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स्वच्छ वायु लक्ष्य में विविध प्रगति

  • 12 Jan 2024
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, क्लाइमेट ट्रेंड्स और रेस्पिरर लिविंग साइंस ने एक अध्ययन किया है, जिसमें बताया गया है कि अधिकांश शहर भारत के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के स्वच्छ वायु लक्ष्य से बहुत दूर हैं।

मुख्य बिंदु

  • पाँच वर्षों में लगातार PM 2.5 डेटा वाले 49 शहरों में से केवल 27 शहरों में PM 2.5 के स्तर में गिरावट देखी गई, जबकि केवल चार शहर NCAP लक्ष्यों के अनुसार लक्षित गिरावट को पूरा कर पाए या उससे आगे निकल गए।
    • वायु में PM 2.5 की मात्रा वायु गुणवत्ता का एक प्रमुख संकेतक है।
    • PM का अर्थ पार्टिकुलेट मैटर है और 2.5 का अर्थ पार्टिकुलेट मैटर के आकार से है।
  • जबकि वाराणसी, आगरा और जोधपुर जैसे कुछ शहरों में PM2.5 के स्तर में उल्लेखनीय कमी देखी गई, दिल्ली सहित अन्य शहरों में मामूली गिरावट (केवल 5.9%) या यहाँ तक कि प्रदूषण भार में वृद्धि दर्ज की गई।
  • वाराणसी में वर्ष 2019 से वर्ष 2023 तक PM 2.5 के स्तर में 72% की औसत कमी और PM 10 के स्तर में 69% के साथ सबसे अधिक कमी देखी गई।

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम

  • इसे जनवरी 2019 में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) द्वारा लॉन्च किया गया था।
  • समयबद्ध कमी लक्ष्य के साथ वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिये एक राष्ट्रीय ढाँचा तैयार करने का यह देश में पहला प्रयास है।
  • NCAP का लक्ष्य 131 शहरों में वर्ष 2026 तक औसत पार्टिकुलेट मैटर (PM) सांद्रता को 40% तक कम करना है। प्रारंभ में वर्ष 2024 तक 20-40% की कटौती का लक्ष्य रखा गया था, बाद में इस लक्ष्य को वर्ष 2026 तक बढ़ा दिया गया।

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