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उत्तराखंड स्टेट पी.सी.एस.

  • 31 Jan 2025
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उत्तराखंड में वनाग्नि पर प्रभावी नियंत्रण

चर्चा में क्यों?

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्य वन संरक्षक (CCF) को अत्यधिक संवेदनशील ज़िलों में वनाग्नि के विरुद्ध तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिये हैं।    

मुख्य बिंदु

  • अग्नि नियंत्रण हेतु नोडल अधिकारियों की नियुक्ति:
    • वन विभाग के 10 वरिष्ठ अधिकारियों को ज़िला स्तरीय नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया।
    • उनकी भूमिका बेहतर अग्नि प्रबंधन के लिये ज़िला स्तर पर संसाधनों और विभागों का समन्वय करना है।
    • ज़िला स्तर पर प्रबंधन, नियंत्रण, निगरानी, सहयोग और समन्वय को दृढ़ करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • अग्नि-पूर्व मौसम की तैयारियाँ:
    • उत्तराखंड वन विभाग ने वनों में आग लगने के मौसम से पहले नोडल अधिकारियों की नियुक्ति के लिये एक कार्यालय आदेश जारी किया है।
    • नोडल अधिकारी अग्नि प्रबंधन तैयारियों और ज़िला स्तरीय नियंत्रण उपायों की समीक्षा करेंगे।       
  • अग्नि नियंत्रण में सामुदायिक भागीदारी:
    • इसके साथ ही, वन अग्नि नियंत्रण एवं प्रबंधन में सामुदायिक भागीदारी बढ़ाने के लिये उत्तराखंड वन विभाग अल्मोड़ा वन प्रभाग के अंतर्गत राज्य के सभी प्रभागों में  'शीतलाखेत' मॉडल को दोहराने के लिये फील्ड कर्मियों, राज्य पर्यावरण प्राधिकरण (SEA) और वन अग्नि प्रबंधन समितियों के साथ अनुसंधान कर रहा है।
    • अल्मोड़ा वन प्रभाग के अंतर्गत विकसित 'शीतलाखेत' मॉडल को राज्य के सभी प्रभागों में अपनाया जा रहा है।

जंगल की आग (वनाग्नि)

  • वन की आग को झाड़ी या वनस्पति की आग या वनाग्नि भी कहा जाता है, इसे किसी प्राकृतिक सेटिंग जैसे जंगल, चरागाह, ब्रशलैंड या टुंड्रा में पौधों के किसी भी अनियंत्रित और गैर-निर्धारित दहन या जलने के रूप में वर्णित किया जा सकता है, जो प्राकृतिक ईंधन का उपभोग करता है और पर्यावरणीय स्थितियों (जैसे, हवा, स्थलाकृति) के आधार पर विस्तारित होता है।
  • जंगल में लगी आग को जलाने के लिये ईंधन, ऑक्सीजन और ऊष्मा स्रोत जैसे तीन आवश्यक तत्त्वों की आवश्यकता होती है।


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