उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश का पहला बायो-सीएनजी प्लांट
- 10 Apr 2025
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चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में उत्तर प्रदेश का पहला व देश का दूसरा अपशिष्ट-से-CNG प्लांट स्थापित किया जा रहा है।
मुख्य बिंदु
- प्लांट के बारे में:
- यह प्लांट पराली, मुर्गी के कूड़े, गोबर और गीले कचरे से जैव-ईंधन (Bio-CNG) बनाएगा।
- यह प्रतिदिन 21.5 टन जैव-CNG, 200 टन जैविक खाद और 30 मीट्रिक टन ब्रिकेट का उत्पादन करेगा।
- इसे सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर संचालित किया जाएगा।
- जैव ईंधन की आपूर्ति के लिये अडानी गैस लिमिटेड द्वारा इस क्षेत्र में पाइपलाइन बिछाई जाएगी।
- इससे कचरा निपटान पर लगभग 5 करोड़ रुपए की वार्षिक बचत होगी।
- शहर का लगभग एक-तिहाई कचरा इस प्लांट में उपयोग किया जाएगा।
- उद्देश्य
- कचरा प्रबंधन को व्यवस्थित करना
- नवीकरणीय और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना
- पर्यावरण प्रदूषण को कम करना (विशेषकर पराली जलाने से होने वाला)
- शहरी गैस आपूर्ति को सुलभ और सस्ती बनाना
बायो-सीएनजी:
- बायो-सीएनजी (BioCNG), जिसे ‘बायोमीथेन’ के रूप में भी जाना जाता है, एक नवीकरणीय और स्वच्छ दहन परिवहन ईंधन है, जो बायोगैस को प्राकृतिक गैस की गुणवत्ता में अद्यतन या अपग्रेड करने के माध्यम से उत्पादित किया जाता है।
- यह अनिवार्य रूप से शुद्धिकृत बायोगैस (purified biogas) है, जो निम्नलिखित जैविक अपशिष्ट पदार्थों से बनाई जाती है:
- कृषि अपशिष्ट: फसल अवशेष, भूसा, खाद
- खाद्य अपशिष्ट: खराब भोजन, बचा हुआ अवशेष
- सीवेज कीचड़: अपशिष्ट जल उपचार संयंत्रों से निकलने वाला ठोस अपशिष्ट