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उत्तराखंड

उत्तराखंड में सद्भावना सम्मेलन

  • 22 Apr 2024
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में हरिद्वार में 'हर की पैड़ी' के बाएँ तट पर, उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री ने दो दिवसीय 'सद्भावना सम्मेलन' का आयोजन किया।

  • सम्मेलन में हज़ारों लोग एकत्र हुए, जिसमें मंत्री ने आध्यात्मिकता और हिंदुओं के लिये गंगा के महत्त्व पर बात की।

मुख्य बिंदु:

  • उत्तरी और पूर्वी भारत में 2,600 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर बहने वाली गंगा को देवी माना जाता है तथा यह हिंदुओं के लिये धार्मिक आस्था का केंद्र है
    • यह नदी छह राज्यों तथा उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल के बीच एक केंद्रशासित प्रदेश में फैले गंगा नदी बेसिन में रहने वाली भारत की 1.4 अरब जनसँख्या में से 40% से अधिक के लिये पीने के जल का स्रोत है।
  • जल शक्ति मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, लगभग 30 लाख लीटर सीवेज प्रतिदिन गंगा में बहाया जाता है और उसमें से केवल आधा ही उपचारित किया जाता है।
    • फेकल/मल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया का एक समूह है जो उष्ण रक्तीय जीव-जंतुओं की आँत और मल में पाया जाता है तथा इसका संदूषण मानव मल पदार्थ की उपस्थिति का संकेत देता है।
    • अनुमान है कि अकेले पवित्र शहर वाराणसी में प्रतिदिन नदी के किनारे 4,000 शव जलाए जाते हैं।
    • उत्तराखंड में बाँध नदी के प्रवाह को अवरुद्ध कर देते हैं, जिससे गर्मी के महीनों के दौरान कई स्थानों पर नदी धारा में बदल जाती है।
    • राज्य में जलविद्युत परियोजनाएँ ज़्यादातर नदी प्रवाह (ROR) पर आधारित हैं, सिवाय टिहरी बाँध परियोजना के, जो जलविद्युत विकास के लिये एक भंडारण परियोजना है और गैर-मानसूनी नदी के प्रवाह को बढ़ाती है।
    • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, नदी के किनारे 97 जल गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों में से 59 के नमूनों के परीक्षण में जनवरी 2023 में 70% स्थानों पर नदी में मल कोलीफॉर्म अनुमेय स्तर से ऊपर था।
    • वर्ष 2024 में, नमामि गंगे योजना, नदी को साफ करने और पुनर्जीवित करने के लिये विविध हस्तक्षेपों ने नदी में "प्रदूषण भार" को कम कर दिया।
    • पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अधिसूचित बाहरी स्नान मानदंडों के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये अनुमोदित कार्य योजनाओं के माध्यम से प्रदूषित नदी खंडों का कायाकल्प किया जा रहा था।

नमामि गंगे कार्यक्रम

  • नमामि गंगे कार्यक्रम एक एकीकृत संरक्षण मिशन है, जिसे जून 2014 में केंद्र सरकार द्वारा ‘फ्लैगशिप कार्यक्रम' के रूप में अनुमोदित किया गया था, ताकि प्रदूषण के प्रभावी उन्मूलन और राष्ट्रीय नदी गंगा के संरक्षण एवं कायाकल्प के दोहरे उद्देश्यों को पूरा किया जा सके।
  • यह जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग तथा जल शक्ति मंत्रालय के तहत संचालित किया जा रहा है।
  • यह कार्यक्रम राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) और इसके राज्य समकक्ष संगठनों यानी राज्य कार्यक्रम प्रबंधन समूहों (SPMGs) द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • नमामि गंगे कार्यक्रम (2021-26) के दूसरे चरण में राज्य परियोजनाओं को तेज़ी से पूरा करने और गंगा के सहायक शहरों में परियोजनाओं के लिये विश्वसनीय विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (Detailed Project Report- DPR) तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
    • छोटी नदियों और आर्द्रभूमि के पुनरुद्धार पर भी ध्यान दिया जा रहा है। प्रत्येक प्रस्तावित गंगा ज़िले में कम-से-कम 10 आर्द्रभूमि हेतु वैज्ञानिक योजना और स्वास्थ्य कार्ड विकसित करना है तथा उपचारित जल एवं अन्य उत्पादों के पुन: उपयोग के लिये नीतियों को अपनाना है।

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