उत्तराखंड
उत्तराखंड के चरागाह संरक्षण SOP
- 27 Nov 2024
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चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड सरकार का वन विभाग राज्य के ऊपरी हिमालयी क्षेत्र में घास के मैदानों के संरक्षण हेतु एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) तैयार करेगा।
- इस पहल का उद्देश्य प्राकृतिक और मानवीय गतिविधियों के कारण होने वाले भूस्खलन और भूमि अवतलन की बढ़ती आवृत्ति को रोकना है।
मुख्य बिंदु
- चरागाह संरक्षण पहल:
- संवेदनशील पारिस्थितिकी क्षेत्र दयारा बुग्याल ने पिछले पारिस्थितिकी बहाली प्रयासों से सकारात्मक परिणाम दिखाए हैं। इन लाभों को अन्य घास के मैदानों तक पहुँचाने के लिये, वन विभाग संरक्षण के लिये एक SOP विकसित करने की योजना बना रहा है।
- यह SOP जैविक दबाव को कम करने तथा आगे क्षरण को रोकने पर ध्यान केंद्रित करेगा।
- बुग्याल संरक्षण योजना के तहत अब तक 22 घास के मैदानों की लगभग 83 हेक्टेयर भूमि पर संरक्षण कार्य किया जा चुका है।
- संवेदनशील पारिस्थितिकी क्षेत्र दयारा बुग्याल ने पिछले पारिस्थितिकी बहाली प्रयासों से सकारात्मक परिणाम दिखाए हैं। इन लाभों को अन्य घास के मैदानों तक पहुँचाने के लिये, वन विभाग संरक्षण के लिये एक SOP विकसित करने की योजना बना रहा है।
- हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र:
- अपने दौरे के दौरान अधिकारियों ने गंगोत्री के निकट लंका में निर्माणाधीन हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र का भी निरीक्षण किया।
- आशा है कि यह केंद्र एक वर्ष के भीतर बनकर तैयार हो जाएगा, जिससे पर्यटकों को प्राकृतिक वातावरण का अनुभव करने तथा हिम तेंदुओं को उनके प्राकृतिक आवास में देखने का अवसर मिलेगा।
- गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान पिछले दशक में एक महत्त्वपूर्ण ट्रांस-हिमालयी राष्ट्रीय उद्यान के रूप में उभरा है।
- भारतीय वन्यजीव संस्थान ने पार्क में हिम तेंदुओं की पर्याप्त उपस्थिति दर्ज की है, जो हाल तक अपेक्षाकृत अज्ञात थी।
- अपने दौरे के दौरान अधिकारियों ने गंगोत्री के निकट लंका में निर्माणाधीन हिम तेंदुआ संरक्षण केंद्र का भी निरीक्षण किया।