उत्तर प्रदेश
UP में 'नो हेलमेट, नो फ्यूल' नियम लागू
- 13 Jan 2025
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चर्चा में क्यों?
उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग ने राज्य के सभी नगरों में दोपहिया वाहनों से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं और मृत्यु दर को घटाने के उद्देश्य से कठोर "नो हेलमेट, नो फ्यूल" नीति लागू करने का सुझाव प्रस्तुत किया है।
- मुख्यमंत्री ने माना कि राज्य में प्रतिवर्ष लगभग 25,000 से 26,000 लोगों की जान सड़क दुर्घटनाओं में जाती है।
मुख्य बिंदु
- नोएडा में 26 जनवरी, 2025 से 'नो हेलमेट, नो फ्यूल' नीति लागू की जाएगी।
- इस कदम का उद्देश्य दोपहिया वाहन चालकों के बीच हेलमेट के उपयोग को बढ़ावा देना तथा क्षेत्र में सड़क सुरक्षा को बढ़ाना है।
- राज्य भर के ईंधन स्टेशनों को "नो हेलमेट, नो फ्यूल" के संकेत लगाने का निर्देश दिया गया है।
- यह पहल इससे पहले वर्ष 2019 में गौतम बुद्ध नगर ज़िले में शुरू की गई थी, लेकिन इसे केवल छिटपुट रूप से ही लागू किया गया था।
- परिवहन आयुक्त ने एक आधिकारिक-पत्र जारी कर ईंधन स्टेशन संचालकों को निर्देश दिया है कि वे उन दोपहिया वाहन चालकों को ईंधन न बेचें, जिन्होंने हेलमेट नहीं पहना है, जिसमें पीछे बैठने वाला व्यक्ति भी शामिल है।
- उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग भी नीति के बारे में व्यापक जागरूकता सुनिश्चित करने के लिये काम कर रहा है।
- ईंधन स्टेशन संचालकों को मोटर वाहन अधिनियम, 1988 और उत्तर प्रदेश मोटर वाहन नियम, 1998 के प्रासंगिक प्रावधानों के संबंध में शिक्षित किया जाना चाहिये।
- कुछ व्यक्तियों का मानना है कि इस पहल को हेलमेट के उपयोग को अनिवार्य बनाने और जीवन की रक्षा के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम के रूप में समर्थन किया जाना चाहिये, जबकि अन्य का तर्क है कि सरकार को नए कानूनों को लागू करने के बजाय सड़क की गुणवत्ता और समग्र सुरक्षा उपायों में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
मोटर वाहन अधिनियम, 1988
- मोटर वाहन अधिनियम, 1939 के स्थान पर यह अधिनियम 1 जुलाई, 1989 को लागू हुआ।
- अधिनियम में ड्राइवरों/कंडक्टरों के लाइसेंस, मोटर वाहनों के पंजीकरण, परमिट के माध्यम से मोटर वाहनों के नियंत्रण, राज्य परिवहन उपक्रमों से संबंधित विशेष प्रावधान, यातायात विनियमन, बीमा, दायित्व, अपराध और दंड आदि के संबंध में विधायी प्रावधानों का विस्तार से उल्लेख किया गया है।