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उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश सरकार मदरसा अधिनियम, 2004 में संशोधन करेगी

  • 06 Dec 2024
  • 3 min read

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 में संशोधन करने जा रही है, जिसके तहत उच्च स्तरीय शिक्षा को इसके दायरे से बाहर रखा जाएगा तथा इसका दायरा केवल कक्षा 12 तक की शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थानों तक सीमित कर दिया जाएगा। 

  • इससे पहले के एक निर्णय में, सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2004 के उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड कानून की संवैधानिक वैधता को बनाए रखा था और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस निर्णय को रद्द कर दिया था, जिसमें धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने के आधार पर इसे रद्द कर दिया गया था।

मुख्य बिंदु

  • मदरसा अधिनियम में संशोधन उत्तर प्रदेश में मदरसा शिक्षा की गुणवत्ता और निगरानी बढ़ाने के व्यापक प्रयास का हिस्सा है।
    • सरकार का उद्देश्य धार्मिक शिक्षाओं को मानक धर्मनिरपेक्ष पाठ्यक्रम के साथ एकीकृत करके मदरसों में माध्यमिक शिक्षा में सुधार करना है।
  • उच्च-स्तरीय धार्मिक डिग्रियों पर प्रभाव:
    • नए संशोधनों के तहत, मदरसे अब कामिल और फाज़िल जैसी उच्च स्तरीय धार्मिक डिग्री प्रदान नहीं कर सकेंगे। 
      • ये डिग्रियाँ, जो मदरसा शिक्षा प्रणाली का एक अभिन्न हिस्सा रही हैं, संशोधित अधिनियम के अंतर्गत अपनी मान्यता से वंचित हो जाएँगी।
    • माध्यमिक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने से मदरसा शिक्षा के प्रति अधिक मानकीकृत दृष्टिकोण लाने की आशा है, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि छात्रों को एक संतुलित शिक्षा प्राप्त हो जो उन्हें आगे के अध्ययन या व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिये तैयार करे।

उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004

  • इस अधिनियम का उद्देश्य उत्तर प्रदेश राज्य में मदरसों (इस्लामी शैक्षणिक संस्थानों) के कामकाज को विनियमित और संचालित करना था।
  • इसने उत्तर प्रदेश में मदरसों की स्थापना, मान्यता, पाठ्यक्रम और प्रशासन के लिये एक रूपरेखा प्रदान की।
  • इस अधिनियम के तहत राज्य में मदरसों की गतिविधियों की देख-रेख और पर्यवेक्षण के लिये उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड की स्थापना की गई।

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