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उत्तर प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 31 Jan 2025
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अनाधिकृत निर्माणों को ध्वस्त करने हेतु नए नियम

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार ने अनाधिकृत निर्माणों को ध्वस्त करने से पहले एजेंसियों के लिये दिशा-निर्देश जारी किये हैं।

  • ध्वस्तीकरण को अंतिम रूप देने से पहले नोटिस अवश्य दिया जाना चाहिये तथा व्यक्तिगत सुनवाई का अवसर भी प्रदान किया जाना चाहिये।

मुख्य बिंदु

  • ध्वस्तीकरण के नये नियम:
    • अनिवार्य कारण बताओ सूचना एवं प्रतीक्षा अवधि:
      • कारण बताओ सूचना जारी किये बिना कोई भी ध्वस्तीकरण कार्य नहीं किया जाना चाहिये।
      • एजेंसियों को ध्वस्तीकरण का आदेश देने से पहले नोटिस प्राप्ति की तारीख से 15 दिन तक प्रतीक्षा करनी होगी। नियम अपील का अवसर प्रदान करते हैं, अंतिम आदेश के बाद 15 दिनों के लिये ध्वस्तीकरण में देरी होनी चाहिये।
      • मालिकों/कब्ज़ेदारों को अनाधिकृत संरचनाओं को स्वयं हटाने या ध्वस्त करने के लिये 15 दिन का समय दिया जाना चाहिये।
    • पारदर्शिता उपाय:
      • नोटिस, उत्तर और आदेश सहित सभी कार्यों का दस्तावेजीकरण करने के लिये तीन महीने के भीतर एक डिजिटल पोर्टल स्थापित किया जाना चाहिये।
      • नोटिस ज़िला मजिस्ट्रेट (DM) कार्यालय को ईमेल के माध्यम से स्वचालित पावती के साथ भेजे जाने चाहिये।
      • व्यक्तिगत सुनवाई के विवरण अवश्य दर्ज किये जाने चाहिये।
    • विध्वंस आदेश एवं अनुपालन:
      • अंतिम आदेश में निम्नलिखित का उल्लेख होना चाहिये:
        • क्या संरचना समझौता योग्य है (शुल्क देकर नियमित किया जा सकता है)।
        • अनाधिकृत/गैर-शमनीय भागों का विवरण।
        • विध्वंस क्यों आवश्यक है?
      • इन नियमों का पालन न करने पर अधिकारियों के विरुद्ध अवमानना कार्यवाही और अभियोजन चलाया जा सकता है।
    • कानूनी एवं प्रशासनिक टिप्पणियाँ:
      • नये नियमों में कई कदम पहले से ही विभिन्न अधिनियमों के अंतर्गत मौजूद हैं।
      • नई सुविधाओं का उद्देश्य ध्वस्तीकरण में पारदर्शिता और स्थिरता में सुधार लाना है।
      • ज़ल्दबाजी में किये गए ध्वस्तीकरण और पुराने ध्वस्तीकरण आदेशों के लंबित रहने के कारण कदाचार और अनाधिकृत निर्माण को बढ़ावा मिलता है।
      • नगर निगम के अधिकारियों ने अनुपालन की पुष्टि की और स्पष्ट किया कि अस्थायी अतिक्रमणों से उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959 के तहत निपटा जाएगा।


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