इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

State PCS Current Affairs


उत्तर प्रदेश

पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र' को परिभाषित करने हेतु परीक्षण आवश्यक: इलाहाबाद उच्च न्यायालय

  • 02 Jan 2024
  • 2 min read

चर्चा में क्यों?

ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के हालिया रुख से पता चलता है कि उपासना स्थल अधिनियम, 1991 “किसी भी उपासना स्थल के धार्मिक चरित्र” को स्पष्ट नहीं करता है और प्रत्येक मामले में इसे केवल मौखिक तथा लिखित दोनों साक्ष्यों के आधार पर परीक्षण के माध्यम से सुनिश्चित किया जा सकता है।

मुख्य बिंदु:

  • पूजा स्थल अधिनियम, 1991 धार्मिक स्थलों को किसी अलग धर्म या संप्रदाय के पूजा स्थलों में बदलने पर रोक लगाता है।
    • यह किसी भी पूजा स्थल की धार्मिक पहचान को संरक्षित करने का भी आदेश देता है जैसा कि 15 अगस्त, 1947 को था।
  • ज्ञानवापी मामला वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के स्वामित्व और धार्मिक पहचान से संबंधित एक कानूनी लड़ाई है, जिसमें एक मस्जिद तथा एक मंदिर दोनों हैं।
  • हिंदूवादी का तर्क है कि मस्जिद स्थल सहित पूरा क्षेत्र मूल रूप से स्वयंभू भगवान आदि विश्वेश्वर को समर्पित एक मंदिर था
  • उनका दावा है कि ज्ञानवापी भूखंड पर स्थित इस मंदिर को वर्ष 1669 में सम्राट औरंगज़ेब ने ध्वस्त कर दिया था।
  • न तो सरकार और न ही सर्वोच्च न्यायालय ने आज तक इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट रुख अपनाया है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2