उत्तर प्रदेश ने महाकुंभ क्षेत्र को नया ज़िला घोषित किया | 02 Dec 2024
चर्चा में क्यों?
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रयागराज में महाकुंभ क्षेत्र को नया ज़िला घोषित किया है।
- इसे जनवरी 2025 में होने वाले आगामी कुंभ मेले के प्रबंधन और प्रशासन को सुव्यवस्थित करने के लिये बनाया गया था।
मुख्य बिंदु
- यह अधिसूचना उत्तर प्रदेश प्रयागराज मेला प्राधिकरण, प्रयागराज अधिनियम, 2017 की धारा 2 (th) के अंतर्गत जारी की गई।
- यह महाकुंभ 2025 के आयोजन के लिये आधिकारिक तौर पर महाकुंभ मेला ज़िले की घोषणा करता है।
- मेला अधिकारी को नये ज़िले का प्रशासनिक अधिकारी बनाया गया।
- मेला अधिकारी की शक्तियाँ एवं जिम्मेदारियाँ:
- मेलाधिकारी, कुंभ मेला, प्रयागराज, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा-14 (1) और संबंधित धाराओं के तहत कार्यपालक मजिस्ट्रेट, ज़िला मजिस्ट्रेट और अतिरिक्त ज़िला मजिस्ट्रेट की शक्तियाँ धारण करेंगे।
- मेलाधिकारी को सभी मामलों को निपटाने के लिये उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता, 2006 (2016 में संशोधित) के तहत ज़िला मजिस्ट्रेट और कलेक्टर की सभी शक्तियाँ भी प्राप्त होंगी।
- मेला अधिकारी को ज़िले के लिये अतिरिक्त कलेक्टर नियुक्त करने का अधिकार है।
महाकुंभ
- कुंभ मेला संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) की मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची के अंतर्गत आता है।
- यह पृथ्वी पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण समागम है, जिसके दौरान प्रतिभागी पवित्र नदी में स्नान करते हैं या डुबकी लगाते हैं।
- यह नासिक में गोदावरी नदी, उज्जैन में शिप्रा नदी, हरिद्वार में गंगा और प्रयागराज में गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदी के संगम पर होता है। संगम को 'संगम' कहा जाता है।
- चूँकि यह भारत के चार अलग-अलग शहरों में आयोजित किया जाता है, इसमें विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ शामिल होती हैं, जिससे यह सांस्कृतिक रूप से विविध त्योहार बन जाता है।
- एक महीने से अधिक समय तक चलने वाले इस मेले में एक विशाल तम्बूनुमा बस्ती का निर्माण किया जाता है, जिसमें झोपड़ियाँ, मंच, नागरिक सुविधाएँ, प्रशासनिक और सुरक्षा उपाय शामिल होते हैं।
- इसका आयोजन सरकार, स्थानीय प्राधिकारियों और पुलिस द्वारा अत्यंत सावधानी से किया जाता है।
- यह मेला विशेष रूप से वनों, पहाड़ों और गुफाओं के सुदूर स्थानों से आये धार्मिक तपस्वियों की असाधारण उपस्थिति के लिये प्रसिद्ध है।