उत्तराखंड ग्रीन सेस लगाएगा | 15 Feb 2024
चर्चा में क्यों?
उत्तराखंड सरकार अन्य राज्यों से राज्य में प्रवेश करने वाले वाहनों पर ग्रीन सेस/हरित उपकर लागू करने के लिये पूरी तरह तैयार है।
- ग्रीन सेस पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से सरकार द्वारा लगाया जाने वाला कर का एक रूप है।
मुख्य बिंदु:
- फास्टैग के माध्यम से टोल प्लाज़ा पर उपकर 20 रुपए से 80 रुपए तक एकत्र किया जाएगा। संपीड़ित प्राकृतिक गैस (CNG) द्वारा ईंधन वाले इलेक्ट्रिक वाहनों और कारों को छूट दी जाएगी।
- इसे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के रियायतदाताओं द्वारा एकत्र किया जाएगा।
- परिवहन विभाग के अनुसार, तिपहिया और चार पहिया वाहनों (हल्के मोटर वाहन) पर ग्रीन सेस के रूप में क्रमशः 20 रुपए तथा 40 रुपए लगेंगे, जबकि मध्यम एवं भारी मोटर वाहनों को क्रमशः 60 रुपए व 80 रुपए का भुगतान करना होगा।
- दोपहिया वाहन, सरकारी वाहन, फायर टेंडर और एम्बुलेंस, सेना के वाहन तथा कृषि हेतु उपयोग किये जाने वाले वाहनों को ग्रीन सेस से छूट दी जाएगी।
- दूसरे राज्यों के वाहनों को एक दिन के लिये निर्धारित दर का भुगतान करके एक बार प्रवेश का विकल्प होगा।
- वैकल्पिक रूप से, वे तीन महीने की अवधि के लिये मानक दर का 20 गुना या पूरे वर्ष के लिये ग्रीन सेस दर का 60 गुना भुगतान करने का विकल्प चुन सकते हैं।
फास्टैग (FASTag)
- यह एक साधन/उपकरण है जो गतिशील वाहन को निर्बाध रूप से सीधे टोल भुगतान करने के लिये रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक का उपयोग करता है।
- NHAI ने FASTag की उपलब्धता को सुविधाजनक बनाने के लिये दो मोबाइल ऐप - MyFASTag और FASTag पार्टनर लॉन्च किये।
- टैग जारी होने की तारीख से 5 वर्ष के लिये वैध है जो 7 अलग-अलग रंग कोड में आता है।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI)
- NHAI का गठन वर्ष 1988 में संसद के एक अधिनियम द्वारा सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत भारत सरकार द्वारा सौंपे गए राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास, रखरखाव तथा प्रबंधन के लिये एक केंद्रीय प्राधिकरण के रूप में किया गया था।
- हालाँकि प्राधिकरण फरवरी, 1995 में चालू हो गया।
- प्राधिकरण में एक पूर्णकालिक अध्यक्ष होता है और अधिकतम पाँच पूर्णकालिक सदस्य तथा चार अंशकालिक सदस्य जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।