राजस्थान Switch to English
कोटा केयर्स पहल
चर्चा में क्यों
कोटा केयर्स' पहल ने कोचिंग केंद्र में छात्रों की सहायता के लिये नई गाइडलाइंस जारी कीं, जिसके तहत रेलवे स्टेशनों और बस स्टैंडों पर हेल्पडेस्क उपलब्ध कराए जाएंगे और शहर भर में छात्र सहायता केंद्रों का नेटवर्क स्थापित किया जाएगा।
मुख्य बिंदु
- नई गाइडलाइंस और सुविधाएँ
-
आवास और वित्तीय सहायता
- 4,000 छात्रावासों से सुरक्षा एवं कॉशन मनी हटाई जाएगी।
- मेंटेनेंस शुल्क, प्रति वर्ष 2,000 रुपए तक सीमित।
- अभिभावकों को सभी भुगतानों की रसीदें दी जाएंगी।
- कमरे में परिवर्तन और अवकाश नीतियों के लिये परिभाषित दिशा-निर्देश।
- सुरक्षा और संरक्षा उपाय
- सभी छात्रावास कर्मचारियों के लिये अनिवार्य गेट-कीपर प्रशिक्षण।
- सीसीटीवी निगरानी और बायोमेट्रिक प्रणाली सहित आधुनिक सुरक्षा-तंत्र की स्थापना।
- महिला छात्रावासों के लिये विशेष प्रावधान, जिसमें महिला वार्डन भी शामिल होंगी।
- एंटी-हैंगिंग डिवाइसेस और फायर NOC के लिये अनिवार्य प्रमाणीकरण।
- व्यक्तिगत कक्ष भ्रमण के माध्यम से नियमित रात्रि उपस्थिति जाँच।
- छात्र कल्याण पहल
- चंबल रिवरफ्रंट और ऑक्सीजन जोन तक निःशुल्क पहुँच
- सभी छात्रावासों में मनोरंजन हेतु निर्दिष्ट स्थान।
- मध्यावधि छुट्टियों के दौरान खाद्य सेवाओं की उपलब्धता।
- रेलवे स्टेशनों और बस टर्मिनलों पर कोटा केयर्स हेल्प डेस्क।
- छात्र सहायता केंद्रों का एक शहरव्यापी नेटवर्क।
- कोटा केयर्स पहल के बारे में:
- कोटा केयर्स' जिला प्रशासन, कोचिंग संस्थानों, छात्रावास संघों और स्थानीय समुदायों की एक संयुक्त पहल है, इसकी शुरुआत दिसंबर 2024 में की गई थी।
- इसका उद्देश्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों में तनाव की समस्या और आत्महत्या के बढ़ते मामलों से निपटना तथा छात्र कल्याण में सुधार करना है।
- 'कोटा केयर्स' पहल शहर के शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। यह पहल न केवल कोटा बल्कि पूरे देश के अन्य शैक्षिक केंद्रों के लिये एक आदर्श के रूप में काम कर सकती है।
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मध्य प्रदेश Switch to English
मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था वर्ष 2047 तक 2.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) की एक रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था वर्ष 2047-48 तक 2.1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने की क्षमता रखती है, जो वर्तमान में 164.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर के आसपास है।
मुख्य बिंदु
- रिपोर्ट के बारे में:
- "मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था की परिकल्पना@2047" शीर्षक वाली रिपोर्ट में आर्थिक विकास के लिये एक दृष्टिकोण की रूपरेखा दी गई है, जिसमें प्रमुख क्षेत्रों, नीतिगत हस्तक्षेपों और निवेश के अवसरों की पहचान की गई है, जो राज्य के परिवर्तन को गति देंगे।
