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बिहार

बिहार के लिये विशेष श्रेणी का दर्जा

  • 13 Jun 2024
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र से विशेष श्रेणी का दर्जा दिये जाने की राज्य की पुरानी मांग को दोहराया।

  • इस दर्जे से बिहार को केंद्र से मिलने वाले कर राजस्व में वृद्धि होगी।

मुख्य बिंदु:

  • मुख्य चिंताओं में से एक बिहार की प्रति व्यक्ति आय का कम होना है, जो देश में सबसे कम ₹60,000 के आस-पास है। इसके अलावा, राज्य विभिन्न मानव विकास संकेतकों में राष्ट्रीय औसत से पीछे है।
  • इसके अलावा, बिहार की राजकोषीय स्थिति पर राज्य के विभाजन जैसे कारकों का नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, जिसके कारण उद्योग झारखंड के हिस्से में चले गए, सिंचाई के लिये पर्याप्त जल संसाधनों की कमी और लगातार प्राकृतिक आपदाएँ आईं।
  • बिहार के वर्ष 2022 के जाति आधारित सर्वेक्षण से पता चलता है कि राज्य के लगभग एक तिहाई लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं।
    • वर्ष 2023 में, बिहार सरकार ने अनुमान लगाया कि विशेष श्रेणी का दर्जा दिये जाने से राज्य को 94 लाख करोड़ गरीब परिवारों के कल्याण पर खर्च करने के लिये पाँच वर्षों में अतिरिक्त 2.5 लाख करोड़ रुपए प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
  • ऐतिहासिक रूप से, बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों को कमज़ोर कानून व्यवस्था के कारण वृद्धि में धीमी गति तथा उच्च गरीबी स्तर का सामना करना पड़ा, जिससे विकास को बढ़ावा देने के लिये महत्त्वपूर्ण माने जाने वाले निवेश हतोत्साहित हुए।
  • लेकिन अब, देश के सबसे तेज़ी से बढ़ते राज्यों में से एक के रूप में न्यूनतम बिंदु से प्रारंभ करने के बावजूद, बिहार ने हाल के वर्षों में अपनी प्रति व्यक्ति आय के स्तर और अपनी समग्र अर्थव्यवस्था के आकार को तेज़ गति से बढ़ाने में सफलता प्राप्त की है।
    • उदाहरण के लिये, वर्ष 2022-23 में बिहार का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) राष्ट्रीय औसत 7.2% के मुकाबले 10.6% बढ़ा, जबकि वास्तविक रूप से प्रति व्यक्ति आय का स्तर वर्ष 2023 में 9.4% बढ़ा।

विशेष श्रेणी का दर्जा (Special Category Status- SCS)

  • परिचय:
    • विशेष श्रेणी का दर्जा (SCS) एक वर्गीकरण है जो केंद्र द्वारा कुछ राज्यों को भौगोलिक और सामाजिक-आर्थिक प्रतिकूलताओं के आधार पर विकास में सहायता के लिये दिया जाता है।
    • यह योजना पाँचवें वित्त आयोग की सिफारिश पर वर्ष 1969 में शुरू की गई थी।
  • राज्य को विशेष दर्जा देने के लिये विचारणीय कारक:
    • पहाड़ी और दुर्गम
    • कम जनसंख्या घनत्व और/या जनजातीय आबादी का बड़ा हिस्सा
    • अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर रणनीतिक स्थान
    • आर्थिक और अवसंरचनात्मक पिछड़ापन
    • राज्य के वित्त की गैर-व्यवहार्य प्रकृति
  • 14वें वित्त आयोग ने पूर्वोत्तर और तीन पहाड़ी राज्यों को छोड़कर अन्य राज्यों के लिये 'विशेष श्रेणी का दर्जा' समाप्त कर दिया है।
  • विशेष दर्जा प्राप्त राज्य: अरुणाचल प्रदेश, असम, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, मणिपुर, मेघालय, मिज़ोरम, नगालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा तथा उत्तराखंड।

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