उत्तराखंड के हलद्वानी में हिंसा | 10 Feb 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तराखंड के हलद्वानी में एक अवैध मदरसे में तोड़फोड़ के बाद हिंसा भड़क गई थी।
मुख्य बिंदु:
- नगर निगम द्वारा यह विध्वंस न्यायालय के आदेश के अनुसार किया गया था, जिसमें मदरसे को सरकारी भूमि पर अतिक्रमण घोषित किया गया था।
- विध्वंस से दो समुदायों के बीच विरोध और झड़पें शुरू हो गईं, जिसके परिणामस्वरूप पुलिस कर्मियों सहित कई लोग घायल हो गए।
- राज्य सरकार ने आगे की हिंसा को रोकने के लिये हलद्वानी और अन्य संवेदनशील इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया तथा देखते ही गोली मारने का आदेश (Shoot-at-sight) जारी कर दिया।
- देखते ही गोली मारने का आदेश (Shoot-at-sight Order):
- यह एक ऐसा शब्द है जो एक ऐसे आदेश को संदर्भित करता है जो पुलिस या अन्य सुरक्षा बलों को आदेश का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को बिना किसी चेतावनी या गिरफ्तार करने के प्रयास के गोली मारने का अधिकार देता है।
- इस आदेश का उपयोग केवल अत्यंत दुर्लभ और खतरनाक स्थितियों में किया जाता है, जब अधिकारियों को लगता है कि सार्वजनिक शांति तथा सुरक्षा के लिये गंभीर खतरा है एवं जब घातक बल बिल्कुल आवश्यक है।
- कुछ कानूनी प्रावधान जो देखते ही गोली मारने के आदेश जारी करने की अनुमति देते हैं:
- दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (CrPC) की धारा 46 (2) जो गिरफ्तारी का विरोध करने या भागने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार करने के दौरान बल के प्रयोग को सक्षम बनाती है।
- CrPC की धारा 144, जो आदेश जारी करने के माध्यम से "आशंकित खतरे" या उपद्रव के तत्काल मामलों से निपटने के दौरान व्यापक शक्तियों के उपयोग को सक्षम बनाती है।
- भारतीय दंड संहिता, 1860 (IPC) की धारा 81, ऐसे कार्य से संबंधित है जिससे अपहानि होने की संभावना है, लेकिन आपराधिक आशय के बिना किया गया है और अन्य अपहानि को रोकने के लिये किया जाता है।
- IPC की धारा 76 ऐसे कृत्यों से छूट देती है, यदि ऐसा किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किया जाता है जो स्वयं को ऐसा करने के लिये कानून द्वारा बाध्य मानता है।