- CII के महानिदेशक ने कहा कि निवेश को बढ़ावा देने और विकास को गति देने के लिये समर्पित एक सक्रिय राज्य सरकार के साथ, मध्य प्रदेश 2047-48 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में अपना योगदान मौजूदा 4.6% से बढ़ाकर 6.0% करने की स्थिति में है।
- इसके अलावा, रिपोर्ट इस बात पर ज़ोर देती है कि मध्य प्रदेश को अपने महत्त्वाकांक्षी विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये, विनिर्माण और औद्योगिक विस्तार को केंद्र में रखना होगा।
- कृषि और विनिर्माण का योगदान: कृषि क्षेत्र वर्तमान में मध्य प्रदेश की अर्थव्यवस्था में 43% योगदान देता है, जबकि दीर्घकालिक विकास को बनाए रखने के लिये विनिर्माण का हिस्सा 2047 तक 7.2% से बढ़कर 22.2% होना चाहिये।
- रिपोर्ट का आधार: यह रिपोर्ट व्यापक डेटा विश्लेषण और हितधारक परामर्श पर आधारित है, जिसमें उद्योग जगत के नेताओं, नीति निर्माताओं और अकादमिक विशेषज्ञों के इनपुट शामिल हैं।
- यह मध्य प्रदेश की पूरी आर्थिक क्षमता को अनलॉक करने, सतत विकास, रोज़गार सृजन और बढ़ी हुई प्रतिस्पर्द्धा सुनिश्चित करने के लिये एक रूपरेखा के रूप में कार्य करती है।
- रिपोर्ट में चार प्रमुख क्षेत्रों की पहचान की है:
- परिवहन बुनियादी ढाँचे का विस्तार, जैसे मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क और एयर कार्गो हब का विकास।
- कुशल कार्यबल की उपलब्धता बढ़ाने के लिये कौशल विकास और कौशल पार्क की स्थापना।
- व्यवसाय करने में आसानी के लिये सिंगल विंडो सिस्टम (SWS) की दक्षता को बढ़ाना।
- MSME का विस्तार करने के लिये योजनाएँ, जैसे रियायती ऋण व्यवस्था, बाजार पहुँच में सुधार और तकनीकी उन्नयन।
भारतीय उद्योग परिसंघ
- CII एक गैर-सरकारी, गैर-लाभकारी, उद्योग-नेतृत्व वाला और उद्योग-प्रबंधित संगठन है।
- यह सलाहकारी और परामर्शी प्रक्रियाओं के माध्यम से उद्योग, सरकार और नागरिक समाज के साथ साझेदारी करके भारत के विकास के लिये अनुकूल वातावरण बनाने और बनाए रखने के लिये काम करता है।
- इसकी स्थापना 1895 में हुई तथा इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
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उत्तराखंड Switch to English
उत्तराखंड समान नागरिक संहिता
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप में वृद्धि हो रही है और समान नागरिक संहिता (UCC) का उद्देश्य महिलाओं और ऐसे संबंधों से पैदा हुए बच्चों के अधिकारों को समायोजित करना है।
मुख्य बिंदु
- न्यायालय की टिप्पणियाँ:
- उच्च न्यायालय ने UCC के प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणियाँ कीं।
- राज्य ने 26 जनवरी 2025 को समान नागरिक संहिता लागू की तथा लिव-इन रिलेशनशिप के लिये पंजीकरण अनिवार्य कर दिया।
- अदालत ने कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप में वृद्धि हो रही है और कानून का उद्देश्य महिलाओं और ऐसे संबंधों से पैदा हुए बच्चों के अधिकारों की रक्षा करना है।
- न्यायालय में गोपनीयता संबंधी चिंताएँ उठाई गईं:
- यह तर्क दिया गया कि UCC राज्य की अत्यधिक निगरानी की अनुमति देता है तथा गोपनीयता के अधिकार के तहत संरक्षित व्यक्तिगत विकल्पों को प्रतिबंधित करता है।
