पश्चिमी विक्षोभ से उत्तर प्रदेश में बारिश की संभावना | 19 Feb 2024
चर्चा में क्यों?
भारती मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश, तूफान तथा ओलावृष्टि साथ ही पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में तीव्र बर्फबारी होने की संभावना है।
मुख्य बिंदु:
- सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ से उत्तर-पश्चिम भारत के कई क्षेत्रों में अलग-अलग मौसम की स्थिति देखी जाने की उम्मीद है।
- पश्चिमी विक्षोभ के कारण सामान्य मौसम प्रारूप में महत्त्वपूर्ण बदलाव होने की उम्मीद है तथा समुदायों को इन परिवर्तनों के लिये तैयार रहने की सलाह दी जाती है।
- अधिकारियों से सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये किसी भी आवश्यक उपाय हेतु तैयार रहने का आग्रह किया गया है।
पश्चिमी विक्षोभ:
- पश्चिमी विक्षोभ चक्रवाती तूफानों की एक शृंखला है जो भूमध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं, ये 9,000 किमी. से अधिक की दूरी तय करके भारत में पहुँचते हैं। यह उत्तर-पश्चिम भारत में शीत ऋतु में वर्षा के लिये उत्तरदायी है।
- पश्चिमी विक्षोभ भूमध्य सागर, काला सागर और कैस्पियन सागर से आर्द्रता एकत्र करता है तथा पश्चिमी हिमालय पर्वत से टकराने से पहले ईरान एवं अफगानिस्तान के ऊपर से गुज़रता है।
- जबकि तूफान प्रणाली पूरे वर्ष में मौजूद होती है, वे मुख्य रूप से दिसंबर और अप्रैल के बीच भारत को प्रभावित करते हैं क्योंकि उपोष्णकटिबंधीय पछुआ जेट स्ट्रीम का प्रक्षेपवक्र शीत ऋतु के महीनों के दौरान हिमालय क्षेत्र में स्थानांतरित हो जाता है।
- जेट स्ट्रीम हिमालय के ऊपर से पूरे वर्ष तिब्बत के पठार और चीन की ओर प्रवाहित होती है। इसका प्रक्षेपवक्र सूर्य की स्थिति से प्रभावित होता है।
- भारत के लिये महत्त्व:
- पश्चिमी विक्षोभ हिमपात का प्राथमिक स्रोत है जो शीत ऋतु के दौरान हिमालय के ग्लेशियरों में वृद्धि करता है।
- ये ग्लेशियर गंगा, सिंधु और यमुना जैसी प्रमुख हिमालयी नदियों के साथ-साथ असंख्य पर्वतीय झरनों और नदियों का पोषण करते हैं।
- ये कम दबाव वाली तूफान प्रणालियाँ भारत में किसानों को रबी फसल उगाने में मदद करती हैं।
- पश्चिमी विक्षोभ हिमपात का प्राथमिक स्रोत है जो शीत ऋतु के दौरान हिमालय के ग्लेशियरों में वृद्धि करता है।
- समस्याएँ:
- पश्चिमी विक्षोभ हमेशा अच्छे मौसम के अग्रदूत नहीं होते हैं। कभी-कभी पश्चिमी विक्षोभ बाढ़, फ्लैश फ्लड, भूस्खलन, धूल भरी आँधी, ओलावृष्टि और शीतलहर जैसी चरम मौसम की घटनाओं का कारण बन सकते हैं, बुनियादी ढाँचे को नष्ट कर सकते हैं, साथ ही जीवन तथा आजीविका को प्रभावित कर सकते हैं।
भारत मौसम विज्ञान विभाग
- IMD की स्थापना वर्ष 1875 में हुई थी। यह देश की राष्ट्रीय मौसम विज्ञान सेवा है और मौसम विज्ञान एवं संबद्ध विषयों से संबंधित सभी मामलों में प्रमुख सरकारी एजेंसी है।
- यह भारत सरकार के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- IMD विश्व मौसम विज्ञान संगठन के छह क्षेत्रीय विशिष्ट मौसम विज्ञान केंद्रों में से एक है।