अयोध्या में सूर्य तिलक परियोजना | 18 Apr 2024

चर्चा में क्यों?

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के तहत एक स्वायत्त निकाय, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (Indian Institute of Astrophysics- IIA) ने अयोध्या में सूर्य तिलक परियोजना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

मुख्य बिंदु:

  • सूर्य तिलक परियोजना के तहत चैत्र मास में श्री राम नवमी के अवसर पर दोपहर 12 बजे श्री राम लला के माथे पर सूर्य की रोशनी लाई गई।
  • IIA टीम ने सूर्य की स्थिति, ऑप्टिकल/प्रकाशिकी सिस्टम के डिज़ाइन इष्टतम उपयोग की गणना की और साइट पर एकीकरण व संरेखण का प्रदर्शन किया।
    • IIA टीम ने 19 वर्षों के एक चक्र के लिये श्री राम नवमी के कैलेंडर दिनों की पहचान हेतु गणना का नेतृत्व किया, इसके बाद इसकी पुनरावृत्ति, राम नवमी की कैलेंडर तिथियों पर आकाश में स्थिति का अनुमान लगाया।
    • टीम ने मंदिर के शीर्ष से मूर्ति के माथे तक सूरज की रोशनी लाने के लिये एक ऑप्टो-मैकेनिकल प्रणाली के डिज़ाइन का भी नेतृत्व किया, सिस्टम में दर्पण और लेंस के आकार, आकृति तथा स्थान का निर्धारण लगाया ताकि लगभग 6 मिनट तक मूर्ति पर पर्याप्त रोशनी पड़ सके।
  • डिवाइस का निर्माण ऑप्टिका, बैंगलोर द्वारा किया गया है और साइट पर ऑप्टो-मैकेनिकल सिस्टम का कार्यान्वयन वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद- केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CSIR-CBRI) द्वारा किया जा रहा है।

भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (Indian Institute of Astrophysics- IIA)

  • IIA पूर्णतः विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा वित्तपोषित भारत का एक प्रमुख शोध संस्थान है जो खगोल विज्ञान, खगोल भौतिकी और संबंधित क्षेत्रों के अध्ययन के लिये समर्पित है
  • इसमें कई ओब्ज़र्वेशन सुविधाएँ हैं, जिनमें तमिलनाडु के कवलूर में वेणु बप्पू वेधशाला, कर्नाटक में गौरीबिदानूर रेडियो वेधशाला और लद्दाख, जम्मू एवं कश्मीर में हनले वेधशाला शामिल हैं।