- यह कानून एक " कठोर वैधानिक व्यवस्था" स्थापित कर रहा था, जो व्यक्तिगत संबंधों पर पूछताछ, अनुमोदन और दंड को अधिकृत करता है।
- यह कहा गया कि यद्यपि समाज लिव-इन संबंधों को पूरी तरह स्वीकार नहीं कर सकता, फिर भी कानून का उद्देश्य बदलते समय के अनुरूप ढलना है।
- उत्पीड़न और सतर्कता की संभावना:
- सामाजिक कार्यकर्ताओं ने तर्क दिया कि UCC के आलोचनात्मक अध्ययन से पता चलता है कि इससे बहुसंख्यकवादी विचारों का विरोध करने वाले दंपतियों के विरुद्ध उत्पीड़न और हिंसा बढ़ सकती है।
- यह चेतावनी दी गई है कि यह कानून लिव-इन रिलेशनशिप का विरोध करने वाले समूहों द्वारा सतर्कता को बढ़ावा दे सकता है ।
- इस बात पर भी चिंता व्यक्त की गई कि कानून किसी भी व्यक्ति को लिव-इन रिलेशनशिप की वैधता पर सवाल उठाने की शिकायत दर्ज करने की अनुमति देता है।
- पंजीकरण प्रक्रिया के दौरान आधार जैसे गोपनीय दस्तावेज़ोन को अनिवार्य रूप से प्रस्तुत करने पर भी आपत्ति जताई गई।
- राज्य सरकार का बचाव:
- अदालत ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा कि क्या उत्तराखंड सरकार ने समान नागरिक संहिता लागू करने से पहले जनता से सुझाव मांगे थे और क्या उन सुझावों को शामिल किया गया था।
- यह तर्क दिया गया कि UCC निजता के अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है और यह केवल महिलाओं को अन्याय से बचाने के लिये एक नियामक तंत्र के रूप में कार्य करता है। यह कानून सभी हितधारकों के साथ व्यापक परामर्श के बाद बना है।
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हरियाणा Switch to English
यूरिया और डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) की खपत में वृद्धि
चर्चा में क्यों?
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने हरियाणा, गुजरात, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर सहित कई राज्यों में चालू रबी सीज़न (2024-25) के दौरान यूरिया और डाई-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) की खपत में तीव्र वृद्धि पर चिंता व्यक्त की है।
मुख्य बिंदु
- यूरिया और DAP की बढ़ती खपत:
- यूरिया और DAP कृषि उत्पादकता के लिये आवश्यक हैं और भारत घरेलू मांग को पूरा करने के लिये आयात पर निर्भर है।
- कृषि सचिव ने हरियाणा के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कुछ जिलों में अत्यधिक उर्वरक खपत पर प्रकाश डाला।
- उन्होंने कहा कि उपयोग अनुमानित मासिक आवश्यकता और पिछले वर्ष के आँकड़ों से अधिक हो गया है, जो असंतुलन को दर्शाता है।
- यूरिया खपत की प्रवृत्ति:
- हरियाणा में यूरिया का उपयोग पिछले तीन वर्षों के औसत की तुलना में 18% बढ़कर 9,40,549 मीट्रिक टन से बढ़कर 11,07,205 मीट्रिक टन हो गया।
- सर्वाधिक वृद्धि निम्नलिखित क्षेत्रों में दर्ज की गई:
- चरखी दादरी – 107%
- यमुनानगर – 32%
- सोनीपत – 30%
- अन्य राज्यों में भी यूरिया की खपत में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई:
- झारखंड – 35%
- छत्तीसगढ़ – 37%
- जम्मू और कश्मीर – 24%
- कर्नाटक – 20%
- बिहार – 17%
- गुजरात – 2%
