उत्तर प्रदेश
यूपी में पंचायतों की राजस्व प्राप्तियाँ सबसे ज़्यादा
- 09 Feb 2024
- 3 min read
चर्चा में क्यों?
वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा हाल ही में जारी 'पंचायती राज संस्थानों का वित्त' शीर्षक से रिपोर्ट भारत में पंचायती राज संस्थानों (PRI) की वित्तीय गतिशीलता पर प्रकाश डालती है।
मुख्य बिंदु:
- राज्य राजस्व हिस्सेदारी और अंतर-राज्य असमानताएँ:
- अपने-अपने राज्य के राजस्व में पंचायतों की हिस्सेदारी न्यूनतम बनी हुई है।
- उदाहरण के लिये, आंध्र प्रदेश में, पंचायतों की राजस्व प्राप्तियाँ राज्य के स्वयं के राजस्व का केवल 0.1% है, जबकि उत्तर प्रदेश में यह 2.5% है, जो राज्यों में सबसे अधिक है।
- प्रति पंचायत अर्जित औसत राजस्व को लेकर राज्यों में व्यापक भिन्नताएँ हैं।
- केरल और पश्चिम बंगाल क्रमशः 60 लाख रुपए और 57 लाख रुपए प्रति पंचायत के औसत राजस्व के साथ सबसे आगे हैं।
- असम, बिहार, कर्नाटक, ओडिशा, सिक्किम और तमिलनाडु में प्रति पंचायत राजस्व 30 लाख रुपए से अधिक था।
- आंध्र प्रदेश, हरियाणा, मिज़ोरम, पंजाब और उत्तराखंड जैसे राज्यों का औसत राजस्व 6 लाख रुपए प्रति पंचायत से काफी कम है।
- अपने-अपने राज्य के राजस्व में पंचायतों की हिस्सेदारी न्यूनतम बनी हुई है।
- RBI की सिफारिशें:
- RBI अधिक विकेंद्रीकरण को बढ़ावा देने और स्थानीय नेताओं तथा अधिकारियों को सशक्त बनाने का सुझाव देता है। यह पंचायती राज की वित्तीय स्वायत्तता और स्थिरता को बढ़ाने के उपायों का समर्थन करता है।
पंचायती राज संस्थान
- 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 ने पंचायती राज संस्थाओं (PRI) को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया और एक समान संरचना (PRI के तीन स्तर), चुनाव, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं महिलाओं के लिये सीटों का आरक्षण तथा PRI को निधि, कार्यों व पदाधिकारियों का हस्तांतरण किया।
- पंचायतें तीन स्तरों पर कार्य करती हैं: ग्राम सभा (गाँव या छोटे गाँवों का समूह), पंचायत समितियाँ (ब्लॉक परिषद) और ज़िला परिषद (ज़िला)।
- पंचायती राज मंत्रालय, पंचायती राज और पंचायती राज संस्थाओं से संबंधित सभी मामलों को देखता है। इसे मई 2004 में बनाया गया था।
- यूपी में पंचायतों की संख्या: 59, 062
- यूपी में ब्लॉकों की संख्या: 826
- यूपी में ज़िलों की संख्या: 75