उत्तराखंड में बारिश और गर्मी के रिकॉर्ड टूटे | 12 Jul 2024
चर्चा में क्यों?
क्लाइमेट ट्रेंड्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड में पिछले दो महीनों से चरम मौसम की घटनाएँ देखी जा रही हैं, जिनमें रिकॉर्ड तोड़ तापमान से लेकर अत्यधिक भारी वर्षा के कारण अचानक बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाएँ शामिल हैं।
मुख्य बिंदु:
- वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि ने वायुमंडलीय नमी को बढ़ा दिया है, जिससे घने बादल बन रहे हैं और भारी बारिश हो रही है।
- जैसे-जैसे तापमान बढ़ता जा रहा है, ये तीव्र बारिश की घटनाएँ और भी सामान्य होती जा रही हैं।
- उत्तराखंड में बढ़ते तापमान के कारण वनाग्नि की घटनाएँ बढ़ रही हैं।
- मानव-जनित जलवायु परिवर्तन ऊँचाई वाले स्थानों में मौसम और जलवायु संबंधी चरम सीमाओं को प्रभावित कर रहा है। कई हालिया अध्ययनों में तेज़ी से प्रचलित एलिवेशन डिपेंडेंट वार्मिंग (EDW) पर रिपोर्ट की गई है।
- EDW हिमालयी नदियों और ग्लेशियरों (ग्लेशियल द्रव्यमान संतुलन, नदी निर्वहन, बर्फबारी में परिवर्तन) को प्रभावित करता है, जो पहाड़ी क्षेत्र की आजीविका के लिये एकमात्र जल स्रोत है।
फ्लैश फ्लड (Flash Floods) या अचानक आई बाढ़
- यह घटना बारिश के दौरान या उसके बाद जल स्तर में हुई अचानक वृद्धि को संदर्भित करती है।
- ये आकस्मिक रूप से घटित होने वाली स्थानीयकृत घटनाएँ हैं, जिनमें बहुत अधिक आवेग होता है और सामान्यतः बारिश के साथ-साथ छह घंटे से भी कम समय में ही भीषण बाढ़ जैसी आपदा की स्थिति उत्पन्न होती है।
- जल निकासी लाइनों के अवरुद्ध होने या अतिक्रमण के कारण जल के प्राकृतिक प्रवाह में बाधा उत्पन्न होने पर बाढ़ की स्थिति और भी खराब हो जाती है।
भूस्खलन
- भूस्खलन को चट्टान, मलबे या मृदा के द्रव्यमान के ढलान से नीचे की ओर खिसकने के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- वे एक प्रकार का सामूहिक अपव्यय है, जो गुरुत्वाकर्षण के प्रत्यक्ष प्रभाव में मृदा और चट्टान के किसी भी नीचे की ओर खिसकने को दर्शाता है।
- भूस्खलन शब्द में ढलान की गति के पाँच तरीके शामिल हैं: प्रपात/फॉल्स, अग्रपात/टॉपल्स, स्खलन/स्लाइड, फैलाव/स्प्रेड और प्रवाह/फ्लो।