- DAP उपभोग की प्रवृत्ति:
- हरियाणा में DAP का उपयोग 18% बढ़कर 3,25,416 मीट्रिक टन हो गया, जबकि पिछले तीन वर्षों में यह औसत 2,75,934 मीट्रिक टन था।
- सर्वाधिक वृद्धि वाले जिले:
- चरखी दादरी – 184%
- महेंद्रगढ़ – 65%
- यमुनानगर – 55%
- अंबाला – 48%
- पंचकूला – 39%
- रेवाड़ी – 34%
- झज्जर – 30%
- अन्य राज्यों में भी DAP के उपयोग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई:
- छत्तीसगढ़ – 30%
- गुजरात– 25%
- बिहार – 17%
- उर्वरक के दुरुपयोग पर चिंताएँ:
- रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने जनवरी में संभावित डायवर्जन की चेतावनी दी थी।
- हरियाणा के कृषि निदेशक राजनारायण कौशिक ने स्वीकार किया कि यूरिया का उपयोग उद्योगों की ओर किया जा सकता है।
- उपयोग में वृद्धि को प्रेरित करने वाले कारक:
- धान की पराली प्रबंधन : किसान अब धान की पराली के प्रबंधन के लिये प्रति एकड़ 25-45 किलोग्राम यूरिया का उपयोग करते हैं।
- नाइट्रोजन (N), फास्फोरस (P) और पोटेशियम (K)उर्वरक उपयोग:
- पिछले वर्ष की 26,000 मीट्रिक टन से बढ़कर इस सीज़न में खपत 66,000 मीट्रिक टन हो गई।
- चूँकि NPK में DAP की तुलना में नाइट्रोजन की मात्रा कम होती है, इसलिये किसान अतिरिक्त यूरिया का उपयोग करके इसकी भरपाई करते हैं।
- उच्च नाइट्रोजन वाली गेहूँ की किस्में:
- डब्ल्यूएच 1270, डीबीडब्ल्यू 187, 303 और 327 जैसी गेहूँ की किस्मों को पुरानी किस्मों की तुलना में 1.5 गुना अधिक नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है।
- अधिक उपज की उम्मीद में किसान अधिक यूरिया का उपयोग करते हैं।
- ये किस्में अब हरियाणा में अनुमानित 2.50 लाख एकड़ क्षेत्र में फैली हुई हैं।
- अंतर-राज्यीय उर्वरक आवागमन:
- रिपोर्टों से पता चलता है कि हरियाणा से उर्वरकों को पंजाब और उत्तर प्रदेश ले जाया जा रहा है।
- भारतीय किसान यूनियन (चरुणी गुट) के राकेश बैंस ने दावा किया कि कुछ उर्वरकों को प्लाईवुड उद्योग में भी भेजा जा रहा है ।
DAP (डाइ-अमोनियम फॉस्फेट)
- DAP भारत में यूरिया के बाद दूसरा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला उर्वरक है।
- DAP भारत में एक पसंदीदा उर्वरक है, क्योंकि इसमें नाइट्रोजन और फास्फोरस दोनों होते हैं जो प्राथमिक मैक्रो-पोषक तत्त्व हैं और 18 आवश्यक पौधों के पोषक तत्वों का हिस्सा हैं।
- उर्वरक ग्रेड DAP में 18% नाइट्रोजन और 46% फॉस्फोरस होता है। इसे उर्वरक संयंत्रों में नियंत्रित परिस्थितियों में फॉस्फोरिक एसिड के साथ अमोनिया की प्रतिक्रिया करके बनाया जाता है।
यूरिया
- यूरिया एक सफेद क्रिस्टलीय यौगिक है जिसका उपयोग आमतौर पर कृषि में सिंथेटिक उर्वरक के रूप में किया जाता है।
- जब यूरिया को मिट्टी या फसलों पर डाला जाता है, तो एंजाइम्स द्वारा इसे अमोनिया और कार्बन डाइऑक्साइड में तोड़ दिया जाता है।
- इसके बाद अमोनिया अमोनियम आयनों में परिवर्तित हो जाता है, जिसे पौधों की जड़ों द्वारा ग्रहण कर लिया जाता है तथा वृद्धि एवं विकास के लिये उपयोग किया जाता है।
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