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उत्तर प्रदेश

रेशम सखी योजना

  • 24 Apr 2025
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से रेशम सखी योजना शुरू की है।

मुख्य बिंदु

  • योजना के बारे में:
    • इस योजना के अंतर्गत महिलाएँ घर बैठे रेशम उत्पादन (Sericulture) से आय अर्जित कर सकेंगी। 
    • यह योजना राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और रेशम विभाग के संयुक्त प्रयास से लागू की जा रही है।
    • इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को रेशम कीट पालन का प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि वे शहतूत रेशम और तसर रेशम का उत्पादन अपने घर पर ही कर सकें।
    • शहतूत रेशम पालन का प्रशिक्षण कर्नाटक के मैसूर में और तसर रेशम पालन का प्रशिक्षण झारखंड के राँची में दिया जाएगा।
    • योजना का लक्ष्य है कि अगले 5 वर्षों में 50,000 महिलाओं को इससे जोड़ा जाए। पहले चरण में वर्ष 2025-26 तक 15 ज़िलों की 7500 महिलाओं को इससे जोड़ा जाएगा।
  • महत्त्व:
    • ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार होगा क्योंकि महिलाएँ स्थानीय संसाधनों से आय अर्जित कर सकेंगी।
    • महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा मिलेगा, जिससे सामाजिक असमानताओं को कम करने में मदद मिलेगी।
    • रेशम उद्योग का विस्तार और विविधीकरण होगा, जिससे राज्य की आर्थिक वृद्धि को नया आयाम मिलेगा।
    • शहरी पलायन में कमी आएगी क्योंकि महिलाएँ अपने गाँव में ही रोज़गार प्राप्त कर सकेंगी।

रेशम उत्पादन

  • यह कृषि आधारित उद्योग है। इस उद्योग में कच्चे रेशम के उत्पादन के लिये रेशम के कीड़ों का पालन किया जाता है।
  • रेशम उत्पादन के मुख्य क्रिया-कलापों में रेशम कीटों के आहार के लिये खाद्य पौधों की कृषि तथा कीटों द्वारा बुने हुए कोकूनों से रेशम तंतु निकालना, इसका प्रसंस्करण तथा बुनाई आदि की प्रक्रिया सन्निहित है।
    • घरेलू रेशम के कीड़ों (बॉम्बेक्स मोरी) को सेरीकल्चर के उद्देश्य से पाला जाता है।
  • कच्चा रेशम बनाने के लिये रेशम के कीटों का पालन सेरीकल्चर या रेशमकीट पालन कहलाता है।
  • भारत में रेशम उत्पादन:
    • रेशम के कीड़ों की विभिन्न प्रजातियों से प्राप्त वाणिज्यिक महत्त्व के रेशम के कुल पाँच प्रमुख प्रकार होते हैं।
      • ये हैं- मलबरी (Mulberry), ओक टसर (Oak Tasar), ट्रॉपिकल टसर (Tropical Tasar), मूंगा (Muga) और एरी (Eri)।
    • मलबरी के अलावा रेशम की अन्य किस्में जंगली प्रकार की किस्में होती हैं, जिन्हें सामान्य रूप में ‘वन्या’ (Vanya) कहा जाता है। 
    • भारत में रेशम की इन सभी वाणिज्यिक किस्मों का उत्पादन होता है।
    • दक्षिण भारत देश का प्रमुख रेशम उत्पादक क्षेत्र है और यह क्षेत्र कांचीपुरम, धर्मावरम, आर्नी आदि बुनाई के लिये भी काफी प्रसिद्ध है।

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