने एक साथ मिलकर एक और संघ की संरचना की, जिसे पूर्वी राजस्थान का नाम दिया गया।
- संयुक्त राज्य राजस्थान: इसके बाद, उदयपुर राज्य (मेवाड़) भी 18 अप्रैल 1948 को राजस्थान संघ में एकजुट हो गया। तब इसका नाम बदलकर संयुक्त राजस्थान कर दिया गया। अतः राजस्थान के 15 राज्यों ने अपना-अपना संघ बनाया।
- ग्रेटर राजस्थान: 30 मार्च 1949 को चार राज्यों का गठन हुआ। जोधपुर, जयपुर, बीकानेर और जैसलमेर इस एकीकरण में शामिल हुए तथा इस क्षेत्र को ग्रेटर राजस्थान के रूप में जाना जाने लगा। इसमें नीमरा और लावा की रियासतें भी शामिल हो गईं। 30 मार्च को अब राजस्थान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- संयुक्त राज्य ग्रेटर राजस्थान: 15 मई 1949 को, मत्स्य संघ को ग्रेटर राजस्थान में मिला दिया गया और उसके बाद इस परिसंघ को संयुक्त राज्य ग्रेटर राजस्थान का नाम दिया गया।
- संयुक्त राजस्थान: एकमात्र राज्य सिरोही अभी तक महासंघ में शामिल नहीं हुआ था। सिरोही राज्य 26 जनवरी 1950 को महासंघ में शामिल हुआ।
- पुनर्गठित राजस्थान: अजमेर-मेरवाड़ा क्षेत्र लंबे समय तक ब्रिटिश शासन के अधीन था और राज्य पुनर्गठन आयोग के बयान के प्रस्ताव पर 1 नवंबर 1956 को इसे राजस्थान में मिला दिया गया। उस समय मध्य प्रदेश की भानपुरा तहसील और गुजरात की आबू तहसील को भी राजस्थान में मिला दिया गया था।
- मत्स्य संघ: भारत का विभाजन बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक आंदोलन द्वारा प्रकट हुआ जिसने राष्ट्र को अभिभूत कर दिया। भरतपुर और अलवर भी इन दंगों से सुरक्षित नहीं रहे।
उत्तर प्रदेश Switch to English
उत्तर प्रदेश का मक्का उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य
चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश सरकार वर्ष 2027-28 तक मक्का का उत्पादन 3.2 मिलियन टन (mt) से अधिक तक बढ़ाने का लक्ष्य रख रही है।
मुख्य बिंदु:
- वर्तमान में, विभिन्न फसल मौसमों (खरीफ, रबी और ज़ैद) में राज्य का मक्का उत्पादन 830,000 हेक्टेयर में 2.12 मिलियन टन होने का अनुमान है।
- उपज लगभग 25.49 क्विंटल (100 किलोग्राम) प्रति हेक्टेयर है, जो राष्ट्रीय औसत से कम है।
- राज्य की योजना मक्के का रकबा 200,000 हेक्टेयर बढ़ाने और अतिरिक्त 1.1 मिलियन टन उत्पादन बढ़ाने की है।
- इससे राज्य का मक्का क्षेत्र और उत्पादन क्रमशः 1.03 मिलियन हेक्टेयर MH) तथा 3.2 मिलियन टन तक बढ़ जाएगा।
- राज्य विभिन्न मक्का प्रचार कार्यक्रमों पर लगभग 150 करोड़ रुपए का निवेश करेगा और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को प्रोत्साहन देगा।
- मक्के की फसल का भोजन, पोल्ट्री चारा और ईंधन (अनाज आधारित इथेनॉल) के रूप में विविध उपयोग होता है।
- इसका उपयोग फार्मास्युटिकल, कॉस्मेटिक, कपड़ा, कागज़ और अल्कोहल उद्योगों में भी किया जाता है।
- धान और गेहूँ के बाद मक्का भारत में तीसरी सबसे महत्त्वपूर्ण अनाज की फसल है तथा कुल खाद्यान्न उत्पादन का लगभग 10% हिस्सा है।
- विश्व स्तर पर, अनाज फसलों के बीच अपनी उच्च आनुवंशिक उपज क्षमता के कारण मक्के को 'अनाज की रानी' कहा जाता है।
- उद्योग ने अनुमान लगाया है कि इथेनॉल और पोल्ट्री क्षेत्रों की मांग को पूरा करने के लिये भारत को अगले चार-पाँच वर्षों में मक्का उत्पादन में 10 मिलियन टन की वृद्धि करने की आवश्यकता है।
- बढ़ती स्वास्थ्य जागरूकता के कारण मक्के की मांग बढ़ रही है। लोग मक्के को इसके उच्च पोषण मूल्य, स्टार्च, फाइबर, प्रोटीन, वसा, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, कैरोटीन और मैग्नीशियम, जस्ता, फास्फोरस एवं ताँबे जैसे आवश्यक खनिजों के लिये पसंद करते हैं।
मक्का
- तापमान: 21-27°C के बीच
- वर्षा: अधिक वर्षा।
- मृदा का प्रकार: पुरानी जलोढ़ मृदा।
- शीर्ष मक्का उत्पादक राज्य: कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, तेलंगाना, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश।
- FAO (खाद्य और कृषि संगठन) के आँकड़ों के अनुसार, भारत 2020 में मक्का का पाँचवाँ सबसे बड़ा उत्पादक था।
- इसका उपयोग भोजन और चारे दोनों के रूप में किया जाता है।
- अधिक उपज देने वाले किस्म के बीज, उर्वरक और सिंचाई जैसे आधुनिक आदानों के उपयोग ने मक्के के उत्पादन को बढ़ाने में योगदान दिया है।
- मक्का पर प्रौद्योगिकी मिशन मक्का के लिये सरकार की पहलों में से एक है।
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