उत्तराखंड
उत्तराखंड कैम्पा फंड
- 20 Mar 2025
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चर्चा में क्यों?
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड के जवाब की समीक्षा की और उत्तराखंड वन विभाग द्वारा प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA) के धन का 'विपथन' को महत्त्वहीन माना।
मुख्य बिंदु
- CAG रिपोर्ट पर आधारित आरोप:
- सर्वोच्च न्यायालय ने सार्वजनिक डोमेन में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों के संबंध में उत्तराखंड के मुख्य सचिव से जवाब मांगा है।
- रिपोर्ट में वन विभाग पर आईफोन और लैपटॉप सहित गैजेट खरीदने के लिये प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA) के धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया गया है।
- कथित रूप से दुरुपयोग की गई धनराशि कुल उपलब्ध CAMPA निधि का केवल 1.8% थी।
- ब्याज जमा अनुपालन पर निर्देश:
- न्यायालय ने उत्तराखंड को प्रतिपूरक वनीकरण निधि अधिनियम, 2016 के अनुसार राज्य प्रतिपूरक वनीकरण निधि (SCAF) में समय पर ब्याज जमा करने का निर्देश दिया।
- CAG रिपोर्ट में कैम्पा अधिकारियों के कई अनुरोधों के बावजूद वर्ष 2019-20 और वर्ष 2021-22 के बीच 275.34 करोड़ रुपए ब्याज का भुगतान न करने पर प्रकाश डाला गया है।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
- संविधान के अनुच्छेद 148 के अनुसार भारत का CAG भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग (IA-AD) का प्रमुख होता है। वह सार्वजनिक खजाने की सुरक्षा और केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर वित्तीय प्रणाली की देखरेख के लिये ज़िम्मेदार होता है।
- CAG वित्तीय प्रशासन में संविधान और संसदीय कानूनों को बनाए रखता है और इसे सर्वोच्च न्यायालय, चुनाव आयोग और संघ लोक सेवा आयोग के साथ भारत की लोकतांत्रिक प्रणाली के प्रमुख स्तंभों में से एक माना जाता है।
- भारत का CAG नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कर्तव्य, शक्तियाँ और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971 द्वारा शासित होता है, जिसमें 1976, 1984 और 1987 में महत्त्वपूर्ण संशोधन किये गए।
प्रतिपूरक वनरोपण निधि
- CAF अधिनियम केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2016 में पारित किया गया था और संबंधित नियमों को वर्ष 2018 में अधिसूचित किया गया था।
- CAF अधिनियम प्रतिपूरक वनरोपण के लिये एकत्र धनराशि का प्रबंधन करने के लिये अधिनियमित किया गया था, जिसे अब तक तदर्थ प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (CAMPA) द्वारा प्रबंधित किया जाता था।
- प्रतिपूरक वनरोपण का अर्थ है कि जब भी वन भूमि को खनन या उद्योग जैसे गैर-वनीय उद्देश्यों के लिये उपयोग में लाया जाता है, तो उपयोगकर्त्ता एजेंसी गैर-वनीय भूमि के बराबर क्षेत्र में वन लगाने के लिये भुगतान करती है या जब ऐसी भूमि उपलब्ध नहीं होती है, तो अवक्रमित वन भूमि के दोगुने क्षेत्र में वन लगाने के लिये भुगतान करती है।
- नियमों के अनुसार, CAF का 90% धन राज्यों को दिया जाना है, जबकि 10% केंद्र द्वारा रखा जाना है।
- इस निधि का उपयोग जलग्रहण क्षेत्रों के उपचार, प्राकृतिक उत्पादन में सहायता, वन प्रबंधन, वन्यजीव संरक्षण और प्रबंधन, संरक्षित क्षेत्रों से गाँवों के स्थानांतरण, मानव-वन्यजीव संघर्षों के प्रबंधन, प्रशिक्षण और जागरूकता सृजन, लकड़ी बचाने वाले उपकरणों की आपूर्ति और संबद्ध गतिविधियों के लिये किया जा सकता है।