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मध्य प्रदेश स्टेट पी.सी.एस.

  • 01 Feb 2024
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‘एग्जाम पेपर लीक’ को रोकने हेतु कानून

चर्चा में क्यों?

मध्य प्रदेश सरकार ‘एग्जाम पेपर लीक’ रोकने के लिये सख्त कानून बनाएगी।

मुख्य बिंदु:

  • परीक्षा केंद्रों के प्रभारी सहित कोई भी व्यक्ति जो इस तरह की गतिविधियों में शामिल है, को दंड देने हेतु सख्त कानून बनाया जाएगा।
    • कोई भी छात्र-छात्राओं को प्रश्न-पत्र उपलब्ध नहीं करा सकेगा।
  • अगर सरकारी सिस्टम में कोई दिक्कत है तो वह भी इस कानून के दायरे में आएगा। ऐसे कृत्य आपराधिक गतिविधि के दायरे में आएंगे।
  • इस कानून के साथ, MP स्कूल शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि छात्र "तनाव-मुक्त" माहौल में परीक्षा दें।

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रीवा में सुपर स्पेशलिटी अस्पताल तथा पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने रीवा में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के विस्तार के लिये 164 करोड़ रुपए की मंज़ूरी दी है।

मुख्य बिंदु:

  • इस निर्णय से रीवा और शहडोल संभाग के लोगों को लाभ होगा क्योंकि यह उन संभागों का सबसे बड़ा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल है।
  • मंत्रिपरिषद ने राज्य में स्टार्टअप नीति को लेकर भी महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया।
    • सभी स्टार्टअप लोग जो राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेना चाहते हैं, उन्हें राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिये 50,000 रुपए और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिये 1.50 लाख रुपए की प्रतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा दी जाएगी।
    • किसी स्टार्टअप के लिये यह राशि एक वित्तीय वर्ष में एक बार और पूरे कार्यकाल में दो बार तक दी जाएगी।
  • करीब दो दशक से लंबित पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना अब पीएम की पहल से क्रियान्वित होगी।
    • इससे राज्य के मालवा और चंबल क्षेत्र के 12 ज़िलों तथा पूर्वी राजस्थान के 13 ज़िलों को लाभ होगा।
    • इन क्षेत्रों में पेयजल की उपलब्धता बढ़ेगी तथा सिंचाई एवं औद्योगिक उपयोग के लिये भी जल उपलब्ध होगा।
    • यह परियोजना 75,000 करोड़ रुपए की है और इसमें राज्य केवल 10% निवेश करेगें, बाकी 90% राशि केंद्र सरकार प्रदान करेगी।

पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना

  • इसका उद्देश्य दक्षिणी राजस्थान में चंबल, कुन्नू, पार्वती, कालीसिंध सहित इसकी सहायक नदियों में बरसात के मौसम में उपलब्ध अतिरिक्त जल का संचयन करना और इस जल का उपयोग राज्य के दक्षिण-पूर्वी ज़िलों में करना है, जहाँ पीने तथा सिंचाई के लिये जल की कमी है।
  • इस परियोजना का उद्देश्य वर्ष 2051 तक दक्षिणी एवं दक्षिण-पूर्वी राजस्थान में मानव तथा पशुधन हेतु पीने के जल तथा औद्योगिक गतिविधियों हेतु जल की आवश्यकताओं को पूरा किया जाना है।
  • इसमें राजस्थान के 13 ज़िलों को पीने का जल उपलब्ध कराने और 26 विभिन्न बड़ी एवं मध्यम परियोजनाओं के माध्यम से 2.8 लाख हेक्टेयर भूमि के लिये सिंचाई का जल उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है।
    • 13 ज़िले: इसमें झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर शामिल है।


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