पंजाब और हरियाणा में गेहूँ उत्पादन की प्रवृत्ति | 14 Apr 2025

चर्चा में क्यों?

पंजाब और हरियाणा में अनुकूल शीतकालीन मौसम के कारण वर्ष 2025 में गेहूँ की पैदावार बढ़ने की संभावना है, हाlलाँकि हाल ही में हुई बेमौसम ओलावृष्टि से फसल को मामूली नुकसान हुआ है। 

मुख्य बिंदु

  • गेहूँ उत्पादन और उपज अनुमान:
    • पिछले वर्ष की तुलना में औसत गेहूँ उपज में वृद्धि का अनुमान लगाया गया है:
    • पंजाब: वर्ष 2023-24 में औसत गेहूँ उपज 50 क्विंटल/हेक्टेयर थी। वर्ष 2024-25 में यह 60 क्विंटल/हेक्टेयर से अधिक हो सकती है। 
    • हरियाणा:  वर्ष 2023-24 में गेहूँ की औसत उपज 46 क्विंटल/हेक्टेयर थी।  वर्ष2024-25 में यह 50 क्विंटल/हेक्टेयर से अधिक हो सकता है। 
    • पंजाब और हरियाणा केंदीय खरीद पूल में, विशेषकर गेहूँ के लिये, प्रमुख योगदानकर्त्ता हैं।
  • एक मज़बूत फसल:
    • खाद्य सुरक्षा को मज़बूत करेगी और बाज़ार में आपूर्ति को स्थिर बनाएगी।
    • बेहतर खरीद दरों के माध्यम से किसानों की आय को बढ़ाएगी।
    • सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को लाभ पहुँचाएगी और खाद्य मुद्रास्फीति को कम करेगी।
  • भारत में गेहूँ उत्पादन
    • गेहूँ एक रबी फसल है, जिसे अक्तूबर से दिसंबर के बीच बोया जाता है और अप्रैल से जून तक काटा जाता है।
    • यह चावल के बाद भारत का दूसरा सबसे महत्त्वपूर्ण अनाज है और उत्तरी तथा उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों का मुख्य भोजन है।
  • क्षेत्र एवं उत्पादन:
    • क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत में गेहूँ दूसरी सबसे बड़ी फसल है (धान के बाद)।
  • शीर्ष गेहूँ उत्पादक राज्य:
    • उत्तर प्रदेश
    • पंजाब
    • हरियाणा 
    • मध्य प्रदेश
    • राजस्थान
  • शीर्ष गेहूँ उत्पादक देश:
    • चीन 
    • यूरोपीय संघ 
    • भारत 
  • गेहूँ की खेती के लिये आदर्श परिस्थितियाँ:
    • मिट्टी: अच्छी जल निकासी वाली दोमट या चिकनी मिट्टी में सबसे अच्छी वृद्धि होती है।
    • तापमान:
      • बुवाई के लिये 10–15°C
      • पकने और कटाई के दौरान 21–26°C
    • वर्षा: 75-100 सेमी मध्यम वर्षा की आवश्यकता होती है।
    • सूर्य का प्रकाश: अच्छी उपज के लिये अनाज निर्माण के दौरान तेज़ धूप आवश्यक है।